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Prayagraj News: मलिन बस्ती की 6 बेटियों ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा में लहराया परचम
Prayagraj News: प्रयागराज के झुगी झोपड़ी में रहने वाले 6 बच्चों ने हाई स्कूल की परीक्षा में वो कारनामा करके दिखाया है, जिसकी कल्पना कोई करें। सभी बच्चे फर्स्ट डिवीजन पास हुए हैं।
Prayagraj News: कहते है टूटने लगे हौसले तो याद रखना, बिना मेहनत के तख्तो ताज नहीं मिलते। ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज नहीं होते। जी है ये कहावत प्रयागराज से आई इस खबर पर बिल्कुल सटीक बैठती है। प्रयागराज के झुगी झोपड़ी में रहने वाले 6 बच्चों ने हाई स्कूल की परीक्षा में वो कारनामा करके दिखाया है, जिसकी कल्पना शायद ही कोई करें। सभी बच्चे फर्स्ट डिवीजन पास हुए हैं। खास बात यह है कि इन सभी के अभिभावक मजदूरी करते हैं, ट्रॉली चलाते हैं, कबाड़ बीनते है या फिर दूसरे घरों में जाकर झाड़ू पोछा लगाने का काम करते हैं।
बच्चों ने परिवार और गांव का नाम किया रौशन
सभी बच्चियां शुरुआती सालो में शिक्षा से कोसों दूर थी,जो कभी कूड़े और कबाड़ बिनती थी। आज उन्ही झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली बेटियों ने अपनी बस्ती के साथ साथ अपने उन माँ बाप का भी नाम रोशन किया है, जो कभी उन्हें स्कूल जाने पर यह कहकर रोकते थे की अगर पढ़ने जाओगी, तो दूसरों के घरो पर काम कौन करने जाएगा और घर चलाने के लिये पैसे कहाँ से आएंगे।
अब इन बेटियों के बोर्ड परीक्षा में आये शानदार परिणाम ने कई और बस्ती की बच्चियों की स्कूल जाने की राह खोल दी है। सीएमपी के पास हरिनगर झोपड़ पट्टी में रहने वाली छः बेटियों ने बोर्ड परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया है सभी बच्चियां प्रथम श्रेणी से उत्तरीन हुई है।
बच्चियों ने हासिल किए इतने अंक
- खुशबु विश्वकर्मा ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 84℅ अंक हासिल किया। खुशबु के माता पिता मजदूरी करते है, खुशबू बड़ी होकर पत्रकारिता के क्षेत्र में जाना चाहती है।
- सना ने 81% अंक हासिल किये हैं। सना के पिता फेरी लगाने का कार्य करते है। सना डॉक्टर बनना चाहती है।
- आँचल ने 80% अंक हासिल किये। आँचल के पिता ठेले पर सब्जी बेचने का कार्य करते है। आँचल भी डॉक्टर बनना चाहती है।
- खुशबु बानो ने 70% अंक हासिल किये, खुशबु के पिता रिक्शा चलाते है। खुशबु बैंकिंग के क्षेत्र में जाना चाहती है।
- कोमल 64% और नन्दनी ने 62 % प्रतिशत अंक हासिल किये हैं। दोनो के पिता कबाड़ बीनने का काम करते है। दोनो आगे चलकर आईपीएस बनना चाहती है।
इन बच्चियों ने बहुत ही कठिन परिस्थितियों में अपनी पढ़ाई कर बोर्ड परीक्षा में शानदार सफलता हासिल किया। किसी ने पिता के सब्जी के ठेले पर बैठकर पढ़ाई की, तो किसी ने झोपड़ी में लाइट न होने की वजह से मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई की। 6 वर्ष पूर्व इन सभी बच्चियों का दाखिला की शुरुआत एक ज्योति शिक्षा की संस्था ने अलग अलग स्कूलों में कराया था। इन बच्चों की शिक्षा दीक्षा की पूरी जिम्मेदारी परिवार के द्वारा विगत छः वर्षों से निर्वहन की जा रही है।
इन बच्चों को सभी विषयों की तैयारी प्रतिदिन संस्था के शिक्षकों के द्वारा दस दस घण्टे कराई गई, जिसकी वजह से बच्चों ने शानदार सफलता अर्जित किया और साथ ही साथ बस्ती की और बच्चियों के लिये भी शिक्षा की उम्मीद की किरण जगा दी है।