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Prayagraj News: एक अनोखा मंदिर, जहां मां की कोई मूर्ति नहीं, इस मंदिर में एक पालने की होती है पूजा

Prayagraj News: मान्यता है की यहाँ शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरकर अदृश्य हो गया था , इसी वजह से इस शक्तिपीठ को अलोप शंकरी नाम देकर यह प्रतीक के रूप मे रख दिया गया ।

Syed Raza
Report Syed Raza
Published on: 28 Sept 2022 12:35 PM IST
maa sati temple Prayagraj
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मंदिर में एक पालने की होती है पूजा (photo: social media ) 

Prayagraj News: पूरे देश में शारदीय नवरात्रि की धूम है । ऐसे में संगम नगरी प्रयागराज में भी देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं का हुजूम देखने को मिल रहा है। प्रयागराज मे देवी माँ का एक ऐसा भव्य मन्दिर है जहाँ कोई मूर्ती नहीं है। आस्था के इस अनूठे केन्द्र मे लोग मूर्ती की नहीं बल्कि पालने की पूजा करते हैं । मान्यता है की यहाँ शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरकर अदृश्य (आलोप) हो गया था , इसी वजह से इस शक्तिपीठ को अलोप शंकरी नाम देकर यह प्रतीक के रूप मे रख दिया गया । मान्यता है की यह हाथों पर रक्षा सूत्र बांधकर मांगने वालो की हर कामना पूरी होती है और हाथ मे धागा बंधे रहने तक अलोपी देवी उनकी रक्षा करती हैं ।

धर्म की नगरी प्रयागराज में अलोपी देवी मंदिर संगम के नजदीक स्थित है। देवी का ये मंदिर आस्था का एक अनूठा केन्द्र है । ऐसा शक्ति-पीठ जिसमे कोई मूर्ती नही है ।यहाँ मूर्ती न होने के बाद भी हर दिन देश के कोने -कोने से आने वाले हजारों श्रद्धालुओं का जमावाडा होता है। हालांकि नवरात्र के दिनों में इस मंदिर की विशेषताएं और बढ़ जाती हैं और सुबह शाम भक्तों का तांता लगा रहता है । आस्था के इस अनूठे केन्द्र में मूर्ती के बजाय एक पालना ( झूला ) लगा है । श्रद्धालु मूर्ती की जगह इसी पालने का दर्शन करते हैं ,और इसकी पूजा करते हैं इसी पालने मे देवी का स्वरूप देखकर उनसे सुख -समृधि व वैभव का आशीर्वाद लेते हैं । मान्यता है की यहाँ जो भी श्रद्धालु देवी के पालने के सामने हाथों मे रक्षा -सूत्र बाँधता है देवी उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और हाथो मे रक्षा सूत्र रहने तक उसकी रक्षा भी करती हैं।

देवी के दाहिने हाथ का पंजा कुंड में गिरकर अदृश्य हुआ था

पुराणों मे वर्धित कथा के मुताबिक प्रयागराज मे इसी जगह पर देवी के दाहिने हाथ का पंजा कुंड में गिरकर अदृश्य ( aloap) हो गया था । पंजे के अलोप होने की वजह से ही इस जगह को सिद्ध -पीठ मानकर इसे अलोअप शंकरी मन्दिर का नाम दिया गया । सती के शरीर के अलोअप होने की वजह से ही यहाँ कोई मूर्ती नही है और श्रद्धालु कुंड पर लगे पालने (झूले ) का ही दर्शन -पूजन करते हैं । आस्था के इस अनूठे केन्द्र मे लोग कुंड से जल लेकर उसे पलने मे चढ़ते हैं और उसकी परिक्रमा कर देवी से आशीर्वाद लेते हैं ।

शक्ति पीठ अलोप शंकरी मन्दिर मे पालने की पूजा के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है । ऐसी मान्यता है की श्रद्धालु सच्चे मन से जो भी कामना करता है देवी माँ अपने दाहिने हाथ से उसे आशीर्वाद देकर उसकी मन की मुरादे पूरी करती हैं . यहाँ पर नारियल और चुनरी के साथ जल व सिन्दूर चढाये जाने की भी परंपरा है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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