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Prayagraj News: प्रयागराज में स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में लगे घरों में पोस्टर
Prayagraj News: स्थानीय लोगों की ओर से लगाए गए पोस्टर में लिखा गया है कि मैं शूद्र हूं, मुझे गर्व है। पोस्टर में आगे लिखा है, ना पैसा लगता है ना खर्चा लगता है। बस जय भीम बोलिए, बड़ा अच्छा लगता है।
Prayagraj News (Newstrack)
Prayagraj News: राम चरित मानस को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस को लेकर विवादित टिप्पणी के बाद जहां एक ओर साधु संत और बीजेपी द्वारा उनका लगातार विरोध किया जा रहा है। वहीं संगम नगरी के प्रयागराज के नैनी थाना क्षेत्र के लोकपुर इलाके में स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थन में पोस्टर लगाए गए हैं।
स्थानीय लोगों ने स्वामी मौर्य के समर्थन में लगाए पोस्टर
स्थानीय लोगों की ओर से लगाए गए पोस्टर में लिखा गया है कि मैं शूद्र हूं, मुझे गर्व है। पोस्टर में आगे लिखा है, ना पैसा लगता है ना खर्चा लगता है। बस जय भीम बोलिए, बड़ा अच्छा लगता है। पोस्टर में कुल 7 व्यक्तियों की फोटो लगी है। जिसमें से कुछ अनुसूचित जाति और कुछ ओबीसी समाज से आते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थन में लगाए गए इस पोस्टर को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चाएं भी कर रहे हैं।
चौपाई हटाने पर विरोध होगा खत्म
पोस्टर लगाने वाले शिव दर्शन यादव उर्फ भुक्कू काका और राकेश कुमार उर्फ ननका यह सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या का समर्थन करते हुए कहा है कि राम चरित मानस में शूद्र कह कर अपमानित करने वाली चौपाई हटाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा है कि वे शूद्र हैं और उन्हें शूद्र होने पर गर्व है। उन्होंने कहा है कि राम चरित मानस से शुद्रों पर कथित टिप्पणी वाली चौपाई हटाए जाने के बाद ही उनका यह विरोध खत्म होगा।
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य, जो एक ओबीसी समुदाय से आते हैं, ने 22 जनवरी को यह कहकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया कि गोस्वामी तुस्लीदास द्वारा लिखित महाकाव्य में महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के बारे में "आपत्तिजनक भाषा" है। शुरुआत में सपा उनसे दूरी बनाती नजर आई, लेकिन अखिलेश ने मौर्य की आलोचना नहीं की, जिससे संकेत मिला कि वरिष्ठ नेता को उनका समर्थन हासिल है। पिछले हफ्ते लखनऊ के एक मंदिर में प्रदर्शनकारियों द्वारा अखिलेश को काले झंडे दिखाए जाने के बाद, सपा अध्यक्ष ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि सत्तारूढ़ पार्टी "सभी दलितों और ओबीसी को शूद्र मानती है।" वहीं भाजपा ने इस मुद्दे पर बहुत अलग रुख अपनाया। पार्टी ला मत था कि रामचरितमानस सभी हिंदुओं द्वारा सम्मानित एक पवित्र ग्रंथ है और मौर्य ने इसकी आलोचना करके हिंदू भावनाओं को आहत किया।