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Prayagraj News: जज्बे को सलाम- 'सेरेबल पाल्सी' जैसी गंभीर बीमारी के बावजूद यशी बनी डॉक्टर
Prayagraj News: यशी लाखों दिव्यांग बच्चों के लिए एक मिसाल पेश कर रही है कि अगर खुद में हौसला हो और इरादे बुलंद हो तो हर हाल में जीत सुनिश्चित हो जाती है।
Prayagraj News: कहते हैं हार तब हो जाती है जब 'मान' लिया जाता है। जीत तब होती है जब 'ठान' लिया जाता है और इसी कहावत को सच करके दिखाया है गोरखपुर की रहने वाली यशी कुमारी ने। सेरेबल पॉलिसी जैसी गंभीर बीमारी से जूझते हुए यशी ने एमबीबीएस का सफर पूरा किया है या कहें की खुद मरीज होकर डॉक्टर बन गई हैं यशी कुमारी।
अब यशी लाखों दिव्यांग बच्चों के लिए एक मिसाल पेश कर रही है कि अगर खुद में हौसला हो और इरादे बुलंद हो तो हर हाल में जीत सुनिश्चित हो जाती है। यशी दाएं हाथ और पैर से दिव्यांग है जिसकी वजह से ना तो वह ठीक से चल सकती है और ना ही दाएं हाथ से कोई काम कर सकती है। जिसकी वजह से यशी ने अपने बाएं हाथ से लिखना और अन्य दूसरा काम करना शुरू किया।
कड़ी मेहनत और जज्बे की वजह से यशी ने नीट की परीक्षा पास की और कोलकाता के प्रसिद्ध मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। यशी के पिता बताते हैं कि यशी जब 1 साल की हुई तब उनको पता चला कि यशी ना तो ठीक से बैठ पाती है और ना ही चलने की कोशिश भी करती हैं। वक्त थोड़ा और गुजरा तो उनके पिता और परिवार को आभास हो गया कि यशी पैर और हाथ से दिव्यांग हैं । जिसके बाद उनके पिता ने यशी का इलाज करवाया तब जाकर यह मालूम हुआ कि यशी सेरेब्रल पाल्सी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
कई साल से चल रहा इलाज
पिता बताते है कि सेरेबल पॉलिसी जैसी गंभीर बीमारी के सबसे प्रसिद्ध डॉक्टर जितेन कुमार जैन के बारे में पता चला जो प्रयागराज में प्रैक्टिस करते हैं । पिछले कई सालों से डॉक्टर जैन से ही यशी का इलाज चल रहा है और उन्हीं के ही दिए हौसले की वजह से यशी ने अपने बचपन के सपने को साकार किया है।
यशी का इलाज कर रहे डॉक्टर जितेन्द्र कुमार जैन का कहना है कि यशी बेहद हिम्मती और काबिल है। यशी कभी अपनी कमजोरी से हताश नहीं हुई बल्कि सकारात्मक सोच की वजह से आज उसने वह कर दिखाया है जो बेहद कम लोग कर पाते हैं ।डॉक्टर जैन बताते हैं कि यशी जब इलाज के लिए आती हैं तो कई अन्य मरीजों को भी सकारात्मक सोच के लिए प्रेरित करती हैं
बचपन के सपने को सच करके दिखाया
उधर यशी का कहना है कि उसने बचपन के सपने को सच करके दिखाया है। यशी ने बताया कि जब उसको पता चला कि वह ठीक से चल नहीं सकती है साथ ही दाएं हाथ से काम भी नहीं कर सकती हैं तभी उसने अपने दिमाग और मन को ही अपनी ताकत बनाई और डॉक्टर बनने के सपने को जुनून बनाया। आपको बता दे यशी ने दसवीं की परीक्षा में 94 फीसदी अंक मिले तो वहीं 12वीं की परीक्षा में 85 फीसदी अंक हासिल किए। यशी का कहना है कि वह डॉक्टर इसलिए बन रही हैं ताकि जो लोग गरीब हैं असहाय हैं जिनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं रहते हैं उनकी वह मदद करेंगी। साथ ही यशी का कहना है कि उनके परिवार ने उनका बहुत साथ दिया है और अब डॉक्टर बनकर उनका सहारा बनना चाहती है
गौरतलब है कि यशी अब उन लोगों के लिए एक मिसाल बन गई है जो छोटी सी बीमारी में अपना धैर्य खो बैठते हैं या फिर डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं...