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Mahakumbh 2025: अखाड़ों ने दिखाई संवेदनशीलता, श्रद्धालुओं को कराया अमृत स्नान, फिर सांकेतिक स्नान कर पूरी की परंपरा

Mahakumbh 2025: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि सर्व सम्मति से सभी अखाड़ों ने निर्णय लिया कि हालात को देखते हुए वह पहले श्रद्धालुओं को अमृत स्नान का अवसर दिया जाय।

Dinesh Singh
Published on: 29 Jan 2025 6:52 PM IST
Mahakumbh News
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Mahakumbh News (Photo Social Media)

Mahakumbh 2025: महाकुम्भ नगर। प्रयागराज महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान पर्व संपन्न हो गया । मौनी स्नान पर्व में करोड़ लोगों ने त्रिवेणी संगम में पुण्य की डुबकी लगाई है। त्रिवेणी के तट पर लगे आस्था के महाकुम्भ का दूसरा अमृत स्नान पर्व संपन्न हो गया । प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मौनी अमावस्या के अमृत स्नान पर्व पर 5.7 करोड़ लोगों ने पुण्य की डुबकी लगाई। महाकुंभ में घटी घटना के बाद अखाड़ों के संतों ने संवेदनशीलता दिखाई है। यह पहला मौका था जब साधु-संतों, नागा संन्यासी और अखाड़ों ने संगम में ऐतिहासिक प्रथम स्नान की प्रतिज्ञा तोड़ दी। परिस्थिति को देखते हुए अखाड़ों ने अपने ब्रह्म मुहूर्त के अमृत स्नान को स्थगित कर दिया और श्रद्धालुओं को पहले स्नान का अवसर दिया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि सर्व सम्मति से सभी अखाड़ों ने निर्णय लिया कि हालात को देखते हुए वह पहले श्रद्धालुओं को अमृत स्नान का अवसर दिया जाय। स्थिति सामान्य होने पर अखाड़ों ने अपनी भव्य अमृत स्नान की परम्परा का त्याग कर दिया और सांकेतिक रूप से स्नान की परम्परा की।

शंकराचार्य और दंडी स्वामी संतों की बात भी श्रद्धालुओं ने दरकिनार की

प्रयागराज महाकुंभ के सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या के पहले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए महा कुम्भ के प्रथम संत माने जाने वाले दंडी स्वामी संतो ने श्रद्धालुओं के हित में बड़ा ऐलान किया था।अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के अध्यक्ष श्री मद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी महेशाश्रम जी महराज ने श्रद्धालुओं से कहा था कि मौनी अमावस्या के शाही स्नान में दंडी समाज संगम के स्थान पर गंगा में ही अमृत स्नान करेगा। उन्होंने यह भी बताया है कि प्रशासन उन्हें संगम में स्नान की सुविधा दे रहा था लेकिन श्रद्धालुओं के हित में उन्होंने संगम में शाही स्नान न करने का फैसला लिया है।

ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी श्रृद्धालुओं को कहा था कि मौनी अमावस्या में महाकुम्भ क्षेत्र में किसी भी स्थान पर नदी में स्नान करने से बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है इसलिए श्रद्धालु त्रिवेणी की तरफ ही न भागे गंगा और यमुना दोनों में कुंभ क्षेत्र का स्नान बराबर का पुण्य देता है। बावजूद इसके इसे श्रद्धालुओं ने दरकिनार किया।



Ramkrishna Vajpei

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