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Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में अलख जगाने आ गए अलख दरबारी, कमर में घंटी है पहचान
Maha Kumbh 2025: भगवान शिव को अपना इष्ट मानने वाले अलख दरबार के संतों की एक पहचान यह है कि ये अपनी कमर में एक घंटी बांधे रहते हैं।
Maha Kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में अखाड़े के प्रवेश के बाद अब इन अखाड़ों के सहगामी उप अखाड़े की भी एंट्री हो रही है। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े से संबद्ध अलख दरबारी के संतों का जत्था कुंभ क्षेत्र में दाखिल हो गया है।
कमर में बजती घंटी है पहचान
भगवान शिव को अपना इष्ट मानने वाले अलख दरबार के संतों की एक पहचान यह है कि ये अपनी कमर में एक घंटी बांधे रहते हैं। इसकी आवाज से लोग समझ जाते हैं कि अलखिये आ गए। इन्हें शिव का गण माना जाता है। इनकी कमर में भगवान शिव के वाहन नंदी की घंटी बंधी रहती है। जब ये चलते हैं तो घंटी की गूंज से लोग रास्ता छोड़ते जाते हैं। ये किसी से भिक्षा देने की मांग नहीं करते रास्ते में जिसने बिना मांगे इनके कमंडल में डाल दिया बस वहीं ये स्वीकार करते हैं।
महाकुंभ के नॉन स्टॉप साधु हैं अलखिए
यह साधुओं का एक जत्था है जो कुंभ में एक जगह अपने ठिकाने पर नहीं मिलता। हमेशा कुंभ क्षेत्र में भागता नजर आयेगा। यहां तक कि भिक्षा लेते समय भी यह कभी नहीं रुकते । इसीलिए इनको कुंभ का नॉन स्टॉप संत भी कहा जाता है।
भूखे रहकर भी करते हैं साधना
अलख दरबार के संत सिर्फ भिक्षा पर अपना जीवन यापन करता हैं। अलख दरबारी भिक्षा पर ही आश्रित है, लेकिन ये संत भिक्षा में अन्न खुद कभी सीधे ग्रहण नहीं करते। पहले दूसरों का पेट भरते हैं और यदि कुछ बच जाए तो उससे खुद प्रसाद पाते हैं। इनकी दिनचर्या यह है कि ये भिक्षा में मिलने वाले अन्न को पकाकर पहले भगवान शिव को भोग लगाते हैं, फिर गरीब असहाय को भोजन कराते हैं। इसके बाद फिर बचा हुआ प्रसाद भगवान का आशीर्वाद समझकर ग्रहण करते हैं। इस प्रक्रिया में कई बार ऐसा होता है कि कई दिनों तक इन साधुओं को भिक्षा ही नहीं मिलती । इस स्थिति में कभी कभी ये पानी पी कर ही सो जाते हैं। फिर अपनी साधना में जुट जाते हैं।