Prayagraj: हाईकोर्ट ने अपर आयुक्त प्रशासन अमरपाल सिंह के विरुद्ध जारी विभागीय कार्रवाई पर लगाई रोक

Prayagraj News: याची अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर आरोप पत्र दाखिल किया गया है। याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप पत्र को चुनौती दी है तथा उसे कोर्ट से निरस्त करने की मांग की है।

Syed Raza
Report Syed Raza
Published on: 30 Dec 2023 2:51 PM GMT
Prayagraj News
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Prayagraj News (Pic:Social Media)

Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चित्रकूट धाम मंडल में तैनात अपर आयुक्त (प्रशासन) अमर पाल सिंह के विरूद्ध जारी विभागीय कार्यवाही पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है तथा उत्तर प्रदेश शासन व प्रदेश के आला अफसरों से जवाब तलब किया है। सीनियर पीसीएस अधिकारी पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने लखनऊ में अपर जिलाधिकारी के रूप में कार्यरत रहने के दौरान सरोजिनी नगर स्थित डिफेंस कॉरिडोर के लिए भू - अर्जन की कार्यवाही में करोड़ों रुपए सरकारी धन को क्षति पहुंचाने की मंशा से ग्राम समाज की भूमि को संक्रमणीय भूमि घोषित कर दिया था।

याची अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर आरोप पत्र दाखिल किया गया है। याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप पत्र को चुनौती दी है तथा उसे कोर्ट से निरस्त करने की मांग की है। याची के विरूद्ध अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग द्वारा दिनांक 18 अगस्त 2023 को उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के नियम 7 के तहत आरोप पत्र प्रेषित किया गया तथा उक्त प्रकरण में आयुक्त कानपुर मण्डल को जाँच अधिकारी नामित किया गया है।

याची अधिकारी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अनुराग सिंह ने बहस की तथा कहा कि याची ने जुडिशियल कैपेसिटी में आदेश पारित किया है जो कि नियम एवं कानून के तहत सही है। अधिवक्ताओं ने कहा कि याची ने धारा 98 उ0प्र0 राजस्व संहिता 2006 तथा नियम 99 राजस्व संहिता नियमावली 2016 के तहत आदेश पारित किया है। याची द्वारा न्यायिक प्रकिया के तहत आदेश पारित किया गया है तथा उ०प्र० राजस्व संहिता 2006 की धारा 225 में यह प्राविधान दिया गया है कि राज्य सरकार का कोई भी अधिकारी या सेवक इस संहिता या इसके तहत बनाये गये किसी भी नियम के तहत किये जाने वाले किसी भी कार्य के सम्बन्ध में किसी भी सिविल या आपराधिक कार्यवाही के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। कोई भी क्षति होने पर राज्य सरकार के विरूद्ध कोई मुकदमा या अन्य कार्यवाही नहीं की जायेगी। याची के विरुद्ध जो कार्यवाही की जा रही है वह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अभय जैन बनाम राजस्थान हाईकोर्ट में प्रतिपादित किये गये विधि सिद्धान्तों के विरुद्ध है।

जस्टिस अजीत कुमार ने याची अधिकारी के खिलाफ जारी जांच पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है तथा सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट इस याचिका पर 8 जनवरी 24 को पुनः सुनवाई करेगी। मामले के अनुसार याची जब पूर्व में अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) के पद पर लखनऊ में कार्यरत था तो उस पर तहसील सरोजनीनगर स्थित डिफेन्स कॉरिडोर हेतु भू-अर्जन की कार्यवाही के समय प्रतिफल के रूप में करोड़ों रूपये ऐठने की मंशा से ग्राम सभा की सरकारी भूमि की राजस्व कर्मी व भू-माफिया द्वारा फर्जी पट्टा पत्रावली बना कर राजस्व अभिलेखों में फर्जी प्रविष्टियां दर्ज किये जाने के सम्बन्ध में विनय कुमार दूबे एडवोकेट व शोभित शुक्ला द्वारा शिकायत की गयी।

जिसकी जाँच राजस्व परिषद् उ०प्र० लखनऊ द्वारा आयुक्त लखनऊ मण्डल की अध्यक्षता में समिति गठित करके कराई गयी। समिति की प्रारम्भिक जाँच आख्या के अनुसार तहसील सरोजनी नगर लखनऊ की वर्ष 1985 की फर्जी पट्टा पत्रावली में अंकित व्यक्तियों जिन्हें संक्रमणीय भूमिधर घोषित करने हेतु याची द्वारा विधि विरूद्ध तरीके से आदेश पारित किये गये। जिससे ग्राम सभा की भूमि का अनाधिकृत एवं फर्जी तरीके से विक्रय हुआ तथा सरकारी धन को क्षति पहुँचाई गयी।

Durgesh Sharma

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