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Prayagraj MahaKumbh 2025: जिनसे गुजर कर आकार लेती है तंबुओं की नगरी, महाकुंभ में वहीं पांटून पुल हांफ़ रहे हैं
Prayagraj MahaKumbh 2025: मुख्यमंत्री के लगातार भगीरथ प्रयास के बाद महाकुंभ की धमनी कहे जाने वाले पांटून पुल के निर्माण की जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। तैयारियों की डेड लाइन 10 दिसंबर भी आ गई लेकिन इन पुलों के अच्छे दिन नहीं आए।
Prayagraj MahaKumbh 2025: प्रयागराज में 13 जनवरी से लगने जा रहे महाकुंभ को अब एक महीने का वक्त शेष है लेकिन महाकुंभ की धमनियां कहे जाने वाले पांटून के निर्माण की स्थिति चौंकाने वाली है। पांटून पुल के निर्माण में हो रही देरी से कुंभ नगरी जाम नगरी में बदलती जा रही है।
मेला क्षेत्र में 30 में अब तक तैयार केवल एक पांटून पुल
सीएम योगी महाकुंभ की तैयारियों को लेकर लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के लगातार भगीरथ प्रयास के बाद महाकुंभ की धमनी कहे जाने वाले पांटून पुल के निर्माण की जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। तैयारियों की डेड लाइन 10 दिसंबर भी आ गई लेकिन इन पुलों के अच्छे दिन नहीं आए।
13 जनवरी को पौष पूर्णिमा को महाकुंभ का प्रथम स्नान पर्व है जिसके साथ महाकुंभ का आगाज हो जाएगा। लेकिन 4000 हेक्टेयर में बसाए जा रहे महाकुंभ मेले में जमीनी तैयारियों की स्थिति जानना हो तो यहां बनने वाले पांटून पुल में देखिए।
प्रस्तावित 30 में से सिर्फ एक पांटून पुल अभी चालू हो पाया है वह भी नागवासुकी के नजदीक मेला क्षेत्र के बाहर वाला। वैष्णव अखाड़े के संत बलराम दास कहते है कि मोरी गेट के अखाड़े के कार्यालय से उन्हें सेक्टर 20 शिविर बसाने के लिए आना पड़ता था। शास्त्री पुल में जाम से जूझते हुए एक घंटा यहां पहुंचने में लग जाता है।
चकर्ड प्लेट का भी हाल बेहाल
महाकुंभ में करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने के अनुमान के बीच विश्व स्तरीय सुविधाओं के दावे मेला प्रशासन की तरफ से किए जा रहे हैं। इस बार मेला क्षेत्र को 25 सेक्टरों में 4000 हेक्टेयर में बसाया जा रहा है। हालत यह है कि मुख्य मागों पर बालू डालकर समतकीकरण किया जा रहा है। रेत वाले क्षेत्र में बनने वाली सड़के जिन्हें यहां की भाषा में चकर्ड प्लेट कहा जाता है उनकी भी स्थिति अच्छी नहीं है।
अधिकारी कह रहे हैं कि समतलीकरण का कार्य चल रहा है उसके बाद ही चकर्ड प्लेट की सड़कें बनेंगी। मेला क्षेत्र के मुख्य मागों में काली मार्ग, त्रिवेणी मार्ग, महाबीर मार्ग, संगम लोवर मार्ग, ओल्ड जीटी रोड, मुक्ति मार्ग, हरिश्चंद्र मार्ग, नागवासुकि मार्ग, शंकराचार्य मार्ग, हर्षवर्धन मार्ग सहित अन्य प्रमुख मार्गों का निर्माण होना बाकी है।मेला क्षेत्र में चकर्ड प्लेट सड़क, पोटून पुल न बन पाने से शिविर लगाने वाले संतों और संस्था के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।