TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Prayagraj Kumbh: कुंभ क्षेत्र में दंडी स्वामियों की हुई एंट्री, हरीशचंद्र मार्ग पर दंडी स्वामियों ने किया भूमि पूजन

Prayagraj Kumbh: महाकुंभ मेला प्रशासन ने महाकुंभ मेला में शिविर लगाने के लिए दण्डी संतों को गुरुवार को हरिश्चंद्र मार्ग पर जमीन आवंटित किया। दण्डी संतों ने आज ही वहां अपने संप्रदाय का भूमि पूजन भी किया ।

Dinesh Singh
Published on: 21 Nov 2024 9:23 PM IST
Prayagraj Kumbh: कुंभ क्षेत्र में दंडी स्वामियों की हुई एंट्री, हरीशचंद्र मार्ग पर दंडी स्वामियों ने किया भूमि पूजन
X

Prayagraj Kumbh (NEWSTRACK)

Prayagraj Kumbh: महाकुंभ में साधु संतो के विभिन्न सम्प्रदायों का जमघट हो रहा है। तेरह अखाड़ों के बाद अब दंड धारण करने दंडी स्वामियों की भी कुंभ क्षेत्र में एंट्री हो गई। कुंभ क्षेत्र के हरिश्चंद मार्ग में दंडी स्वामियों ने अपनी शिविर स्थापना के लिए भूमि पूजन किया ।

कुंभ क्षेत्र में दंडी स्वामियों की बसने लगी बस्ती

महाकुंभ आस्था और भारतीय संस्कृति का महा समागम है । यहां सनातन धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों का अद्भुत जमघट देखने को मिलता है। मूर्ति पूजक और मूर्ति की पूजा न करने वाले सम्प्रदाय भी यहां पुण्य अर्जित करने के लिए अपने शिविर लगाते है। मूर्ति पूजा न करने वाले दंडी स्वामियों ने कुंभ क्षेत्र में अपने शिविर स्थापित करने के लिए गुरुवार को भूमि पूजन किया। अपर कुंभ मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी सहित मेला प्रशासन के कई अधिकारियों की उपस्थिति में भूमि पूजन का अनुष्ठान संपन्न हुआ।

दण्डी संतों में जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी महेशाश्रम महराज, पीठाधीश्वर स्वामी विमलादेव आश्रम, पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्माश्रम महराज, पीठाधीश्वर स्वामी शंकराश्रम महराज, पीठाधीश्वर स्वामी रामाश्रम महराज, स्वामी राजेश्वर आश्रम, स्वामी ब्रह्आश्रम, स्वामी नर्मदेश्वर आश्रम सहित बड़ी संख्या में दण्डी संत भी शामिल हुए।

दंडी स्वामियों से चुने जाते हैं चार शंकराचार्य

महाकुंभ मेला प्रशासन ने महाकुंभ मेला में शिविर लगाने के लिए दण्डी संतों को गुरुवार को हरिश्चंद्र मार्ग पर जमीन आवंटित किया। दण्डी संतों ने आज ही वहां अपने संप्रदाय का भूमि पूजन भी किया । दंडी स्वामियों के विषय में कहा जाता है कि ये संत बहुत कठिन जीवन जीते हैं । माता पिता और पत्नी के परलोक सिधारने के उपरांत गृहस्थ दंडी स्वामी की दीक्षा लेकर दंड धारण कर सकता है। दंडी स्वामी अपने हाथ से बना खाना नहीं खाते। भिक्षा से मिला अन्न ही वह खाते हैं।बिस्तर पर सोना भी उन्हें वर्जित है। वो सिले हुए वस्त्र नहीं पहनते हैं ।

माना जाता है दंडी स्वामी अपनी दैनिक जीवन की प्रक्रियाओं से गुजरते हुए और ध्यान के साधन के माध्यम से खुद को परमात्मा से जोड़ लेते हैं। इसी कारण उन्हें मूर्तिपूजा की जरूरत नहीं होती। इन्ही दंडी स्वामियों के बीच से चारों पीठों के शंकराचार्य का चयन किया जाता है। मरणोपरांत दंडी स्वामी का शरीर अग्नि में जलाया नहीं जाता।



\
Ragini Sinha

Ragini Sinha

Next Story