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Prayagraj MahaKumbh 2025: महाकुंभ में नागा साधुओं को देखने के लिए अखाड़ों में उमड़ी श्रद्धालुओं भीड़, देखें तस्वीरें

Prayagraj MahaKumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में नागा साधुओं को देखने के लिए अखाड़ों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। नागा साधुओं की वेशभूषा भक्तों के लिए एक कौतूहल का विषय हमेशा से रहा है।

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Published on: 2 Feb 2025 10:06 PM IST (Updated on: 2 Feb 2025 10:07 PM IST)
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प्रयागराज महाकुंभ में नागा साधुओं को देखने के लिए अखाड़ों में उमड़ी श्रद्धालुओं भीड़ Photo- Ashutosh Tripathi- Newstrack

Prayagraj MahaKumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में नागा साधुओं को देखने के लिए अखाड़ों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। नागा साधुओं की वेशभूषा भक्तों के लिए एक कौतूहल का विषय हमेशा से रहा है। लोग उनके रहन-सहन और उनके द्वारा भगवान शिव के प्रति भक्ति और शिव दर्शन के लिए की की जा रही साधना के रहस्यों को जानना चाहते हैं।

चार प्रमुख नागा की उपाधि

आपको बता दें कि कुंभ में नागा साधु बनने पर उन्हें अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। वहीं प्रयागराज के कुंभ में उपाधि पाने वाले को नागा, उज्जैन में खूनी नागा, हरिद्वार में बर्फानी नागा और नासिक में खिचड़िया नागा कहा जाता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि साधु को किस कुंभ में नागा की उपाधि मिली है।

Photo- Ashutosh Tripathi- Newstrack

वैदिक परंपरा के अंतर्गत नागा साधु अपनी साधना करते हैं।

Photo- Ashutosh Tripathi- Newstrack

नागा साधू शिव या विष्णु के उपासक होते हैं।

Photo- Ashutosh Tripathi- Newstrack

शिव की उपासना करते हुए नागा साधुओं का मकसद आत्मज्ञान, धर्म की रक्षा करना, और मोक्ष पाना होता है।

Photo- Ashutosh Tripathi- Newstrack

किसी को भी नागा साधु बनने के लिए, सबसे पहले ब्रह्मचारी बनना होता है।

Photo- Ashutosh Tripathi- Newstrack

इस प्रक्रिया में नागा साधुओं को लंबे बाल रखने होते हैं। नागा साधुओं की दिनचर्या में गुरु की सेवा, तपस्या, और साधना शामिल होती है।

Photo- Ashutosh Tripathi- Newstrack

नागा साधुओं तीन साल गुरुओं की सेवा करने और धर्म-कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है।

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इन लोगों की साधना और तपस्या बड़ी ही कठीन होती है, नागा साधुओं को अखाड़े के आदेशानुसार पैदल भ्रमण भी करना होता है।

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सभी लोगों के दिमाग में यह बात जरूर आती है कि महाकुंभ के बाद नागा साधु कहां चले जाते हैं? तो आपको बता दें कि महाकुंभ के बाद कुछ नागा साधु अपने अखाड़े के आश्रम में चले जाते हैं। कुछ नागा साधु तपस्या के लिए हिमालय या ऊंचे पहाड़ों की गुफाओं में भी रहते हैं।



Shashi kant gautam

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