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UP: जूना अखाड़े ने महामंडलेश्वर महेंद्रानंद गिरि को बनाया जगतगुरु, जानें क्यों हो रही चर्चा?
UP News: जूना अखाड़ा ने पहला दलित जगतगुरु बनाया है। 2018 में जूना अखाड़े ने पहला दलित महामंडलेश्वर बनाया था।
UP: लोकसभा चुनाव में जहां एक तरफ जातियों को मुद्दा बनाकर सियासत किया जा रहा है, उसी बीच जातीय भेदभाव को खत्म कर हिंदुओं को एकजुट करने के उद्देश्य से जूना अखाड़े ने एक बार फिर बड़ी पहल की है। 2018 में जूना अखाड़े ने पहला दलित महामंडलेश्वर बनाया था और अब पहला दलित जगतगुरु भी बनाया है। गुजरात के महामंडलेश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि को जूना अखाड़ा ने जगतगुरु की पदवी दी है। बता दें, महामंडलेश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि अनुसूचित जाति के हैं। जूना अखाड़े की तरफ से जगतगुरु बनाए जाने के बाद उनका पट्टाभिषेक समारोह प्रयागराज के मौजगिरि आश्रम में संपन्न हुआ।
देश में जातीय मतभेद मिटाने का संदेश
बता दें, इस पट्टाभिषेक समारोह में देश के पहले दलित जगतगुरु स्वामी महेंद्रानंद गिरि के अनुसूचित जाति के दो शिष्यों को महामंडलेश्वर और श्री महंत की उपाधि भी दी गई। जूना अखाड़े के संतों के अनुसार, देश से जातीय मतभेद खत्म करने, सनातन धर्मियों को एकजुट करने, धर्मांतरण रोकने और सनातन का प्रभाव देश दुनिया में बढ़ाने के उद्देश्य से यह फैसला लिया गया है।
महामंडलेश्वर महेंद्रानंद गिरि को जगतगुरु की उपाधि दी गई
बता दें, स्वामी महेंद्रानंद गिरि पिछले कई सालों से जूना अखाड़े से जुड़े हुए हैं। गुजरात के रहने वाले महेंद्रानंद को जूना अखाड़े ने ही कई साल पहले महामंडलेश्वर की पदवी दी थी। आज उन्हें जगतगुरु की उपाधि दी गई है। जूना अखाड़े की तरफ से इसको लेकर प्रयागराज के मौजगिरि आश्रम में पट्टाभिषेक समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में शामिल होने के लिए काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती को विशेष अतिथि के रूप में बुलाया गया था। काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती के अलावा जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि, अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि और गाजियाबाद के दूधेश्वर धाम के पीठाधीश्वर स्वामी नारायण गिरि भी समारोह में मौजूद थे।
स्वामी राम गिरी को दी महंत की पदवी
इसी पट्टाभिषेक समारोह में जगतगुरु महेंद्रानंद के शिष्य कैलाशानंद गिरि को महामंडलेश्वर की उपाधि से नवाजा गया। जबकि दूसरे शिष्य स्वामी राम गिरी को श्री महंत की पदवी दी गई। बता दें, दोनों शिष्य भी अनुसूचित जाति से ही हैं। इन दोनों शिष्यों का भी पट्टाभिषेक किया गया।
जगतगुरु की उपाधि देकर संदेश देने की कोशिश
जूना अखाड़े ने यह पहल लोकसभा चुनाव के बीच और कुछ महीनों में आयोजित होने वाले महाकुंभ से पहले की है। जूना अखाड़ा आमतौर पर कुंभ और महाकुंभ के दौरान ही पट्टाभिषेक कार्यक्रम को आयोजित करता है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान दलित संत को जगतगुरु की उपाधि देकर देश को बड़ा संदेश देने की कोशिश की गई है।
पिछले चुनाव से पहले भी बनाए गए थे महामंडलेश्वर
जूना अखाड़े ने पिछले लोकसभा से पहले भी यूपी के पूर्वांचल में आश्रम चलाने वाले स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि को महामंडलेश्वर बनाया था। पदवी देकर उनका भी पट्टाभिषेक किया गया था। यह लोकसभा चुनाव के करीब एक साल पहले किया गया था।