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Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में ऑक्सीजन लगाकर कल्पवास करने आए महंत, साधना की इंतेहा
Maha Kumbh 2025: इंदर गिरी ने बताया कि वर्ष 1986 में पहली बार हरिद्वार के कुंभ में शामिल हुए थे। उसके बाद से ही वह हर कुंभ और अर्धकुंभ में कल्पवास करने आते हैं। बीमारी के बाद से चार सालों से वह चल नहीं पाते हैं।
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में भक्ति, ज्ञान और साधना की अद्भुत त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है। साधु संत और साधक अपने अपने तरीके से अपनी साधना कर रहे हैं। हरियाणा से आए आवाहन अखाड़े के महंत इंदर गिरी ऑक्सीजन लगाकर साधना कर रहे हैं। उनके 90 फीसदी फेफड़े खराब हैं बावजूद इसके वह अपनी साधना नहीं रोकना चाहते।
ऑक्सीजन लगाकर कल्पवास कर रहे हैं महंत इंदर गिरी
महाकुंभ की तैयारी को लेकर संगम की रेती पर अखाड़ों के साधु-संतों का आगमन शुरू हो गया है। मेले में कल्पवास करने श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा के महंत नागा बाबा इंदर गिरि हरियाणा से ऑक्सीजन लगाकर आए हैं। फेफड़े में दिक्कत होने की वजह से डॉक्टर उन्हें जवाब दे. चुके हैं।महंत ने महाकुंभ के बाद गुरु के चरणों में प्राण निकलने की अंतिम इच्छा जाहिर की है।
अग्नि साधना के दौरान हुआ था हादसा
हिसार निवासी नागा बाबा इंदर गिरि बताते हैं, वर्ष 2021 में अग्नि तपस्या करते समय उनके ऊपर पानी गिर गया था, तबसे फेफड़े में दिक्कत हो गई। छह बार फेफड़े का ऑपरेशन करा चुके हैं, लेकिन फायदा नहीं हुआ। अब तो डॉक्टर भी जवाब दे चुके हैं और हमेशा ऑक्सीजन लगाए रखने की सलाह दी है। वह चार सालों से नाक में ऑक्सीजन पाइप लगाकर अपने साथ सिलिंडर लेकर चलते हैं।
1986 में पहली बार हरिद्वार में हुए थे शामिल
इंदर गिरी ने बताया कि वर्ष 1986 में पहली बार हरिद्वार के कुंभ में शामिल हुए थे। उसके बाद से ही वह हर कुंभ और अर्धकुंभ में कल्पवास करने आते हैं। बीमारी के बाद से चार सालों से वह चल नहीं पाते हैं।ऐसे में शिष्य ही हर तरह से सेवा करते हैं और जहां जाना होता है, उन्हें उठाकर ले जाते हैं। इंदर गिरी किसी धार्मिक आयोजन या प्रवचन में शामिल नहीं हो पाते बस अपने अखाड़े में लेट कर ही अपनी साधना कर रहे हैं।