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Mahakumbh 2025: प्रख्यात टीवी एंकर चित्रा त्रिपाठी से विशेष बातचीत

Mahakumbh 2025: ये विचार हैं प्रख्यात पत्रकार और टीवी एंकर चित्रा त्रिपाठी के। चित्रा जी की त्रिवेणी तट पर उपस्थिति वसंत पंचमी स्नान के अवसर पर किसी तारिका सदृश लगी। लोक का उनके प्रति आकर्षण अद्भुत दिख रहा था। ऐसे में यह जरूरी लगा कि कुंभ स्थल पर चित्रा से कुछ चर्चा करनी चाहिए। इसी क्रम में उनसे किए गए विमर्श से उनके विचार जो उभर कर सामने आते है, उसे इस साक्षात्कार के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

Sanjay Tiwari
Written By Sanjay Tiwari
Published on: 4 Feb 2025 8:15 PM IST
Mahakumbh 2025 Acharya Sanjay Tiwari Conversation With Famous TV Anchor Chitra Tripathi
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Mahakumbh 2025 Acharya Sanjay Tiwari Conversation With Famous TV Anchor Chitra Tripathi

Mahakumbh 2025: कुंभ नगर, प्रयागराज, प्रकृति, संस्कृति और विकृति के त्रिगुण को संतुलित कर पवित्र त्रिवेणी रच पाना बहुत ही कठिन है। यह तीन गुण सनातन संस्कृति की व्याख्या में प्रत्येक सोपान में समाहित हैं। सृष्टि स्वयं त्रिगुणात्मक है। यह तीन गुण वाली सृष्टि यदि एक विशेष नक्षत्र, ग्रह और गोचर में भारत की सनातन आत्मा का आकार लेकर प्रयाग राज में अवतरित हो गई है तो यह इस पीढ़ी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

ये विचार हैं प्रख्यात पत्रकार और टीवी एंकर चित्रा त्रिपाठी के। चित्रा जी की त्रिवेणी तट पर उपस्थिति वसंत पंचमी स्नान के अवसर पर किसी तारिका सदृश लगी। लोक का उनके प्रति आकर्षण अद्भुत दिख रहा था। ऐसे में यह जरूरी लगा कि कुंभ स्थल पर चित्रा से कुछ चर्चा करनी चाहिए। इसी क्रम में उनसे किए गए विमर्श से उनके विचार जो उभर कर सामने आते है, उसे इस साक्षात्कार के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

प्रश्न - एक रिपोर्टर के रूप में अपने लंबा सफर तय किया है। बहुत कुछ देखा है। अभी आप प्रयाग में हैं। यहां क्या अनुभव कर रही है?

उत्तर - प्रयागराज में इस समय नैसर्गिक मानवीय मूल्यों का सनातन स्वरूप दिख रहा है। त्रिवेणी तट की अलौकिक ऊर्जा को सिर्फ अनुभव ही किया जा सकता है। इस असीमित निर्झर को भारत की आध्यात्मिक शक्ति के रूप में अनुभव कर रही हूँ जो वास्तव में शब्दों में व्यक्त करने की सीमा में है ही नहीं। जो मैं देख और समझ पा रही हूँ उस आधार पर कह सकती हूं कि प्रयागराज के महाकुंभ में आज यह अद्भुत दृश्य है। यह कुंभ वास्तव में सशक्त भारत का ब्रांड जैसा दिख रहा है। विश्व इस ओर आकर्षित है। भारत की उन्नति यहां दृष्टिगोचर हो रही। यह आयोजन अत्यंत हाईटेक और पूर्ण व्यवस्थित है। यह नए सनातन भारत की नैसर्गिक शक्ति का प्रस्तुतीकरण जैसा भी महसूस हो रहा।

प्रश्न - इस कुंभ से क्या संदेश मिलने की उम्मीद की जा सकती है?

उत्तर - देखिए, इस समय दुनिया में अनेक देश युद्ध में हैं। लाखों लोगों की हत्याएं हो रही हैं। इजरायल, हमास, रूस, यूक्रेन, सीरिया, फिलिस्तीन, इराक, ईरान आदि के अलावा अपने पड़ोस में भी आग लगी है। म्यांमार और बांग्लादेश सामने है। श्रीलंका को हाल में सभी ने जलते हुए देखा है। ऐसे परिवेश में करोड़ों सनातनी कुंभ में उपस्थित होकर यदि प्राणियों में सद्भावना, विश्व के कल्याण और अधर्म के नाश का उदघोष कर रहे हैं तो इसे दुनिया देख भी रही है और आशा भी लगाए है।

प्रश्न - भारत की सत्ता शक्ति और कुंभ का अंतर्संबंध भी लोग जानना चाह रहे हैं। आप इसे कैसे देखती हैं?

उत्तर - देखिए, मैं इस मामले में बहुत स्पष्ट हूं। मैं देख पा रही हूँ कि रज, तम और सत के त्रिगुण से बनी सृष्टि में गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी से कुंभ विश्व कल्याण का उदघोष कर रहा है। इसमें भारत की सत्ता शक्ति के भी तीन तत्व हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अभिभावकत्व में लौह पुरुष गृह मंत्री अमित शाह की गंभीर शैली और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सात्विक संयोजन और प्रबंधन के त्रिगुण से यह आयोजन विश्व के लिए अद्भुत बन रहा है। यह है हमारे शासन की वास्तविक शैली और सनातन चिंतन की शक्ति।

प्रश्न - अंत में आप इस महाकुंभ पर क्या कहना चाहेंगी ?

उत्तर - प्रयाग राज का महाकुंभ विश्व को यह संदेश दे रहा है कि युद्ध से नहीं, सनातन बुद्ध से ही कल्याण का मार्ग निकलेगा। एक पत्रकार के रूप में भी मुझे यह स्पष्ट दिख रहा है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक यात्राओं के संकल्पों और भारत के विश्वगुरु के रूप में स्थापना का यह समय है। सब कुछ सनातन शक्ति से ही होगा।



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