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Mahakumbh 2025: कैसे होती है कुंभ में स्नान करने वालों की गिनती?
Mahakumbh 2025: कुंभ में आने वाले यात्रियों की गिनती का काम 19वीं सदी से ही शुरू हुआ था और अलग-अलग समय पर श्रद्धालुओं की गिनती के विभिन्न तरीके अपनाए गए।
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ मेले के पहले स्नान पर्व मकर संक्रांति पर 3.5 करोड़ से भी ज्यादा लोगों के संगम पर स्नान करने का दावा किया गया है। मुख्य पर्व 29 जनवरी को है, उस दिन इससे कई गुना ज्यादा श्रद्धालुओं के आने और डुबकी लगाने की संभावना है। मकर संक्रांति से एक दिन पहले पौष पूर्णिमा पर भी करीब डेढ़ करोड़ लोगों ने स्नान किया था। यानी सिर्फ दो दिनों में पांच करोड़ से ज्यादा लोगों के स्नान का दावा प्रशासन की ओर से किया जा रहा है।
तीन शाही स्नान
प्रयागराज में कुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू हुआ है और 26 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान तीन प्रमुख शाही स्नान होंगे। अगला शाही स्नान 29 जनवरी को अमावस्या को फिर 3 फरवरी को बसंत पंचमी के मौके पर होगा। इसके अलावा माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के दिन भी कुंभ के बड़े स्नान होंगे। सबसे ज्यादा भीड़ अमावस्या पर होती है। माना जा रहा है कि इस बार के महाकुंभ में करीब 45 करोड़ श्रद्धालु स्नान करेंगे।
कैसे जुटाते हैं आंकड़े
कुम्भ में श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी संख्या को लेकर बड़ा सवाल यह है कि भीड़ के आंकड़े जुटाए कैसे जाते हैं? जानकारों के मुताबिक, कुंभ में आने वाले यात्रियों की गिनती का काम 19वीं सदी से ही शुरू हुआ था और अलग-अलग समय पर श्रद्धालुओं की गिनती के विभिन्न तरीके अपनाए गए। 1882 के कुंभ में अंग्रेजों ने संगम आने वाले सभी प्रमुख रास्तों पर बैरियर लगाकर गिनती की थी। इसके अलावा रेलवे टिकट की बिक्री के आंकड़ों को भी आधार बनाकर कुल स्नान करने वालों की संख्या का आकलन किया गया था।
बताया गया है कि इस बार कुंभ मेले में आए श्रद्धालुओं की गिनती के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए एआई से लैस कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा श्रद्धालुओं को ट्रैक करने के लिए दो सौ जगहें पर बड़ी संख्या में अस्थाई सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। प्रयागराज शहर के अंदर भी 268 जगहों पर 1107 अस्थाई सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
सौ से ज्यादा पार्किंग स्थलों पर भी सात सौ से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं जिनसे बाहर से आने वाले यात्रियों का अनुमान लगाया जाता है। श्रद्धालुओं की गिनती के लिए एआई लैस कैमरे हर मिनट में डेटा अपडेट करते हैं। जानकारी के मुताबिक एआई का इस्तेमाल करते हुए क्राउड डेंसिटी अलगोरिदम से लोगों की गिनती का भी प्रयास किया जा रहा है। एआई आधारित क्राउड मैनेजमेंट रियल टाइम अलर्ट जेनरेट करेगा, जिसके जरिए भीड़ की गिनती करना आसान होगा।
इसके अलावा मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की गिनती नावों और ट्रेनों, बसों और निजी वाहनों की संख्या से भी की जाती है। मेले में साधु-संतों और उनके कैंप में आने वाले लोगों की संख्या को भी भी श्रद्धालुओं की कुल संख्या में जोड़ा जाता है और मेले से जुड़ी सड़कों पर गुजरने वाली भीड़ को भी ध्यान में रखा जाता है। इतना होने पर भी असल संख्या बता पाना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि तमाम यात्री अलग अलग जगहों पर, अलग-अलग घाटों पर भी जाते हैं। ऐसे में उनकी गिनती एक बार से ज्यादा भी हो सकती है। बताया जाता है कि पहले पुलिस और प्रशासन की रिपोर्ट इस आधार पर तैयार होती थी कि कितनी बसें, ट्रेनें आईं और उनसे कितने लोग उतरे। निजी वाहन कितने आये, अखाड़ों में कितने लोग आए।
सांख्यिकीय तरीका
2013 के कुंभ में पहली बार स्टैटिस्टिकल विधि से भीड़ का अंदाज़ा लगाया गया था। इस तरीके के अनुसार एक व्यक्ति को स्नान करने के लिए करीब 0.25 मीटर की जगह चाहिए और उसे नहाने में करीब 15 मिनट का समय लगेगा। इस कैलकुलेशन से एक घंटे में एक घाट पर बहुत से बहुत साढ़े बारह हजार लोग स्नान कर सकते हैं। बहरहाल, भीड़ की गिनती का काफी कुछ अनुमान पर ही टिका होता है।