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Mahakumbh 2025 Update: महाकुंभ में आयोजित धर्म संसद में सनातन बोर्ड गठन का प्रस्ताव पारित
Mahakumbh 2025 Update: सनातन न्यास सेवा संस्थान के अध्यक्ष और कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने संसद में 'सनातन बोर्ड ' का प्रारूप प्रस्तुत किया जिसे सर्व सम्मति से पारित कर दिया गया।
Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में शांति सेवा शिविर में आयोजित चतुर्थ सनातन धर्म संसद में सनातन बोर्ड गठन का प्रारूप प्रस्तुत किया गया जिसे वहां उपस्थित सभी धर्माचार्यों ने अपनी स्वीकृति प्रदान की।
सनातन बोर्ड का प्रस्ताव पारित
प्रयागराज महाकुंभ में आयोजित चतुर्थ सनातन धर्म संसद में सनातन बोर्ड गठन का प्रारूप तैयार किया गया। सनातन न्यास सेवा संस्थान के अध्यक्ष और कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने संसद में 'सनातन बोर्ड ' का प्रारूप प्रस्तुत किया जिसे सर्व सम्मति से पारित कर दिया गया। देवकी नंदन ठाकुर बताते हैं कि इसे वहां मौजूद सभी संतों का समर्थन प्राप्त है। प्रयागराज महाकुंभ में आयोजित सनातन धर्म संसद का शुभारंभ जगतगुरु श्री राघवाचार्य जी महाराज और श्री देवकीनंदन ठाकुर जी द्वारा दीप प्रज्वलित करने से हुआ। जिसे सर्व सम्मति से स्वीकार कर लिया गया।
क्या है सनातन बोर्ड का मसौदा
देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने सनातन धर्म संसद को संबोधित करते हुए कहा कि यह सनातन धर्म संसद धर्म की रक्षा और पुनर्स्थापना के उद्देश्य से आयोजित की गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदू संस्कृति और परंपराओं को नष्ट करने के लिए विभिन्न षड्यंत्र किए गए, जिनमें से सबसे बड़ा षड्यंत्र लॉर्ड मैकाले का था। उन्होंने हमारे गुरुकुल प्रणाली को समाप्त कर संस्कृत भाषा को हटाकर अंग्रेजी भाषा थोप दी, जिससे हमारी संस्कृति और शिक्षा प्रणाली को गहरी चोट पहुंची। उनका कहना है कहा कि एक संस्कारविहीन समाज देश की भलाई नहीं कर सकता। देश के उत्थान के लिए संस्कार अत्यंत आवश्यक हैं, और यह संस्कार हमें हमारे धर्मगुरु, संत, महात्मा, आचार्य और शंकराचार्य प्रदान करते हैं।
वक्फ बोर्ड ने यह दावा किया है कि जहां कुंभ आयोजित हो रहा है, वह भूमि उनकी है। इस पर उन्होंने चिंता जताई कि अगर वक्फ बोर्ड इस तरह से पूरे भारत पर दावा कर दे, तो हिंदू समाज कहां जाएगा? उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि यदि पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू बोर्ड नहीं हैं, तो भारत में वक्फ बोर्ड की आवश्यकता क्यों है? भारत के सभी मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाना चाहिए। मंदिरों के धन का उपयोग गुरुकुलों के निर्माण के लिए किया जाएगा, जहां गीता, रामायण और महाभारत जैसे धर्मग्रंथों की शिक्षा दी जाएगी। इन आधुनिक गुरुकुलों में धर्म के साथ-साथ कंप्यूटर और आधुनिक विषयों की शिक्षा भी दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, मंदिरों की संपत्ति का उपयोग औषधालयों के निर्माण में किया जाएगा ताकि लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। 'लवजिहाद' से हिंदू बहन-बेटियों को बचाने के लिए विशेष कदम उठाए जाएंगे।
मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण जी के भव्य मंदिर का निर्माण किया जाए और केशव देव जी की मूर्ति, जो आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दबी हुई है, उसे बाहर लाया जाए। सनातनी बच्चों के विवाह संस्कार केवल सनातनी परिवारों में होने चाहिए। देश में सनातन बोर्ड का गठन हो, जिसमें चारों शंकराचार्य और वैष्णव आचार्य यह तय करेंगे कि पूजा पद्धति कैसी होनी चाहिए। महाराज श्री ने कहा कि यह सरकार का काम नहीं है कि वह हमें बताए कि पूजा कैसे करनी चाहिए।
संसद में ये संत रहे मौजूद
इस अवसर पर जगतगुरू श्री राघवाचार्य जी महाराज, जगद्गुरु विद्या भास्कर जी महाराज, जगद्गुरु बल्लभ दास जी महाराज, साध्वी सरस्वती जी , जगद्गुरु श्री श्री जी महाराज, जगद्गुरु श्री राघवाचार्य जी महाराज, जगद्गुरु श्री वल्लभाचार्य जी महाराज, साध्वी प्राची देवी जी, महामंडलेश्वर अरुण चैतन्यपुरी जी महाराज, महंत श्री राजू दास जी महाराज, पूज्य मेवाड़ पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 सुदर्शनाचार्य जी महाराज , महामंडलेश्वर स्वामी वेदमूर्ति जी महाराज, पूज्य श्री विकास जी महाराज (वृंदावन), स्वामी श्री रामदास जी महाराज (वलसाड), सिख संत बाबा हरजीत सिंह जी (अयोध्या), श्री अर्पित दास जी महाराज, पूज्य जैन आचार्य जितेंद्र जैन मुनि जी, जगद्गुरु सूर्याचार्य कृष्णदेवानंद गिरि जी महाराज, स्वामी कृष्णदेवानंद जी महाराज, स्वामी बलरामाचार्य जी महाराज (अक्षरधाम वृंदावन), महामंडलेश्वमर संतोष दास जी महाराज सतुआ बाबा जी, बाल योगी जी महाराज, युवाचार्य अभय दास जी महाराज, साध्वी डॉक्टर प्राची दीदी जी, महामंडलेश्वर स्वामी आशुतोषानंद गिरी जी महाराज, महामंडलेश्वर नवल किशोर दास जी महाराज, पीठाधीश्वर अनल किशोर दास जी महाराज, स्वामी सत्य प्रकाशानंद सरस्वती जी महाराज, स्वामी सुरेशानंद दास जी महाराज (बद्रीनाथ धाम) मौजूद रहे ।
चतुर्थ सनातन धर्म संसद में रखी गई ये मांगे
सनातन धर्म संसद में प्रमुख 5 मांगे रखी गई..
1 मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर की तर्ज पर मथुरा में भी भगवान श्रीकृष्ण का एक दिव्य और भव्य मंदिर का निर्माण किया जाए। यह मंदिर सनातन धर्म के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गौरव का प्रतीक बने।
2 .वैदिक प्रबंधन के अनुसार पूजा और प्रसाद की व्यवस्था सभी प्रमुख मंदिरों में पूजा और प्रसाद वितरण की व्यवस्था वैदिक मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि इन प्रथाओं में किसी भी प्रकार का व्यावसायिक हस्तक्षेप न हो।
3 .मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना, धार्मिक स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करने और सनातन धर्म की परंपराओं की रक्षा के लिए मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए। मंदिरों का प्रबंधन धर्माचार्यों और सनातन धर्म के विद्वानों द्वारा संचालित हो।
4 .गुरुकुल, गौशाला और औषधालय की स्थापना प्रत्येक बड़े मंदिर में एक गुरुकुल, गौशाला और औषधालय का संचालन सुनिश्चित किया जाए। गुरुकुल में वैदिक शिक्षा, गौशाला में गोसंरक्षण और औषधालय में आयुर्वेदिक चिकित्सा का प्रबंध हो। यह व्यवस्था समाज के सभी वर्गों को लाभान्वित करेगी।
5 .असहाय परिवारों के धर्मांतरण को रोकने के लिए आर्थिक सहायता आर्थिक रूप से कमजोर और असहाय परिवारों को धर्मांतरण से बचाने के लिए आर्थिक सहायता की व्यवस्था की जाए। उन्हें रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में प्राथमिकता दी जाए ताकि वे अपने धर्म और परंपराओं के प्रति समर्पित रह सकें। अखाड़े और शंकराचार्य नहीं रहे उपस्थित बैठक में अखाड़े और चारों शंकराचार्य की अनुपस्थिति से सवाल उठा है कि इस बैठक के प्रस्ताव का क्या महत्व रह जाएगा जब अखाड़े और शंकाराचार्य ही शामिल नहीं हुए। अखाड़ों का कहना है कि आयोजकों के साथ अभी उनकी बैठक नहीं हो पाई, शंकाराचार्य इस मुद्दे पर तटस्थ है। सरकार भी इस मसले में रुचि लेती दिख नहीं रही है।