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Mahakumbh 2025: कुंभ स्नान में किन्नर अखाड़े की धूमधाम से पेशवाई निकालने की तैयारी, इस्लाम धर्म छोड़ कर आए संत
Mahakumbh 2025 Update in Hindi: किन्नर अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के टेंट के बाहर लोगों की भीड़ दिनभर जुटती है जहां बैठे कुछ किन्नर भी वहां आने वाले श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए नजर आने हैं।
Mahakumbh Mela 2025: भारतीय पुरातन काल के इतिहास और धर्म ग्रंथों में किन्नरों का अस्तित्व हमेशा ही मौजूद मिला है। ये समाज का एक ऐसा अक्षुण्ण हिस्सा रहें हैं जिन्होंने समय-समय पर अपने मजबूत अस्तित्व को प्रमाणित किया है। बात कुंभ स्नान की करें तो आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा सनातन धर्म की रक्षा के लिए स्थापित किए गए अखाड़ों और मठों की तो ये सभी अखाड़े अपनी-अपनी परंपराओं का निर्वहन आज भी करते चले आ रहें हैं। बस समय के बदलाव के साथ जीवन शैली में थोड़ा बहुत परिवर्तन जरूर हुआ है। मुख्य रूप से चारों दिशाओं में स्थापित किए गए 4 अखाड़ों की संख्या अब बढ़कर 14 हो चुकी है। जिसमें मुख्य तौर पर 13 अखाड़े इतिहास से जुड़े हुए हैं। जिनमें शैव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े, बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े, उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े। वहीं अब 14वें अखाड़े के तौर पर किन्नर अखाड़े ने भी अपनी मान्यता हासिल कर ली है। जिसने सबसे बड़े जूना अखाड़े के साथ सामंजस्य स्थापित कर कुंभ स्नान के दौरान शिरकत कर रहा है। 2019 कुंभ स्नान के दौरान इस अखाड़े ने बकायदा अपनी भव्य पेशवाई भी निकाली थी और शिविर भी स्थापित किया था।
किन्नर अखाड़े के शिविर की विशेषता (Kinnar Akhada Importance)
किन्नर अखाड़े की विशेषता है यहां कोई करतब या अस्त्र शस्त्र का प्रदर्शन नहीं किया जाता बल्कि इस अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी अखाड़े के शिविर में सुबह से शाम तक आशीर्वाद लेने के लिए लोगों का ताता लगा रहता हैं। शिविर के अंदर बैठ कर आशीर्वाद लेने वालों में वहां आने वाले अनगिनत श्रद्धालुओं की असंख्य भीड़ के साथ ज्यादातर गर्भवती महिलाएं आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आतुर दिखाई देती हैं। वहीं इनमें साधु संत भी शामिल हैं।
आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ यहां आए श्रद्धालु सेल्फ़ी लेने का भी मौका नहीं चूकते। खास धार्मिक गतिविधियों के चलते चहल-पहल और शक्ति प्रदर्शन के दिखावे दूर इस अखाड़े में अन्य अखाड़ों की तरह संत धूमी जमाकर चिलम फूंकते नज़र आते हैं। ना ही अपने बदन पर भस्म लगाते हैं। किन्नर अखाड़े के शिविर में सादगी के माहौल के बीच सिर्फ धर्मी भजन सुने जा सकते हैं।
किन्नर अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के टेंट के बाहर लोगों की भीड़ दिनभर जुटती है जहां बैठे कुछ किन्नर भी वहां आने वाले श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए नजर आने हैं।
किन्नर अखाड़े का इतिहास (Kinnar Akhada History in Hindi)
साल 2019 का कुंभ स्नान एक मायने में बेहद खास साबित हुआ था जब इसमें किन्नर अखाड़े ने भी पेशवाई निकालने की घोषणा की थी। जब किन्नर अखाड़े के पदाधिकारी शाही पेशवाई लेकर कुंभ स्थल पर दाख़लि हुए। प्रयागराज में जब पहलीबार असंख्य किन्नरों के हुजूम के साथ इस अखाड़े की पेशवाई निकली तो लोग पहली बार किन्नरों के इस रूप को देखकर भौचक्के रह गए थे। देश विदेश की मीडिया में ये अखाड़ा मुख्य धारा में चर्चा का विषय बन गया था। इस जुलूस में किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ऊंट पर सवार होकर लोगों को आशीर्वाद दे रहे थे। इस विशाल और भव्य पेशवाई में सबसे आगे आठ बग्घियों पर अखाड़े के संत और पीछे की ओर एक वाहन में अखाड़े के आराध्य देवता महाकालेश्वर विराजमान थे।
इस जुलूस में बाजे-गाजे और झांकियां भी लोगों के बीच खास आकर्षण का केंद्र बनी हुईं थीं। आस्था के महाकुंभ में ये पहला मौका था जब किन्नर अखाड़े ने जूना अखाड़े के साथ हरकी पैड़ी में शाही स्नान में भाग लिया था। महाशिवरात्रि के मौके पर कुंभनगरी हरिद्वार में किन्नर अखाड़े ने भी शाही स्नान किया। भगवा और पीत वस्त्र में किन्नर अखाड़े का जुलूस देखने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। साल 2016 में उज्जैन कुंभ मेले से चर्चा में आए किन्नर अखाड़े ने कुंभ में जूना अखाड़े से हाथ मिलाया और उसी की छत्र छाया में आगे बढ़ने का फ़ैसला लिया। वहीं अब वैष्णव संप्रदाय का भी एक किन्नर अखाड़े को शामिल किए जाने की बात चर्चा में बनी हुई है।
किन्नरों को मान-सम्मान दिलाने के लिए धर्म है बेहतर रास्ता
किन्नरअखाड़ा बनाने की ज़रूरत पर इस अखाड़े की किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का मानना है कि ’’किन्नर समुदाय का सर्वाधिक ह्वास सनातन धर्म के कुछ कट्टरपंथियों के द्वारा किया गया है और यही वजह है कि इस जेंडर को समाज से काट कर अलग थलग कर दिया गया।लेकिन इस अखाड़े की स्थापना के पीछे मुझे किसी पद का लाभ नहीं बल्कि महामंडलेश्वर की गद्दी का सिर्फ स्वयं को एक संरक्षक मान कर चलती हूं। जब सुप्रीम कोर्ट ने हमें साल 2014 में थर्ड जेंडर के तौर पर समाज में एक मजबूत पहचान दी तब इस बात का विचार आया कि किन्नरों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए उन्हें एक सम्मानित दर्जा दिलाने के इसे सनातनी परम्परा से जोड़ना सबसे बेहतर रास्ता होगा।
यही वजह है कि शैव सम्प्रदाय से जुड़ा जूना अखाड़ा किन्नरों को हमेशा से एक सम्मानित नजर से देखता आया है। इस सबसे बड़े अखाड़े ने हमें अपने साथ जोड़ा इससे बड़ी हमारे लिए सम्मान की बात क्या हो सकती है।
इस्लाम धर्म छोड़ कर बनी अखाड़े की सदस्य
किन्नर अखाड़े की परंपरा सनातनी नियमों का पालन जरूर करती है। लेकिन इस अखाड़े की खास बात है कि यहां कई और धर्म के लोगों को भी शामिल होने का मौका दिया जाता है। इसी बात को लेकर ये अखाड़ा काफी चर्चा में आया था जब किन्नर अखाड़े की उत्तर भारत की महामंडलेश्वर भवानी ने इस्लाम छोड़कर हिंदुत्व को अपनाया और उस अखाड़े में शामिल हो गईं।
हालांकि महामंडलेश्वर भवानी जब इस्लाम धर्म से जुड़ी थीं तो कई बार हज पर भी जा चुकी हैं। लेकिन उनके साथ ये मामला भी चर्चा में बना हुआ है कि साल 2010 में इस्लाम धर्म को अपनाने से पहले वो मूल रूप से एक हिंदू परिवार से जन्मजात संबंध रखती हैं। उनका कहना है कि, ’’मैं विपरीत लिंग से जुड़ी होने के नाते लगातार हिंदू समाज से उपेक्षित की जा रही थी। और इसी वजह से मैंने हिंदू धर्म को त्याग कर इस्लाम धर्म में अपने लिए जगह तलाशनी चाही और जहां मुझे हज पर भी जाने का मौका मिला। मुझे इस्लाम ने नमाज़ पढ़ने की आज़ादी दी। मुझे हज पर जाने दिया।
महामंडलेश्वर भवानी का कहना है कि अपने घर वापस लौटना कोई गुनाह थोड़े ही है। किन्नर अखाड़े की स्थापना के साथ मुझे अपनी सनातन परंपरा में वापस लौटने की प्रेरणा मिली। अब मैं स्वाभिमान के साथ इस समाज में रहते हुए कुछ कर सकती हूं।
किन्नर अखाड़े में पड़ रही फूट
किन्नरों के सम्मान और सामाजिक अधिकारों को पुनर्स्थापित करने के साथ 2015 में किन्नर अखाड़ा का गठन लक्ष्मीनारायण अखाड़े के आचार्य के नेतृत्व में हुआ था। लेकिन आपसी विवादों के चलते अब ये अखाड़ा फूट की भेंट चढ़ गया है। इस अखाड़े की एक संस्थापक सदस्य उत्तर भारत की महामंडलेश्वर भवानी मां ने अब अलग कर लिया। जिसके पश्चात इस अखाड़े की सदस्य हिमांगी सखी ने एक नए वैष्णव संप्रदाय से जुड़ कर नए अखाड़े को मान्यता दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। अब वैष्णव किन्नर अखाड़ा के गठन को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी का कहना है कि किसी भी नए अखाड़े को मान्यता देने के लिए एक विशेष प्रक्रिया का पालन किया जाता है। जो कि समाज में उस अखाड़े को एक मजबूत पहचान दिलाती है।
हिमांगी सखी द्वारा स्थापित किए जाने वाले नए वैष्णव किन्नर अखाड़े का उद्देश्य उन उपेक्षित किन्नरों को धार्मिक और सामाजिक पहचान दिलाना है, जो अभी तक समाज की मुख्य धारा से वंचित रखे गए हैं। साथ ही इस बात की भी जानकारी दी कि महाकुंभ 2025 में अर्धनारीश्वर धाम के नाम से एक शिविर भी लगाया जाएगा, यह शिविर किन्नर समुदाय को एकजुट कर उन्हें उनके अधिकार दिलाने का प्रयास होगा। जिसमें किन्नर समाज के लोगों को सनातनी धार्मिक आस्था से जोड़ा जाएगा।
किन्नर अखाड़े का उद्देश्य
किन्नर अखाड़े की स्थापना के पीछे उनके कई उद्देश्य निहित हैं जिसमें प्रमुख तौर पर किन्नरों के सम्मान और सामाजिक अधिकारों को बहाल करना, किन्नरों को सनातन धर्म से जोड़ना, हिंदू धर्म और ट्रांसजेंडर, एलजीबीटीक्यू जैसे विषयों पर खुलकर चर्चा करना और किन्नरों को समाज में मुख्य धारा में जोड़ना और उन्हें सामान्य नागरिक के तौर पर स्वीकार करना शामिल है।
इसके अलावा आध्यात्मिकता को किसी खास लिंग या जाति तक सीमित न मानना इस अखाड़े की विशेषता में शामिल है।
किन्नर अखाड़े से जुड़े कुछ खास तथ्य
जूना अखाड़े के अधीन किन्नर अखाड़े के सदस्य रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं और पारंपरिक पूजा-अर्चना करते हैं।
किन्नर अखाड़े के सदस्य, कुंभ मेले में शामिल होने के साथ ही
माघ मेले में भी शिविर लगाते हैं।
किन्नर अखाड़े के सदस्य, समाज में पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, और यातायात जागरूकता के लिए भी निरंतर सक्रिय रहते हैं।
किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डा लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महराज के नेतृत्व में होगा भूमि पूजन
आगामी प्रयागराज महाकुंभ मेले में किन्नर अखाड़े का शिविर लगाने के लिए भूमि पूजन की भी तैयारी चल रही है। मेला क्षेत्र के सेक्टर-16 स्थित संगम लोवर - भारद्वाज मार्ग स्थित प्लाट पर स्थापित किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक ये शिविर 15 दिसंबर तक तैयार हो जाएगा।भूमि पूजन किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महराज के नेतृत्व में होगा। भूमि पूजन में उप्र किन्नर वेलफेयर बोर्ड की वरिष्ठ सदस्य और उप्र किन्नर अखाड़ा की प्रदेश अध्यक्ष व महाकुंभ प्रभारी महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरि उर्फ टीना मां, महामंडलेश्वर पवित्रा नंद गिरी, महंत दुर्गा दास महराज सहित अन्य प्रमुख लोग शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि इस बार महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा के सभी पदाधिकारी, देश के कोने कोने से बड़ी संख्या में शिष्य और कई देशों से बड़ी संख्या में शिष्य शिविर में रहकर कल्पवास करते हुए संगम और गंगा स्नान का लाभ उठाएंगे।
महाकुंभ के दौरान शिविर में सामाजिक जागरूकता में यातायात जागरूकता, स्वच्छता , प्लास्टिक मुक्त व दोना, पत्तल और कुल्हड़ को बढ़ावा देना, महिला सशक्तिकरण और शिक्षण, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण जैसे मुद्दों का प्रचार प्रसार करेंगे। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी महराज द्वारा आगामी महाकुंभ को लेकर प्रदान की गई जानकारी के अनुसार किन्नर अखाड़ा 14 दिसंबर को अपनी भव्य पेशवाई निकालने की तैयारी कर रहा है।