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Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में नागा संयासिनी बनने की होड़, एक हजार महिलाओं का होगा दीक्षा संस्कार, रजिस्ट्रेशन शुरू

Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुम्भ नारी सशक्तीकरण को लेकर भी नया इतिहास लिखने जा रहा है। मातृ शक्ति ने अखाड़ों से जुड़ने में गहरी रुचि दिखाई है। इसके परिणाम स्वरूप प्रयागराज महाकुंभ सबसे अधिक महिला संन्यासियों की दीक्षा का इतिहास लिखने जा रहा है।

Dinesh Singh
Published on: 17 Jan 2025 10:18 PM IST
Mahakumbh 2025
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Mahakumbh 2025 ( Photo- Social Media )

Mahakumbh 2025: महाकुम्भ का आकर्षण है सनातन का श्रृंगार कहे जाने वाले 13 अखाड़े। इन अखाड़ों में शामिल होने के लिए संन्यास दीक्षा के लिए पुरुषों से अधिक महिलाओं में उत्साह दिख रहा है। इसमें भी नारी शक्ति की भागेदारी भी तेजी से बढ़ी है।

नागा संन्यासी बनने के लिए महिलाओं में लगी होड़

प्रयागराज महाकुम्भ नारी सशक्तीकरण को लेकर भी नया इतिहास लिखने जा रहा है। महाकुम्भ में मातृ शक्ति ने अखाड़ों से जुड़ने में गहरी रुचि दिखाई है। इसके परिणाम स्वरूप प्रयागराज महाकुंभ सबसे अधिक महिला संन्यासियों की दीक्षा का इतिहास लिखने जा रहा है। संयासिनी श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की महिला संत दिव्या गिरी बताती हैं इस बार महाकुम्भ में अकेले श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतर्गत 200 से अधिक महिलाओं की संन्यास दीक्षा होगी। सभी अखाड़ों को अगर शामिल कर लिया जाय तो यह संख्या 1000 का आंकड़ा पार कर जाएगी। संयासिनी श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े में इसे लेकर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है। आगामी 27 जनवरी को संन्यास दीक्षा का अनुष्ठान संभावित है।

उच्च शिक्षित महिलाओं ने दिखाई सबसे अधिक रुचि

सनातन धर्म में वैराग्य या संन्यास के कई कारण बताए गए हैं जिनकी वजह से गृहस्थ या आम इंसान वैराग्य में प्रवेश करता है। परिवार में कोई दुर्घटना, या आकस्मिक सांसारिकता से मोह भंग या फिर अध्यात्म अनुभूति इसके कारण हो सकते हैं। महिला संत दिव्या गिरी बताती हैं कि इस बार जो महिलाएं दीक्षा संस्कार ले रही हैं उसमें उच्च शिक्षा प्राप्त नारियों की संख्या अधिक है जो आध्यात्मिक अनुभूति के लिए संस्कार दीक्षित हो संन्यासी बनेंगी।

गुजरात के राजकोट से आई राधेनंद भारती इस महाकुम्भ में संस्कार की दीक्षा लेंगी । राधेनंद इस समय गुजरात की कालिदास यूनिवर्सिटी से संस्कृत में पी एच डी कर रही हैं। राधे नंद भारती बताती हैं कि उनके पिता बिजनेस मैन थे ।घर में सब कुछ था लेकिन आध्यात्मिक अनुभूति के लिए उन्होंने घर छोड़कर संन्यास लेने का फैसला किया। पिछले बारह साल से वह गुरु की सेवा में हैं। इसी तरह हिसार से आई तपस्या गिरी जो एक टीचर हैं अब अपना गृहस्थ का चोला उतारकर नागा संन्यासी बनने का इंतजार कर रही हैं।



Shalini singh

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