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Mahakumbh Kalpvas 2025: महाकुम्भ में पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ शुरू होगा 1 माह का कल्पवास, जानिए! क्या हैं कल्पवास के 21 कठिन नियम

Mahakumbh Kalpvas 2025: इस डुबकी के साथ ही संगम की रेती पर एक माह के कठिन कल्पवास की शुरूआत हो जाएगी। 1 माह की के कल्पवास से सकल पाप से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती है। मत्स्य पुराण के अनुसार, प्रयागराज में माघ मास में कल्पवास का वही फल है

Hemendra Tripathi
Published on: 13 Jan 2025 11:18 AM IST
Mahakumbh Kalpvas 2025
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Mahakumbh Kalpvas 2025 (Photo - Newstrack)

Maha Kumbh 2025: सोमवार को प्रयागराज के महाकुंभ में पौष पूर्णिमा के पर्व पर गंगा में श्रद्धालुओं की ओर से पावन डुबकी लगाई जाएगी। इस डुबकी के साथ ही संगम की रेती पर एक माह के कठिन कल्पवास की शुरूआत हो जाएगी। 1 माह की के कल्पवास से सकल पाप से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती है। मत्स्य पुराण के अनुसार, प्रयागराज में माघ मास में कल्पवास का वही फल है, जो फल रोज करोड़ों गायों के दान का है। बताया जाता है कि इस कल्पवास के 21 सबसे कठिन ऐसे नियम हैं, जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है। इन नियमों के 1 माह तक नियमित पालन से ही कल्पवास पूर्ण माना जाता है।

कल्पवास के 21 कठिन नियम, जिनका पालन करना अनिवार्य

आपको बता दें कि कल्पवास 13 जनवरी से शुरू होकर 12 फरवरी तक चलेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस महाकुम्भ में तकरीबन 10 लाख श्रद्धालुओं के कल्पवास करने का अनुमान है। इस कल्पवास माह के दौरान कल्पवास के नियमों का पालन करना सबसे कठिन माना जाता है। इन 21 प्रमुख नियमों में सत्यवचन, अहिंसा, इन्द्रियों पर नियंत्रण, प्राणियों पर दयाभाव, ब्रह्मचर्य का पालन, व्यसनों का त्याग, ब्रह्म मुहूर्त में जागना, नित्य तीन बार पवित्र नदी में स्नान, त्रिकाल संध्या, पितरों का पिंडदान, दान, अन्तर्मुखी जप, सत्संग, संकल्पित क्षेत्र के बाहर न जाना, किसी की भी निंदा ना करना, साधु सन्यासियों की सेवा, जप व संकीर्तन, एक समय भोजन, भूमि शयन, अग्नि सेवन न कराना और देव पूजन शामिल है।

तीर्थ-पुरोहितों के सानिध्य में कल्पवास का संकल्प लेंगे कल्पवासी श्रद्धालु

बताया जाता है कि महाकुम्भ के चलते प्रयागराज में कल्पवासी एक सप्ताह पहले ही मेला क्षेत्र में आना शुरू हो गए थे। बीते रविवार देर रात तक कल्पवासियों के आने का सिलसिला जारी रहा। ये कल्पवासी सोमवार को पौष पूर्णिमा के मौके पर शुभ मुहुर्तू में गंगा स्नान करने के बाद तीर्थ-पुरोहितों के सानिध्य में कल्पवास का संकल्प लेंगे। इस संकल्प के साथ ही कल्पवास के नियमों का पालन भी शुरू हो जाएगा। कल्पवासी अपने शिविर के बाहर तुलसी का वृक्ष रखकर पूजन अर्चन करेंगे। साथ ही जौ भी बोएंगे। मान्यता है कि इस दौरान जौ जिस तरह से बढ़ता है, उसी तरह से उसे बोने वाले कल्पवासी के सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

माघ माह में निवास करते हैं 33 करोड़ देवता

तीर्थपुरोहित पं. स्वामी नाथ दुबे बताते हैं कि गृहस्थ जीवन में व्यक्तियों की ओर से जाने-अनजाने बहुत से पाप व अधर्म होते रहते हैं, जिनका उन्हें एहसास भी नहीं होता है। लेकिन इसी के साथ तीर्थराज प्रयाग में एक माह तक कल्पवास करने से इन सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। वे बताते हैं कि माघ मास के दौरान प्रयाग की पुण्य भूमि पर 60 करोड़ 10 हजार तीर्थ और 33 करोड़ देवता निवास करते हैं। इस माघ मास में सभी देवता मनुष्य का रूप धारण करके कल्पवास से मनुष्यों के क्षरण होते पापों को देखते हैं।



Shalini Rai

Shalini Rai

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