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Mahakumbh 2025: महाकुंभ में संन्यास पर संग्राम, संन्यास दिलाने वाले महामंडलेश्वर अखाड़े से निष्कासित
Mahakumbh 2025: एक नाबालिग लड़की को संन्यास दिलाने वाले जूना अखाड़े के संत को अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और नाबालिग लड़की का संन्यास रद्द कर दिया गया है।
Mahakumbh 2025: महा कुम्भ नगर। प्रयागराज महाकुंभ में संन्यास दिलाने के एक मामले को लेकर संग्राम छिड़ गया है। एक नाबालिग लड़की को संन्यास दिलाने वाले जूना अखाड़े के संत को अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और नाबालिग लड़की का संन्यास रद्द कर दिया गया है। संन्यास वापसी का अपने तरह का यह पहला मामला बताया जा रहा है। त्रिवेणी के तट पर 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ के पहले जूना अखाड़े के एक नए विवाद ने ऐसा तूल पकड़ा कि पूरा अखाड़ा हिल गया । श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की पूर्ण पीठ की आपात बैठक बुलाई गई और उसके बाद वह हुआ जो जूना अखाड़े के इतिहास में शायद पहली बार हुआ । जूना अखाड़े के महा मंडलेश्वर कौशल गिरी को सात साल के लिए अखाड़े से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक हरि गिरी के अनुसार उस नाबालिग बच्ची का संन्यास भी वापस करा दिया गया जिसे कौशल गिरी ने संन्यास दिलाया था। बच्ची अब अपने मां बाप के पास जा चुकी है।
आखिर क्यों वापस लिया गया संन्यास
हर अखाड़े में संन्यास की परम्परा है जिसके अनुसार किसी गृहस्थ या नए सदस्य को संन्यास दिया जाता है। इसमें इस बात का भी उल्लेख है कि अगर संन्यास लेने में अखाड़े की नियम संहिता का पालन नहीं हुआ है तो अखाड़े की महा सभा बहुमत से उस पर अपना फैसला दे सकती है। नाबालिग लड़की के मामले में भी यही हुआ। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक हरि गिरि महाराज का कहना कि अखाड़े की नियमावली के मुताबिक नाबालिग को संन्यास नहीं दिया जाता। आम तौर पर 18 वर्ष की उम्र पर ही संन्यास दिया जाता है। लड़की नाबालिग थी इसलिए 13 वर्षीय बच्ची का संन्यास वापस कर दिया गया है। अखाड़े के नियमों का उल्लंघन का मामला भी इसमें बनता है इसलिए संन्यास दिलाने वाले कौशल गिरी पर भी कार्यवाही हुई है। उन्हें सात साल के लिए जूना अखाड़े से बाहर कर दिया गया है।
क्या था पूरा मामला
यूपी के आगरा के रहने वाले संदीप उर्फ दिनेश सिंह धाकरे पेशे से एक पेठा कारोबारी हैं। उनके दो बेटियां है जिसमें एक की उम्र 13 साल और दूसरी की सात साल है। दोनों बेटियां आगरा के कांवेंट स्कूल स्प्रिंगफील्ड इंटर कालेज में नौवीं और दूसरी में पढ़ाई करती थी। कारोबारी संदीप का परिवार श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के संत कौशल गिरि को अपना गुरु मानता था। बड़ी लड़की परिवार के साथ रविवार को महाकुंभ में आई थी। बताया जा रहा है कि नागाओं को देखकर उसने संन्यास लेने का फैसला किया और उसने परिवार के साथ घर जाने से मना कर दिया था। इसके बाद लड़की के माता-पिता ने उसे जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि को दान कर दिया था। कौशल गिरी ने उसका नाम गौरी गिरी कर दिया था।