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Prayagraj: 'रोड नही तो वोट नहीं' का बैनर लगाकर जनता ने Lok Sabha Election का किया बहिष्कार
Prayagraj News: लोकसभा चुनाव के पहले प्रयागराज में अनोखा विरोध देखने को मिला। झलवा स्थित इरवो कॉलोनी के लोगों ने 'रोड नहीं तो वोट नहीं' का बैनर लगाकर चुनाव का बहिष्कार किया है।
Prayagraj News: देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होना है। ऐसे में देश में आचार संहिता लगने के दूसरे दिन संगम नगरी प्रयागराज के पॉश इलाके से अनोखी तस्वीर भी सामने आई है। शहर के झलवा स्थित इरवो कॉलोनी के लोगों ने "रोड नही तो वोट नहीं" का एक बैनर लगा कर आगामी चुनाव का बहिष्कार किया है।
बैनर लगाकर किया प्रदर्शन
कॉलोनी के गेट के बाहर भारी संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान बड़ी संख्या में हर वर्ग के लोग मौजूद रहे जिसमें छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल रहे। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि बीते 16 सालों से कॉलोनी की सड़क नहीं बनी है। इस दौरान अधिकारी और नेताओं से सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। पीडीए द्वारा जमीन लेकर सभी लोगों ने अपना आशियाना बनाया है। साथ ही साथ ही साथ डेढ़ करोड़ से अधिक का टैक्स भी इस कॉलोनी के लोगों के द्वारा दिया जाता है। गौरतलब है कि चुनाव आने से पहले ऐसी तस्वीरें ग्रामीण इलाकों में देखी जाती थी लेकिन इस बार शहरी इलाके से यह तस्वीर सरकार के लिए चिंता जरूर पैदा कर सकती है।
सिद्धार्थ नाथ सिंह हैं इलाके के विधायक
महिलाओं का कहना है कि आए दिन घटना दुर्घटना होती रहती है। मोहल्ले के बच्चों को हमेशा ही सड़क की वजह से चोट लगती रहती है। कई बार आश्वासन मिलने के बाद भी जब रोड नहीं बनी तब इस बार के स्थानीय लोगों ने फैसला लिया है की अगर 24 मई तक रोड नहीं बनी तब कोई भी व्यक्ति इस बार वोट डालने नही जाएगा। खास बात यह है कि इस इलाके के विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह हैं, जिनको स्थानीय लोगों ने कई बार इस विषय के बारे में जानकारी दी फिर भी कोई हल नहीं निकला। सोसाइटी के अध्यक्ष ए के तिवारी का यह भी कहना है कि पूरे कलोनी की जमीन पीडीए से लिया गया है। वाटर टैक्स, सीवर टैक्स सब कॉलोनी के लोग देते आ रहे हैं। बरसात के मौसम में स्तिथि भयावह हो जाती है। आए दिन दुर्घटना होती रहती है। महिलाए भी बेहद परेशान है, बच्चो के लिए भी सड़क न बनना एक मुसीबत बना हुआ है। गौरतलब है कि आगामी 25 मई को प्रयागराज में चुनाव होना है और चुनाव से पहले अगर अधिकारियों ने कॉलोनी वालों को संतुष्ट जवाब नहीं दिया तो मतदान में इसका बड़ा असर पड़ेगा।