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Mahakumbh 2025: सनातन धर्म और संस्कृति का साकार दर्शन

Mahakumbh 2025: सनातन धर्म की गहराई और व्यापकता इसे अन्य सभी धार्मिक परंपराओं से अलग बनाती है। यह धर्म "धारयति ते धर्मः" के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका अर्थ है जिसे धारण किया जाए, वही धर्म है। इसकी परिभाषा आकाश की तरह असीम और अनंत है।

Harishchandra Senior BJP Spokesperson
Published on: 25 Jan 2025 11:09 AM IST
Mahakumbh 2025
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 Mahakumbh 2025 ( Pic- Soacial- Media)

Mahakumbh 2025: महाकुंभ प्रयागराज विश्व का सबसे बड़ा और पवित्र धार्मिक आयोजन है। यह केवल एक आयोजन नहीं है, बल्कि सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। महाकुंभ न केवल भारत बल्कि पूरी मानवता के लिए एक संदेश है- धर्म, समरसता, और शाश्वत मूल्य की स्थापना का।

सनातन धर्म की गहराई और व्यापकता इसे अन्य सभी धार्मिक परंपराओं से अलग बनाती है। यह धर्म "धारयति ते धर्मः" के सिद्धांत पर आधारित है, जिसका अर्थ है जिसे धारण किया जाए, वही धर्म है। इसकी परिभाषा आकाश की तरह असीम और अनंत है। महाकुंभ इस धर्म की व्यापकता का अनुभव करने का एक अ‌द्वितीय अवसर प्रदान करता है।

सनातन धर्मः सार्वभौमिकता का प्रतीक

सनातन धर्म का मूल उद्देश्य केवल व्यक्ति या समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समूची मानवता और सृष्टि के कल्याण का मार्गदर्शन करता है। इसके सि‌द्धांत "सर्वे भवन्तु सुखिनः", "सर्व भूत हिते रतः", और "सिया राम मय सब जग जानी" केवल विचार नहीं, बल्कि जीवन का आदर्श हैं। यह धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि हर जीव के साथ प्रेम और सम्मान का व्यवहार करने की शिक्षा देता है।

महाकुंभ में यह आदर्श सजीव हो उठते हैं। करोड़ों श्रद्धालु जाति, धर्म, भाषा, और पंथ की विविधता को पीछे छोड़कर त्रिवेणी में स्नान करते हैं, एक साथ भोजन करते हैं और सत्संग में भाग लेते हैं। यह आयोजन इस बात का प्रतीक है कि जब इतने बड़े स्तर पर भेदभाव से मुक्त होकर लोग एकजुट हो सकते हैं, तो यह हमारे दैनिक जीवन में भी संभव है।

प्रकृति और सृष्टि के प्रति सम्मान

सनातन धर्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सृष्टि के प्रत्येक तत्व को पूजनीय मानता है। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, सूर्य, चंद्रमा, ग्रह, नक्षत्र, नदी, तालाब, वृक्ष, वनस्पति- हर तत्व की वंदना इस धर्म का हिस्सा है। त्रिदेव, देवी-देवता, शक्ति और ब्रह्म तक सभी की पूजा इस धर्म में समाहित है।

महाकुंभ का आयोजन इस व्यापकता का सबसे बड़ा उदाहरण है। यहाँ हर प्रकार के साधु-संत, महंत, योगी, आचार्य, और साधक उपस्थित होते हैं। शैव, वैष्णव, शाक्त, अ‌द्वैत, द्वैत सभी परंपराएँ एक साथ अपने-अपने अनुष्ठानों के माध्यम से सनातन धर्म की विशालता को प्रकट करती हैं।

पुरुषार्थ चतुष्टय का साकार रूप

सनातन धर्म में पुरुषार्थ चतुष्टय-धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का सिद्धांत दिया गया है। महाकुंभ इस सिद्धांत का सजीव उदाहरण है। यहाँ धर्म की पवित्रता, अर्थोपार्जन के अवसर, कामनाओं की पूर्ति के साधन, और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग सभी उपलब्ध हैं।

महाकुंभ में यज्ञ, जप, तप, योग, और विविध साधना पद्धतियाँ सहज रूप से देखी जा सकती हैं। साधु और संत यहाँ जीवन के हर पहलू पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। चाहे किसी की कामनाओं की पूर्ति हो, चाहे मोक्ष की प्राप्ति-यहाँ हर व्यक्ति को अपनी आध्यात्मिक यात्रा के लिए सही दिशा मिलती है।

विश्व के लिए प्रेरणा

आज की दुनिया युद्ध, आतंकवाद, पर्यावरण विनाश, और असमानता जैसी समस्याओं से से जूझ रा रही है। महाकुंभ का आयोजन इन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। यहाँ करोड़ों लोग बिना किसी भेदभाव के एकत्र होते हैं और अपनी आस्थाओं के अनुसार धर्म का पालन करते हैं। यह आयोजन एक संदेश है कि जब इतनी विविधता के बावजूद लोग एकता और समरसता के साथ रह सकते हैं, तो यह पूरे विश्व में संभव 1महाकुंभ का संदेश केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानवता के लिए व्यापक प्रेरणा है। यह आयोजन यह सिखाता है कि प्रेम, सम्मान, और सह-अस्तित्व ही मानव जीवन का आधार होना चाहिए।

महाकुंभ का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

महाकुंभ केवल वर्तमान का उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारत की प्राचीन परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। यह आयोजन हर 12 वर्षों में चार अलग अलग स्थानौ प्रयागराज, हरि‌द्वार, उज्जैन, और नासिक में होता है। यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है और इसमें समय के साथ कोई बदलाव नहीं आया है।

महाकुंभ का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही यह भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव भी है। यहाँ एक और योग, ध्यान, और सत्संग के माध्यम से आत्मा की शु‌द्धि होती है, तो दूसरी ओर यह आर्थिक गतिविधियों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी केंद्र बनता है।

मोदी और योगी का नेतृत्व

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महाकुंभ प्रयागराज का आयोजन अभूतपूर्व स्तर पर हुआ है। यह आयोजन न केवल भव्यता और दिव्यता का प्रतीक बना, बल्कि विश्व स्तर पर भारत की सांस्कृतिक शक्ति का प्रदर्शन भी हुआ।

योगी जी के नेतृत्व में प्रयागराज महाकुंभ को आधुनिक सुविधाओं और प्राचीन परंपराओं का संगम बनाया गया। सरकार ने आयोजन की हर छोटी-बड़ी आवश्यकता का ध्यान रखा, जिससे यह आयोजन एक ऐतिहासिक सफलता बन सका।

महाकुंभ से सीख

महाकुंभ हमें यह सिखाता है कि जब करोड़ों लोग एक साथ आकर भेदभाव से ऊपर उठ सकते हैं, तो यह हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में भी संभव है। यह आयोजन एक संदेश है कि प्रेम, समरसता, और संह-अस्तित्व ही वह मार्ग हैं, जिन पर चलकर मानवता सुखी और शांतिपूर्ण जीवन जी सकती है।

सनातन धर्म की यह दिव्यता और व्यापकता न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा है। महाकुंभ प्रयागराज से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि जब इतना बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन समरसता का उदाहरण बन सकता है, तो इसे अपने जीवन में अपनाकर हम भी विश्व कल्याण में योगदान दे सकते हैं।



Shalini Rai

Shalini Rai

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