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सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को राहत, हाईकोर्ट से मिली जमानत
Prayagraj News : बंग्लादेश नागरिक के फर्जी प्रमाणपत्र बनवाने के मामले में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को राहत मिल गई है।
Prayagraj News : बंग्लादेश नागरिक के फर्जी प्रमाणपत्र बनवाने के मामले में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को राहत मिल गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए इरफान सोलंकी सहित तीन आरोपियों को जमानत दे दी है। हालांकि इरफान सोलंकी जेल से बाहर आएंगे या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज राजीव मिश्रा ने मंगलवार को सपा के पूर्व इरफान सोलंकी, पार्षद मन्नू रहमान और बांग्लादेशी नागरिक रिजवान की जमानत याचिका पर सुनवाई की। इस मामले में एक अन्य आरोपी हिना को पहले ही जमानत मिल चुकी है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपियों ने सह अभियुक्त हिना की जमानत को आधार बनाकर अपने तर्क रखे थे। उनका तर्क था कि उन पर जो भी आरोप लगाए गए हैं, वह सत्य नहीं है। उनके खिलाफ कोई भी साक्ष्य नहीं हैं। बांग्लादेश से रिजवान जब भारत आया था, तब उसके पास वैध वीजा था। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तीनों जमानत को सशर्त मंजूर कर लिया है।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि रिजवान बांग्लादेश नागरिक है। वह कानपुर आया था, इस दौरान उसने कानपुर की रहने वाली हिना से शादी की थी और उसके बाद वह वापस बांग्लादेश चला गया था। वहां हिना ने बांग्लादेश की नागरिकता ले ली थी। वर्ष 2016 में वह फिर कानपुर वापस आया और यहां अपने तीन बच्चों के एडमिशन के लिए फर्जी दस्तावेज बनवाए थे। इस आरोप में पुलिस ने रिजवान और हिना व उसके तीन बच्चों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस जांच के दौरान यह पाया गया कि फर्जी प्रमाणपत्र बनवाने में सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी और पार्षद मन्नू रहमान ने उनका सहयोग किया। इसके बाद पुलिस ने इन दोनों अभियुक्तों का नाम शामिल कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।
जेल से रिहा होने पर संशय
गौरतलब है कि बांग्लादेशी नागरिक के फर्जी प्रमाण बनवाने के मामले में हाईकोर्ट ने इरफान सोलंकी को भले ही जमानत दे दी हो, लेकिन अभी उसके जेल से बाहर आने पर संशय बरकरार है। दरअसल, दरअसल, कानपुर के जाजमऊ निवासी फातिमा के घर में आग लगाने के मामले में इरफान सोलंकी, उसके भाई रिजवान सोलंकी, शौकत अली, मोहम्मद शरीफ और अनूप यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। एमपी एमएलए कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए उन्हें दोषी करार दिया था और सात साल की सजा सुनाई थी।