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Mahakumbh 2025: संसद में धर्माचार्यों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मुद्दे में महाकुंभ में शुरू बहस, आपस में भिड़ गए संत
Prayagraj Mahakumbh 2025: धार्मिक आस्था और अध्यात्म के महा समागम प्रयागराज महाकुंभ में भी धर्म और सियासत को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। इस बार मुद्दा है धर्माचार्यों को संसद में आरक्षण का।
Mahakumbh 2025 Today News: धार्मिक आस्था और अध्यात्म के महा समागम प्रयागराज महाकुंभ में भी धर्म और सियासत को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। इस बार मुद्दा है धर्माचार्यों को संसद में आरक्षण का। धार्मिक आस्था और अध्यात्म के महा समागम प्रयागराज महाकुंभ में भी धर्म और सियासत को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। इस बार मुद्दा है धर्माचार्यों को संसद में आरक्षण का।
संसद में मिले सनातनी धर्माचार्यों को आरक्षण
देश की संसद में सीटों के आरक्षण में अब धर्माचार्यों ने भी अपनी हिस्सेदारी के दावे शुरू कर दिए हैं। देश की संसद में सनातनी धर्माचार्यों के लिए 10 फीसदी आरक्षण के मामले ने प्रयागराज महाकुंभ में दस्तक दे दी है। प्रयागराज महाकुंभ पहुंचे कथा वाचक देवकीनंदन ने कहा है कि देश कि संसद में 50 सीटें सनातनी धर्माचार्यों के लिए आरक्षित होनी चाहिए। देवकी नंदन का कहना है कि संसद में सभी पार्टियों के लिए बाध्यकारी बना दिया जाय कि वह 10 फीसदी अपनी सीटों पर चुनाव ही न लड़े बल्कि उसे धर्माचार्यों के लिए आरक्षित कर दिया जाय। इससे धर्माचार्य निर्विरोध चुनकर संसद आयेंगे।
संतों में आरक्षण पर नहीं बन रही सहमति
इधर देवकी नंदन के इस प्रस्ताव को लेकर संत समाज में असहमति के सुर उठने लगे हैं। कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर की इस मांग को लेकर कथावाचक समुदाय ने ही अपनी असहमति देनी शुरू कर दी है। कथावाचक और राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे डॉक्टर राम कमल वेद वेदांती ने कहा है कि इसकी कोई जरूरत नहीं है जिसका जो कार्य है उसे वही करना चाहिए । संत समाज से जुड़े लोग पहले ही संसद में अपनी क्षमता और लोक प्रियता से संसद में हैं।
अखाड़ा परिषद ने बीच का रास्ता अपनाया
इधर इस मुद्दे को लेकर अखाड़ों की प्रतिनिधि सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने अलग ही रुख अपनाया है । अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा है कि यह विषय मंथन चिंतन का है। यह किसी संत की निजी राय हो सकती है । लेकिन फिर भी इस विषय को इसी महीने महाकुंभ में होने वाली धर्म संसद में उठाया जाएगा। इसके उपरांत इसमें फैसला होगा। इस मांग से धर्म के आधार पर आरक्षण का रास्ता खुल सकता है इसीलिए साधु संत इसे विचार मंथन के बाद तय करने की बात कह रहे हैं।