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Maha Kumbh 2025: जमीन विवाद पर भड़के गोवर्धनपुरी पीठाधीश्वर, बोले जिन्हें जाना हो जाएं करोड़ों श्रद्धालु स्नान को तैयार
Maha Kumbh 2025: शंकराचार्य अधोक्षानंद देवतीर्थ ने ऐसे साधु संतों पर नाराज़गी जाहिर की है जो महाकुंभ में पर्याप्त जमीन न मिलने पर कुंभ छोड़ने की धमकी दे रहे हैं।
Maha Kumbh 2025: महाकुंभ क्षेत्र में भूमि आवंटन को लेकर चल रहे विवाद और कुछ संतो द्वारा मेला छोड़कर जाने की धमकी के मामले में गोवर्धन पुरी पीठ के शंकराचार्य अधोक्षजानंद देव तीर्थ ने निशाना साधते हुए उन्हें खरी खरी सुनाई है। देवतीर्थ ने ऐसे लोगों को कुंभ क्षेत्र से दूर ही रहने की हिदायत दी है।
जिन्हें जाना है जाएं, करोड़ों लोग इंतजार कर रहे हैं स्नान के लिए यहां
शंकराचार्य अधोक्षानंद देवतीर्थ ने ऐसे साधु संतों पर नाराज़गी जाहिर की है जो महाकुंभ में पर्याप्त जमीन न मिलने पर कुंभ छोड़ने की धमकी दे रहे हैं। महाकुंभ के सेक्टर आठ में अपने शिविर के भूमि पूजन अनुष्ठान में मीडिया से मुखातिब होते हुए अधोक्षानंद ने कहा है कि जिन्हें सुविधा चाहिए वो यहां न आए। यह त्याग और तपस्या का स्थान है जहां खुले आसमान के तले लोग गंगा स्नान करते हैं।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा है कि जो लोग व्यवस्था की मांग कर रहे हैं वह प्रपंच कर रहे हैं ऐसे लोगों को यहां आने की जरूरत नहीं है। अभी भी करोड़ों लोग यहां रहकर गंगा स्नान के लिए इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि मेले में उत्तम व्यवस्था है। मुख्यमंत्री खुद बार बार कुंभ क्षेत्र आकर संज्ञान ले रहे हैं। ऐसे में कुंभ क्षेत्र में जो लोग जमीन और सुविधाओं के नाम पर नाराज़गी दिखा रहे हैं वे यहां न ही रहे तो अच्छा है।
मौनी बाबा के महाकुंभ छोड़कर जाने की धमकी से बढ़ा था विवाद
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने, बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा, आतंकवाद का समूल विनाश करने, सेना को मजबूत करने, भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ाने, बेटियों की रक्षा व भ्रूण हत्या बंद कनरे तथा महाकुंभ के दिव्य-भव्य आयोजन के निमित्त महाकुंभ में यज्ञ आदि का अनुष्ठान करने के संकल्प से महाकुंभ क्षेत्र आए मौनी बाबा को मेला क्षेत्र में आकर वापस जाने की धमकी दे रहे थे उनका आरोप है कि मेला प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी।
मौनी बाबा नाराज होकर दिल्ली रवाना हो गए। उनका कहना है कि वह अपने आश्रम अमेठी नहीं बल्कि पीएमओ में जाएंगे और वहां जमीन की मांग उठाएंगे। मौनी बाबा हर वर्ष माघ मेला में जनकल्याण के लिए अनुष्ठान करते हैं। स्नान पर्वों पर शिविर से लेटकर संगम स्नान करने जाते हैं।