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Mahakumbh 2025: महाकुंभ में पहली बार तीन पीठों के शंकराचार्य एक मंच पर , जारी किया संयुक्त धर्मादेश,
Mahakumbh 2025:महाकुंभ में देश के तीन पीठों के शंकराचार्यों ने पहली बार मंच साझा किया है। प्रयागराज महाकुंभ में चल रही परम धर्म संसद के शिविर में तीन पीठों के शंकराचार्यों ने समवेत रूप से एक संयुक्त धर्मादेश भी जारी किया है।
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में पहली बार देश के तीन पीठों के शंकराचार्य एक ही मंच में मिले और सनातन के लिए संयुक्त धर्मादेश जारी किया। धर्मादेश में देश की एकता, अखंडता, सामाजिक समरसता और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण धर्मादेश जारी हुए हैं।
महाकुंभ में पहली बार एक मंच पर तीन पीठों के शंकराचार्य
महाकुंभ में देश के तीन पीठों के शंकराचार्यों ने पहली बार मंच साझा किया है। प्रयागराज महाकुंभ में चल रही परम धर्म संसद के शिविर में तीन पीठों के शंकराचार्यों ने समवेत रूप से एक संयुक्त धर्मादेश भी जारी किया है। श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी विधु शेखर भारती जी, द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी और ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महराज ने परम धर्मसंसद् में हिस्सा लिया और सनातन संस्कृति की रक्षा और उन्नयन के लिए 27 धर्मादेश भी जारी किए। इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी सदानंद जी ने संस्कृत भाषा के महत्व पर जोर दिया। श्रृंगेरी के शंकराचार्य विदुशेखर भारती जी ने गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने और गौ माता का विशेष रूप से रक्षा की बात कही । ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने संस्कृत भाषा के महत्व पर जोर देते हुए सरकार को संस्कृत भाषा के लिए बजट देने पर जोर दिया।
धर्मस्थलों को पुनःप्राप्ति, सरकारी नियंत्रण से मुक्ति, धार्मिक शिक्षा मौलिक अधिकार पर जोर
संयुक्त सम्मलेन के उपरांत परम धर्मसंसद् में तीनों पीठ के शंकराचार्य ने एक संयुक्त धर्मादेश भी अपने हस्ताक्षर से जारी किया। इस 27 बिंदुओं वाले धर्मादेश ने देश की एकता, अखंडता और समरसता के साथ सनातन धर्म की संस्कृति की रक्षा ,विस्तार और संस्कृत भाषा के विस्तार पर जोर दिया गया। धर्मादेश में नदियों और परिवार रूपी संस्था को बचाने के लिए सबको आगे आने का आदेश दिया गया। धार्मिक शिक्षा को हिंदुओं का मौलिक अधिकार बनाने पर भी इसमें जोर दिया गया। यह भी कहा गया कि अपने धार्मिक प्रतीकों को पहचानें और उसकी रक्षा अवश्य करें। धर्मादेश में हर विद्यालय में देवालय स्थापना पर जोर दिया गया। धर्म स्थलों को पुनः प्राप्त करने, धर्म स्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति पर जोर के अलावा धार्मिक शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने पर जोर दिया गया।
गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने का आदेश
धर्मादेश के मूल में गौ हत्या पर रोक और है माता को राष्ट्र माता घोषित करने का संकल्प था। पहले ही धर्मादेश में कहा गया कि गाय को माता मानने वाले देश भारत की धरती से गौहत्या का कलंक मिटना चाहिए। विश्वमाता गौमाता को राष्ट्रमाता का सम्मान मिलना चाहिए और उनकी हत्या को दण्डनीय अपराध पोषित करना चाहिए। गौहत्या से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप से जुड़ा हो यह हिन्दू नहीं हो सकता। उसे हिन्दू धर्म से बहिष्कृत किया जाए।