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Mahakumbh 2025: शंकराचार्य की पेशवाई में दिखी भारतीय संस्कृति की झलक, लोक संस्कृति उतरी प्रवेश मंगलम यात्रा में

Mahakumbh 2025: संगम तीरे बसे महाकुम्भ नगर में सनातन धर्म की सभी धाराओं और सम्प्रदाय का संगम हो रहा है। सनातन के ध्वज वाहक अखाड़ों के बाद अब शंकराचार्यों का प्रवेश भी हो गया है।

Dinesh Singh
Published on: 9 Jan 2025 7:41 PM IST
mahakumbh 2025 news
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Shankaracharya Peshwai glimpse of Indian culture in Folk culture in Mangalam Yatra in mahakumbh 2025  (Social Media)

Mahakumbh 2025: संगम तीरे बसे महाकुम्भ नगर में सनातन धर्म की सभी धाराओं और सम्प्रदाय का संगम हो रहा है। सनातन के ध्वज वाहक अखाड़ों के बाद अब शंकराचार्यों का प्रवेश भी महाकुम्भ नगर में हो गया है। कुम्भ क्षेत्र में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी की प्रवेश यात्रा निकाली गई जिसमें हजारों संतो ने हिस्सा लिया।

प्रवेश मंगलम यात्रा के साथ शंकराचार्य का भी कुंभ क्षेत्र में हुआ प्रवेश

महाकुम्भ में जन आस्था के सबसे बड़े आकर्षण अखाड़ों के प्रवेश के बाद अब चारों पीठ के शंकराचार्यों के प्रवेश का सिलसिला भी शुरू हो गया है। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की प्रवेश मंगलम यात्रा शहर के रामबाग से निकाली गई। पत्थरचट्टी राम बाग से शुरू हुई इस प्रवेश यात्रा में हजारों की संख्या में विभिन्न अखाड़ों के साधु संत और वेद बटुक ब्रह्मचारी भी शामिल हुए । प्रवेश मंगलम यात्रा में सबसे आगे शंकराचार्य की धर्म पताका और इसके पीछे आदि शंकराचार्य की सवारी चल रही थी। उनके पीछे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का भव्य रथ चल रहा था जिसमें सभी दिशाओं से आए मठों , महंत और श्री महंत और संत मौजूद रहे।


सम्पूर्ण भारत की संस्कृति की दिखी झलक

शंकराचार्य की इस प्रवेश मंगलम यात्रा में संपूर्ण भारत की संस्कृति जीवंत हो गई। प्रवेश यात्रा में उत्तर, दक्षिण और पूरब पश्चिम सभी दिशाओं की लोक संस्कृति और लोक संगीत की झलक भी देखने को मिली। उत्तराखंड, सिक्किम, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक से आए कलाकारों ने अपनी स्थानीय नृत्य कला और संगीत की प्रस्तुति दी तो यात्रा में दक्षिण भारत और महाराष्ट्र से आए स्थानीय ड्रम बैंड की प्रस्तुति ने सबका दिल जीत लिया। महाराष्ट्र का शिवा ढोल बैंड में एक साथ कई दर्जन ढोल की थाप से आसपास का इलाका गूंज उठा। यात्रा में डमरू नृत्य में भी शिव भक्त जमकर झूमे नाचे।

गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित करने के संकल्प को समर्पित प्रवेश मंगलम यात्रा

शंकराचार्य की प्रवेश मंगलम यात्रा का शहर के 108 स्थानों पर स्थानीय नागरिकों ने फूलों से स्वागत किया। प्रवेश यात्रा पत्थरचट्टी से मलाका, सब्जी मंडी, मोती महल चौराहा, चमेलीबाई धर्मशाला,जानसेनगंज,चौक घंटाघर, बहादुर गंज, कीटगंज होते हुए बांध के रास्ते कुम्भ मेला में प्रवेश करते हुए शंकराचार्य शिविर में पहुंची।


यात्रा में शामिल बोध गया मठ के स्वामी सत्यानंद गिरी का कहना है कि सभी संतो के बीच इस प्रवेश यात्रा के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने के लिए सभी लोग आएं। प्रवेश मंगलम यात्रा में कई रथों में भी इस संकल्प को व्यक्त करने वाले पोस्टर लगाए गए थे।



Ramkrishna Vajpei

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