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लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे की राह होगी आसान, बाढ़ में भी हो सकेगा काम

Newstrack
Published on: 15 April 2016 9:03 AM GMT
लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे की राह होगी आसान, बाढ़ में भी हो सकेगा काम
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लखनऊ: देश के सबसे लंबे लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे की "प्री कास्ट गर्डर" टेक्नोलाजी से राह आसान हुई है। इस टेक्नोलाजी का सबसे ज्यादा फायदा उस समय होगा, जब बारिश के मौसम में बाढ़ की स्थिति होने पर भी इस एक्सप्रेस वे के काम की रफ्तार थम नहीं पाएगी।

कैसे होता है "प्री कास्ट गर्डर" टेक्नोलाजी से काम

-एक्सप्रेस—वे के रास्ते में पड़ने वाले यमुना और गंगा नदी के पुलों पर लगाए जा रहे फोर लेन गर्डरों की ढलाई यार्ड में कराई जा रही है।

-तैयार गर्डर को ट्रक से लाकर यमुना और गंगा में पहले से तैयार पुलों पर रखवाया जा रहा है।

-इसके पहले अब तक पुलों पर जिस जगह गर्डर लगाने होते थे वहीं इनकी ढलाई भी की जाती थी।

"स्टील गर्डर" भी लगाए जाएंगे

-एक्सप्रेस-वे का काम 22 महीने में पूरा करने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

-बता दें, कि यह गर्डर स्टील के भी लगाए जाएंगे।

-इसके अलावा आरओबी और बड़े पुलों पर भी गर्डर लगाकर काम कराने की तैयारी है।

-खास बात यह है कि एक बार यह गर्डर लगाने के बाद काम की रफ्तार पर बाढ़ का असर नहीं पड़ेगा।

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क्या कहते हैं नवनीत सहगल

-यूपीडा के सीईओ नवनीत सहगल का कहना है कि अक्टूबर तक यह एक्सप्रेस वे बनकर तैयार हो जाएगा।

-यह देश का 302 किमी लंबा सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे है।

-मई तक 250 किमी सड़क बनाने का लक्ष्य है।

-मिट्टी भराई का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है।

-नवम्बर 2016 में इसका उद्घाटन होना है।

-इससे 3 से 4 घंटे में आगरा से लखनऊ पहुंचा जा सकेगा।

-यह परियोजना कुल 1500 करोड़ रुपए की है।

-इस एक्सप्रेस वे पर हर रोज लगभग 180,000 वर्ग मीटर मिट्टी पड़ रही है।

-58000 मीट्रिक टन पत्थर रोज पड़ रहा है।

-भूमि अधिग्रहण का सौ फीसदी काम पूरा हो चुका है।

एक्सप्रेस वे की राह में चुनौतियां

-एक्सप्रेस वे पर 4 आरओबी बनाया जाना शेष है।

-रास्तें में 16 जगहों से पावर कारपोरेशन ऑफ इंडिया की लाइन हटानी है।

-यमुना नदी पर 500 मीटर का पुल बनाना बड़ा चैलेंज है।

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