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Lucknow News: लोहिया संस्थान के मदर एंड चाइल्ड अस्पताल में प्रीनेटल जांचें शुरू, जाने पूरे डिटेल
Lucknow News Today: लोहिया संस्थान (Dr Ram Manohar Lohia Hospital) के राम प्रकाश गुप्ता मेमोरियल मदर एंड चाइल्ड स्टेट रेफरल हॉस्पिटल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में प्रसव पूर्व परीक्षण की सुविधा शुरू हो गई है।
Lucknow News Today: "अब से डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल (Dr Ram Manohar Lohia Hospital) में आने वाली गर्भवती महिलाओं को प्रीनेटल जांचों, आनुवंशिक परामर्श और भ्रूण परीक्षण (fetal autopsy) जैसी सुविधाओं के लिए अन्य केंद्रों पर नहीं जाना होगा। इससे पहले इन सुविधाओं का लाभ केवल एसजीपीजीआई (SGPGI) में ही प्राप्त किया जा सकता था। इन परीक्षणों के संबंध में अतिरिक्त जानकारी और परामर्श, सोमवार से शनिवार राम प्रकाश गुप्ता मेमोरियल मदर एंड चाइल्ड स्टेट रेफरल अस्पताल में रिप्रोडस्पिक मेडिसिन, ओपीडी कक्ष संख्या 11 से प्राप्त किया जा सकता है।" ये जानकारी प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ स्मृति अग्रवाल दी। गौरतलब है कि रिप्रोडस्टिव मेडिसिन की सहायक आचार्या डॉ. नेहा अग्रवाल ने बुधवार को गर्भवती महिला का एमनियोसेंटेसिस सफलतापूर्वक किया।
प्रीनेटल जांचें हो गई हैं शुरू
शहीद पथ स्थित राम प्रकाश गुप्ता मेमोरियल मदर एंड चाइल्ड स्टेट रेफरल हॉस्पिटल (Ram Prakash Gupta Memorial Mother and Child State Referral Hospital) में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग (Department of Obstetrics and Gynecology) में प्रसव पूर्व परीक्षण की सुविधा (Prenatal testing) शुरू हो गई है। विभाग ने गर्भवती माताओं के लिए प्रीनेटल जांचे शुरू कर दी है, जिसमें गर्भस्थ महिलाओं का अल्ट्रासाउंड (TIFFA Scan), कोरियोनिक विलस सैंपलिंग और एमनियोसेंटेसिस (Amniocentesis) आते हैं। एमनियोसेंटेसिस एक अल्ट्रासाउंड-निर्देशित प्रक्रिया है, जिसमें सुई की मदद से भ्रण के चारों और से कुछ एमनियोटिक द्रव निकाला जाता है और उसमे गुणसूत्रों की एवं आणविक जांच की जाती है। इस जांच में डाउन सिंड्रोम के अला अन्य गुणसूत्रों की खराबी और आणविक आनुवंशिक कारणों का भी पता चल सकता है।
भ्रूण की ऑटोप्सी की सुविधा भी शुरू
प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग (Department of Obstetrics and Gynecology) ने आनुवंशिक परामर्श (genetic counselling) और भ्रूण की ऑटोप्सी (Fetal autopsy) की सुविधा भी शुरू कर दी है। अगर गर्भवती महिला की उम्र 35 वर्षों से अधिक है, या गर्भावस्था में डबल या क्वाड्रपल मार्कर या non invasive prenatal screening (NIPS) नामक जांचें पॉजिटिव आयी हो, तो ये जांचे करानी चाहिए। यदि गर्भस्थ शिशु में अल्ट्रासाउंड के दौरान कोई विकृति पाई गयी है या परिवार में कोई अन्य अनुवांशिक बीमारी है या परिवार में किसी बच्चे में जन्मजात विकृति पायी गयी है। या पति-पत्नी में से एक या दोनों किसी अनुवाशिक बीमारी से ग्रसित हैं, या वाहक है, तो यह जांचे कराई जा सकती है एवं गर्भस्थ शिशु में बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
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