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डरो! कि बच्चे सरकारी स्कूल गए हैं, जहां कक्षा में रखे हैं सिलेंडर और गिर सकती है छत

भैंसवाल रोड प्राथमिक विद्यालय से, जहां विद्यालय की बिल्डिंग कभी भी धवस्त हो सकती है। कक्षाओं की दीवारों में बड़ी बड़ी दरारें आ गई हैं और बच्चों की जान को खतरा बना हुआ है। ऊंची ऊंची घास में सांप-बिच्छुओं का डर।

zafar
Published on: 2 Dec 2016 10:14 AM GMT
डरो! कि बच्चे सरकारी स्कूल गए हैं, जहां कक्षा में रखे हैं सिलेंडर और गिर सकती है छत
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डरो! कि बच्चे सरकारी स्कूल गए हैं, जहां कक्षा में रखे हैं सिलेंडर और गिर सकती है छत

शामली: धुआंधार नारेबाजी और अंधाधुंध खर्च के बाद भी सूबे में बच्चे जान हथेली पर लेकर पढ़ने जाते हैं। कहीं कछाओं की छतें और दीवारें ढहने को हैं, तो कहीं कक्षा में ही चूल्हे और जानलेवा सिलेंडर रखे हैं। फिर भी, बच्चे परिसर की गंदगी और घास-पतवार से अचानक सामने आने वाले खतरों से खेलते हुए पढ़ने पहुंच रहे हैं। ये अलग बात है कि, पढ़ने के लिए किताबें नहीं मिली हैं, और मिली हैं तो शिक्षक पढ़ा नहीं रहे हैं।

खतरे में बच्चों की जान

-कोर्ट जब तब सूबे में शिक्षा के स्तर को लेकर सरकार को फटकार लगाती रही है, लेकिन तमाम दावों के बाद भी स्कूलों की हालत जस की तस है।

-कहीं शिक्षकों की किल्लत है, तो कहीं विद्यालय सालों से बंद है। कहीं ड्रेस नहीं मिली, तो कहीं किताबें ही नहीं बांटी गईं।

-शुरू करते हैं, भैंसवाल रोड प्राथमिक विद्यालय से, जहां विद्यालय की बिल्डिंग कभी भी धवस्त हो सकती है।

-कक्षाओं की दीवारों में बड़ी बड़ी दरारें आ गई हैं और बच्चों की जान को खतरा बना हुआ है।

-परिसर और आसपास गंदगी का ढेर है और ऊंची ऊंची घास में सांप-बिच्छुओं का डर।

पढ़ें तो पढ़ाएं

-शिक्षकों का यह हाल है कि प्राथमिक विद्यालय, गोहरनी की शिक्षिका ने प्रधानमंत्री का नाम मनमोहन सिंह बताया।

-कुछ ऐसा ही है प्राथमिक विद्यालय भैंसवाल, जहां की शिक्षिका ने उपराष्ट्रपति और राज्यपाल का नाम ही नहीं सुना।

-प्राथमिक विद्यालय, लिलौन गेट की कक्षा 4 में बच्चे बैठे मिले, लेकिन अध्यापक गायब थे।

-187 बच्चों वाले इस स्कूल में बच्चे तो 123 मौजूद मिले, लेकिन 6 अध्यापकों में 2 गप्पें करते मिले, बाकी औपचारिक कामों से बाहर गए थे।

-प्राथमिक विद्यालय, मालैंडी में भी अध्यापिकाएं गप्पें मारती मिलीं। बच्चे पढ़ें भी तो क्या? किताबों का वितरण भी कुछ ही बच्चों को हुआ है।

हादसे से सबक नहीं

-सरकार ने बच्चों को ड्रेस वितरित की है, लेकिन ज्यादातर बच्चे बिना ड्रेस के ही दिखाई दिए।

-मिड डे मील का हाल जानना चाहा, तो अधिकांश रसोईघरों में ताले लटके मिले।

-आश्चर्यजनक रूप से कई कक्षाओं में बच्चों के साथ ही चूल्हे और सिलेंडर रखे मिले, जो कभी भी हादसे का रूप ले सकते हैं।

-पिछले हफ्ते ही कांधला के प्राथमिक स्कूल में सिलेंडर में आग लग गई और बड़ी दुर्घटना टल गई। लेकिन इस हादसे से भी स्कूलों ने सबक नहीं लिया है।

आगे स्लाइड्स में देखिए स्कूल के खतरों से खेलते बच्चों के फोटोज ...

डरो! कि बच्चे सरकारी स्कूल गए हैं, जहां कक्षा में रखे हैं सिलेंडर और गिर सकती है छत

डरो! कि बच्चे सरकारी स्कूल गए हैं, जहां कक्षा में रखे हैं सिलेंडर और गिर सकती है छत

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डरो! कि बच्चे सरकारी स्कूल गए हैं, जहां कक्षा में रखे हैं सिलेंडर और गिर सकती है छत

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