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कैदियों की कमाई देने के लिए जेल प्रशासन ढूंढ रहा पीड़ित परिवारों का पता, प्रक्रिया शुरु
गोरखपुर: कैदियों की कमाई का हिस्सा पीड़ित परिवार को देने के लिए जेल प्रशासन उनका नाम और पता ढूंढ रहा है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने जिलाधिकारी और SSP को इस संबंध में पत्र लिखा है पीड़ित परिवार का नाम पता ना मालूम होने के कारण पिछले 5 साल से उन्हें यह राशि नहीं दी जा सकती है।
जेल में काम करने वाले बंदियों के परिश्रमिक का एक तिहाई हिस्सा पीड़ित परिवार को भेजने का प्राविधान है। इस मद में गोरखपुर जेल में करीब दो लाख रुपए पड़ा है। उत्तराधिकारी का नाम और पता ना मालूम होने के कारण देने में असमर्थ है।। इन पैसों को जेल विभाग ने कई बार पीड़ित परिवारों को भेजने का प्रयास किया लेकिन रिकॉर्ड नहीं मिला।
आश्रितों को भेजने का नियम
कैदी रोजाना जेल में 6 से 12 घंटे काम करते हैं। रोजाना 12 घंटे काम करने के बाद उन्हें कैद में खाना और रहना ही मिलता है। कार्यकुशलता के आधार पर उन्हें 40,30 और ₹25 प्रतिदिन के हिसाब से पारिश्रमिक मिलती है इस रकम की एक तिहाई राशि पीड़ित परिवार के आश्रितों को भेजने का नियम है।
कवायद शुरु
इस संबंध में वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ रामधनी ने बताया कि यहां आते ही कैदी और जरूरतमंदों के पैसों के बारे में जानकारी हुई। पुरानी फाइल कैदियों की पारिश्रमिक का हिसाब और संबंधित लोगों तक उस राशि को भेजने की कवायद शुरु हो गई है। जल्द ही सभी फाइलों को व्यवस्थित करने के बाद इन राशियों को हकदारों तक पहुंचाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।