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Sonbhadra News: बंदी को पीना पड़ा धूप से खौलता पानी, हालत बिगड़ने-मौत के बाद भी नहीं दिखी संजीदगी

Sonbhadra News: बकाए के मामले में राजस्व बंदीगृह में बंद किए गए राबटर्सगंज के धर्मशाला चौक निवासी दुकानदार सुधाकर द्विवेदी और इस दौरान हालत बिगडने के चलते हुई मौत के चर्चित मामले में बड़ा खुलासा सामने आया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 19 Nov 2022 3:54 PM GMT
Sonbhadra District Prison
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Sonbhadra District Prison (Social Media)

Sonbhadra News Today: बकाए के मामले में राजस्व बंदीगृह में बंद किए गए राबटर्सगंज के धर्मशाला चौक निवासी दुकानदार सुधाकर द्विवेदी और इस दौरान हालत बिगडने के चलते हुई मौत के चर्चित मामले में बड़ा खुलासा सामने आया है। डीएम चंद्रविजय सिंह की तरफ से कराई गई मजिस्ट्रेटी जांच में जहां राबटर्सगंज के तत्कालीन एसडीएम तथा मौजूदा समय में ओबरा एसडीएम राजेश सिंह और तत्कालीन तहसीलदार व्रजेश वर्मा जिम्मेदार पाए गए हैं।

वहीं इस मामले में एसडीएम के खिलाफ विभागीय कार्रवाई संस्थित करने के लिए डीएम की तरफ से शासन को रिपोर्ट भी भेजी गई है। इससे राजस्व महकमे में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।ऐसे सामने आया पूरा मामला, एडीएम न्यायिक से कराई गई मजिस्ट्रेटी जांच: पीयूसीएल के प्रदेश सचिव विकास शाक्य एडवोकेट ने डीएम के यहां इस मामले को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। कहा था।

कि लगातार उत्पीड़न और बंदीगृह में बंद रखने के दौरान दी गई पीड़ा के चलते बकाएदार सुधाकर दूबे की मौत हो गई। मामले का खुलासा न होने पाए, इसके लिए परिवार के लोगों पर दबाव देकर बगैर पीएम के ही शव का अंतिम संस्कर करा दिया गया। मामले को गंभीरता से लेते हुए, डीएम ने तत्काल एसडीएम मुख्यालय प्रमोद तिवारी को मजिस्ट्रेटी जांच सौंप दी। उनके व्यस्तता के कारण, मामले की जांच एडीएम न्यायिक भानुप्रताप यादव से कराई गई।

मई माह की तपन में खौलता पानी पीने को किया गया मजबूर, हालत बिगड़ने पर भी बरती गई उदासीनताः

सूत्रों के मुताबिक मजिस्ट्रेटी जांच के दौरान मृतक के बेटे नीरज दूबे की तरफ से दिए गए शपथपत्र, बंदी गृह के अवलोकन, संबंधित कर्मियों, अधिकारियों के बयान के बाद जो तथ्य छनकर सामने आए हैं, उसके अनुसार, राजस्व बंदीगृह में बंद किए जाने वाले बकाएदारों के लिए मई-जून के तपन में शीतल और शुद्ध पेयजल के कोई इंतजाम नहीं है। यहां बंद होने वाले बकाएदारों को टंकी के खौलते पानी का सेवन करना विवशता है।

जांच के दौरान मौके पर किसी घडे़-प्याऊ की भी व्यवस्था नहीं पाई गई। हालत बिगड़ने के बाद भी, मरीज को अस्तपाल पहुंचाने के साथ ही, प्रशासनिक निगरानी में उदासीनता बरती गई। मृतक की वाराणसी जाते समय हुई मौत के बाद पीएम कराने को लेकर भी संजीदगी नहीं दिखाई गई। इसके लिए जांच में एसडीएम और तहसीलदार दोनों को जिम्मेदार माना गया है।

अपर मुख्य सचिव को दी गई जानकारी, विभागीय कार्यवाही संस्थित करने की दी गई संस्तुतिः

डीएम चंद्रविजय सिंह की तरफ से मजिस्ट्रेटी जांच में सामने आए तथ्यों के क्रम में अपर मुख्य सचिव को भेजी गई जानकारी में अवगत कराया गया है कि एसडीएम राजेश सिंह का दायित्व था कि सुधाकर दूबे के परिवार वालों से समन्वय स्थापित कर उनका इलाज-पोस्टमार्टम कराते। तहसीलदार का कोई जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी मृतक बाकीदार के साथ रहना चाहिए था।

ऐसा होता तो बगैर पीएम के अंतिम संस्कार की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई होती। हवालात की देखरेख, पेयजल की समुचित व्यवस्था न करने, हवालात पर निरंतर निगरानी रखने के लिए आवश्यक कर्मचारियों की ड्यूटी न लगाने के लिए भी उन्हें जिम्मेदार माना गया है और इसको दृष्टिगत रखते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही संस्थित की गई है।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

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