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प्रियंका पर भड़कीं मायावती, SP-BSP गठबंधन सोनिया-राहुल के खिलाफ भी उतार सकता है प्रत्याशी
लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ प्रदेश में सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस की दूरियां तो पहले ही बढ़ चुकी थीं मगर अब दोनों के बीच तल्खी और बढ़ गयी है।
लखनऊ: लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ प्रदेश में सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस की दूरियां तो पहले ही बढ़ चुकी थीं मगर अब दोनों के बीच तल्खी और बढ़ गयी है। सपा-बसपा गठबंधन ने पहले अमेठी और रायबरेली की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ी थीं मगर अब यह गठबंधन रायबरेली व अमेठी सीट पर भी अपने उम्मीदवार उतार सकता है। हालांकि इस पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार शाम बसपा सुप्रीमो से मुलाकात कर प्रदेश के सियासी हालात पर चर्चा की। इस मुलाकात के बाद चर्चा है कि गठबंधन में सपा-बसपा के बीच सीटों के बंटवारे में कुछ संशोधन हो सकता है। एक-दो सीटों की अदला-बदली को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई। इस दौरान चुनाव प्रचार के लिए संयुक्त रैलियों समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक के दौरान कांग्रेस के प्रति तल्खी दिखाई पड़ी। हालांकि अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन ऐसे संकेत हैं कि रायबरेली व अमेठी सीट पर भी गठबंधन अपने उम्मीदवार उतार सकता है।
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प्रियंका-चंद्रशेखर की मुलाकात से मायावती नाराज
बताया जाता है कि मायावती बुधवार को मेरठ में प्रियंका गांधी व भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर के बीच मुलाकात से काफी नाराज हैं। मायावती किसी दूसरे दलित नेता को उभरते हुए नहीं देखना चाहतीं और इस नजरिये से वे चंद्रशेखर को भी फूटी आंख नहीं देखना चाहतीं। यही कारण है कि इस मुलाकात के बाद कांग्रेस से उनकी तल्खी और बढ़ गई है। मायावती ने कांग्रेस के प्रति कड़े तेवर दिखाए हैं। मंगलवार को प्रियंका गांधी वाड्रा जब गुजरात में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित कर रहीं थी तो मायावती ने कांग्रेस से किसी भी राज्य में गठजोड़ की संभावना से इंकार किया था। अब उन्होंने यूपी में कांग्रेस के प्रति और सख्त रुख कर दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले मनोनयन की रेवडिय़ां बांटने को लेकर उन्होंने बुधवार को ट्वीट कर प्रदेश की भाजपा सरकार के साथ मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को भी घेरा। अखिलेश से बातचीत में उन्होंने कांग्रेस से दूरी बनाए रखने पर जोर दिया। बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई है कि रायबरेली व अमेठी से प्रत्याशी उतारने पर क्यों न विचार किया जाए।
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संयुक्त रैलियां करेंगे मायावती-अखिलेश
दोनों नेताओं की बातचीत में एकजुटता का संदेश देने के लिए मायावती व अखिलेश यादव की संयुक्त रैलियों का भी फैसला हुआ। बैठक में जल्द ही रैलियों के कार्यक्रम को अंतिम रूप देने पर सहमति बनी। दोनों नेताओं का मानना था कि संयुक्त रैलियों से कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश जाएगा और इससे गठबंधन प्रत्याशी की स्थिति मजबूत होगी। इससे पहले सपा व बसपा के साथ ही रालोद नेता जिला या लोकसभावार अलग-अलग सभाएं करेंगे। इनमें तीनों दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय कायम किया जाएगा ताकि वे एक-दूसरे को अपने वोट ट्रांसफर कर सकें।