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Profile of Uttar Pradesh: ऐसा है अपना उत्तर प्रदेश, समेटे है न जाने कितने विविध रंग
उत्तर प्रदेश अगर ये एक देश होता तो चीन, भारत, अमेरिका, इंडोनेशिया और ब्राजील के बाद छठा सबसे बड़ा देश होता।
Profile of Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश बहुत विशाल प्रदेश है। जनसंख्या के आधार पर अगर ये एक देश होता तो चीन, भारत, अमेरिका, इंडोनेशिया और ब्राजील के बाद छठा सबसे बड़ा देश होता। इसलिए इस प्रदेश में सांस्कृतिक, राजनीतिक, शैक्षिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक, जलवायु संबंधी, कृषि, वन, अभ्यारण्य, खनिज, उद्योग, ऊर्जा संसाधन, पर्यटन, व्यक्तित्व जैसी तमाम विशेषताएं हैं। इसके अलावा भाषा और बोलियां का भी ये गुलदस्ता है।
ऐसी है भौगोलिक स्थिति
यह प्रदेश देश के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित है। प्रदेश के उत्तरी एवं पूर्वी भाग की तरफ़ पहाड़ तथा पश्चिमी एवं मध्य भाग में मैदान हैं। उत्तर प्रदेश को मुख्यतः तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता रहा है। जिसमें उत्तर में हिमालय का क्षेत्र था जो अब उत्तराखंड के अन्तर्गत आता है। इसके बाद गंगा का मैदानी भाग क्षेत्र अत्यन्त ही उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी का है। इस क्षेत्र में अनेक तालाब, झीलें और नदियाँ हैं। दक्षिण का विन्ध्याचल क्षेत्र एक पठारी क्षेत्र है, तथा इसकी स्थलाकृति पहाड़ों, मैदानों और घाटियों से घिरी हुई है। इस क्षेत्र में पानी कम मात्रा में उप्लब्ध है।
यहां की जलवायु मुख्यतः उष्णदेशीय मानसून की है परन्तु समुद्र तल से ऊँचाई बदलने के साथ इसमें परिवर्तन होता है। उत्तर प्रदेश आठ राज्यों उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार से घिरा है।
अगर प्राचीनता की बात करें तो पाषाणकालीन मानव गतिविधियों के अधिकांश साक्ष्य विंध्य पर्वत से सटे इलाकों जिसमें सोनभद्र, मिर्जापुर और इलाहाबाद तक फैले मिले हैं, इसमें बेलन नदी घाटी भी शामिल है। लोहंदा नाला और चंदौली के चकिया क्षेत्र का उल्लेख यहां इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि यहां से भी पुरापाषाण काल अवशेष मिले हैं। इसी तरह मध्य पाषाणकाल के अवशेष इन क्षेत्रों के अलावा बुंदेलखंड क्षेत्र तक फैले मिले हैं।
प्रदेश का मध्यकालीन इतिहास
इसके बाद अगर मध्यकालीन इतिहास की बात करें तो दिल्ली के तमाम शासकों और मुगलों का उत्तर प्रदेश से गहरा नाता रहा है। यहां जौनपुर और फिरोजबाद इन शासकों के बसाए नगर हैं। विश्व प्रसिद्ध स्थापत्यों का निर्माण मुगल शासकों ने कराया जैसे ताजमहल, आगरा का किला, फतेहपुर सीकरी, लखनऊ का भूलभुलैया आदि। जौनपुर सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने अपने भाई जौना खां की स्मृति में बसाया था। जौना खां को इतिहास मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से जानता है। तुगलक के एक दास ने इसे स्वतंत्र राज्य बनाया जिसे तुगलक वंश के सल्तानों ने शर्की साम्राज्य कहा। बाद में जौनपुर को शिराज ए हिंद के नाम से भी जाना गया। सिकंदर लोदी ने आगरा की स्थापना की और इसे अपनी राजधानी बनाया।
उत्तर प्रदेश का गठन
सबसे पहले उत्तर प्रदेश का परिचय जानिये कि उत्तर प्रदेश का गठन 24 जनवरी 1950 को हुआ और तबसे यह राज्य उत्तर प्रदेश है। लेकिन खास बात यह है कि इस राज्य के साथ संक्षेप में यूपी कमोवेश हमेशा जुड़ा रहा। जैसे 1836 से इसे उत्तर पश्चिम प्रांत के रूप में जाना गया। 1877 से उत्तर पश्चिम आगरा एवं अवध प्रांत, 1902 से संयुक्त प्रांत आगरा एवं अवध, 1937 से केवल संयुक्त प्रांत के रूप में जाना गया। इसी तरह इसकी राजधानी कुल चार बार बदली। उदाहरण के लिए 1836 से आगरा राजधानी रही। फिर 1858 से इलाहाबाद राजधानी रही। 1921 से लखनऊ आंशिक तौर पर राजधानी रही और 1935 से लखनऊ पूर्ण रूप से इसकी राजधानी बन गई।
प्रदेश में कुल 75 जिले हैं जिन्हें 18 मंडलों और 316 तहसीलों में बांटा गया है। इसके तहत 16 नगर निगम, 48 नगर पालिकाएं और 106774 गांव आते हैं।
न्यूजट्रैक ने खबरों के लिहाज से प्रदेश को सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक आधार पर आठ जोन में कुछ इस तरह बाँटा है -
पूर्वांचल
भाषा, संस्कृति और पहचान की दृष्टि से पूर्वांचल अपनी विशिष्टता रखता है। इसे योद्धाओं की भूमि कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। प्राचीन काल में यहां भूमिहार ब्राह्मणों का शासन रहा जो बाद में काशी नरेश के आधिपत्य में रहा। इसके तहत चार प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल वाराणसी, कुशीनगर और गोरखधाम और कुंभनगरी भी आते हैं। इसके अलावा सांस्कृतिक और कारोबारी व्यावसायिकता के क्षेत्र में भी पूर्वांचल अपनी अलग पहचान रखता है। पूर्वांचल उत्तर प्रदेश के एक बहुत बड़े क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, संत रविदासनगर, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, आज़मगढ़, बलिया, मऊ, इलाहाबाद, कौशांबी, प्रतापगढ़, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर जिलों का अपना महत्व है। क्षेत्र वैशिष्ट्य के नजरिये से यहां की समस्याएं भी शेष यूपी से भिन्न हैं।
दक्षिणांचल- मिर्जापुर सोनभद्र
उत्तर प्रदेश का दक्षिणांचल क्षेत्र आदिवासी पृष्ठभूमि, घने वन, जल प्रपातों और विंध्य की पहाड़ियों के चलते अपनी अलग पहचान रखता है। जिसे सोनांचल भी कहा जाता है। सोनभद्र उत्तर प्रदेश, भारत का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। सोनभद्र भारत का एकमात्र जिला है जो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार के चार राज्यों से है। सोनभद्र को देश की ऊर्जा राजधानी के रूप में जाना जाता है। लेकिन सोनभद्र मिर्जापुर का अंग है जिसे मार्च, 1989 को अलग किया गया था। मीरजापुर के बारे में मशहूर है कि यही पम्पापुर नगरी है। भाषा और क्षेत्रीयता की दृष्टि से प्रदेश के दक्षिणांचल के इन दोनो जनपदों में कोई विशेष अंतर नहीं है।
अवध
अवध क्षेत्र सूबे का सबसे प्राचीन क्षेत्र है। यह प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी "अयोध्या" थी। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला कहा जाता है। मध्यकालीन दौर में अवध पर नवाबों का आधिपत्य रहा। चूंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान थे अतः अवध में इसलाम के इस संप्रदाय को विशेष संरक्षण मिला। शेरो शायरी का भी यह केंद्र रहा। न्यूजट्रैक ने अवध की क्षेत्रीय विशिष्टता को ध्यान में रखते हुए इसमें लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर, अंबेडकर नगर, फैजाबाद, बाराबंकी, सुलतानपुर, अमेठी, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती को रखा है।
मध्यांचल
भौगोलिक दृष्टि से देखा जाए तो कानपुर मंडल उत्तर प्रदेश का मध्यांचल है। इसमें औरैया, फर्रूखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात और कानपुर नगर जिले आते हैं। लेकिन अगर प्राचीन कन्नौज या कान्यकुब्ज प्रदेश को देखें तो इसका विस्तार कानपुर नगर, कानपुर देहात, उन्नाव, हरदोई औरैया, इटावा, कन्नौज, फर्रूखाबाद तक होता है। इन जनपदों में कान्यकुब्जों का अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है। कानपुर मंडल की अपनी विशिष्टताएं हैं जिसमें हरदोई लखनऊ के करीब होते हुए भी कानपुर के साथ अधिक निकट प्रतीत होता है। ठीक उसी तरह उन्नाव और कानपुर के बीच सिर्फ गंगा सीमा रेखा का काम करती है। तेजी से होते विकास ने उन्नाव और कानपुर को एक कर दिया है।
बुंदेलखंड
बुन्देलखण्ड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। कभी इस क्षेत्र में जिझौतिया राजपूतों का शासन रहा। इसका विस्तार उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में भी है। बुंदेली इस क्षेत्र की मुख्य बोली है। भौगोलिक और सांस्कृ्तिक विविधताओं के बावजूद बुंदेलखंड में जो एकता और समरसता है, उसके कारण यह क्षेत्र अपने आप में सबसे अनूठा है। बुंदेलखंड की अपनी अलग पहचान ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृ्तिक विरासत है। महान चन्देल शासक बिधाधर चन्देल, आल्हा-ऊदल, महाराजा छत्रसाल, बुंदेला, राजा भोज, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, मैथिलीशरण गुप्त, मेजर ध्यान चन्द्र, गोस्वामी तुलसी दास आदि अनेक विभूतियाँ इसी क्षेत्र ने दी हैं। न्यूजट्रैक ने इसमें फतेहपुर, जालौन, झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा जिलों को रखा है। फतेहपुर को वैसे तो वैदिक युग में "अंतर्देश" के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है दो बड़ी नदियों के बीच का उपजाऊ क्षेत्र। बाद में, इसे "मध्य प्रदेश" के नाम से जाना जाता था जिसका अर्थ केंद्रीय क्षेत्र है। लेकिन जिले का उत्तरी क्षेत्र "अवधी संस्कृति" से प्रभावित है, जबकि दक्षिणी भाग "बुंदेलखंड" का प्रभाव दिखाता है। इसलिए हमने इसे बुंदेलखंड क्षेत्र में रखा है।
ब्रज
ब्रज क्षेत्र यानी कृष्ण की भूमि। और ब्रज भाषा का क्षेत्र जिसका प्रथम व्याकरण हिन्दी पाणिनि आचार्य किशोरीदास वाजपेयी ने लिखा था। इसका प्रभाव आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, अलीगढ़, एटा, हाथरस, कासगंज जनपदों में मिलता है। इसलिए हमने इन्हें ब्रज क्षेत्र में रखा है। भाषा पहनावे और संस्कृति की दृष्टि से इस क्षेत्र की अपनी अलग विशिष्टता है। यह क्षेत्र भगवान श्रीकृष्ण की लीला स्थली के रूप में सारे विश्व में प्रसिद्ध है। ब्रज क्षेत्र का दायरा 84 कोस बताया गया है।
रुहेलखंड
रुहेलखंड या रोहिलाखंड उत्तर प्रदेश के उत्तर-पश्चिम का क्षेत्र है। रोहिला शब्द भारत के गौरव शाली इतिहास से परिचित कराता है। जो यहां की जाति पर पड़ा है। यह वही शब्द है जो वीर क्षत्रिय राजवंशों व इतिहास की वीर गाथाओं से परिचय कराता है। रोहिला 500 ईसा पूर्व पुराना शब्द है। इसका क्षेत्र बहुत व्यापक रहा है इसके दक्षिण पश्चिमी ओर गंगा है, पश्चिम की ओर उत्तराखंड और नेपाल उत्तर में है। पूर्व की ओर अवध है। न्यूजट्रैक ने क्षेत्रीयता और भाषाई दृष्ट से इसमें बदायूं, बरेली, रामपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी आदि छह जिलों को रखा है।
पश्चिमांचल
यह उत्तर प्रदेश का कृषि की दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र है। इस क्षेत्र के जनसांख्यिकीय, आर्थिक और सांस्कृतिक पैटर्न इसे उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों से अलग करते हैं और हरियाणा, पंजाब और राजस्थान राज्यों के समान हैं। इस क्षेत्र की भाषा और बोली भी अलग है। न्यूजट्रैक ने इस क्षेत्र को समाचारों की दृष्टि से बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, बागपत, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ आदि 13 जिलों में रखा है।
हर शहर की विशिष्ट पहचान
उत्तर प्रदेश के हर जनपद की एक खासियत है और उसे उस नाम से जाना भी जाता रहा है जैसे सहारनपुर नक्काशीनगर, पीलीभीत छोटा पंजाब, चित्रकूट वनवास नगर या मंदराचल, देवरिया देवारण्य या देवपुरिया, मुजफ्फरनगर सरवट नगर, शाहजहाँपुर कालीन उद्योग नगरी, फतेहपुर रणभूमि नगर, आजमगढ़ कैफी आजमी नगर, रामपुर नवाबों का शहर या चाकुओं का नगर, लखीमपुर खीरी लक्ष्मीपुर, प्रतापगढ़ बेला भवानी नगर, राजाओं का गढ़ मऊ मउफनाथभंजन, मुरादाबाद पीतल नगरी या बर्तनों का शहर, सीतापुर नैमिषारण्य नगर, कौशांबी आद्य नगरी, बलिया बागी बलिया नगर, लखनऊ नवाबों का शहर या बागों का नगर या आमों का नगर या नजाकत-नफासत का शहर, हरदोई हरिद्रोही नगर, इलाहाबाद अब प्रयागराज, संगम नगरी, कुंभ नगरी, तीर्थ राज, प्रयागराज, अमरूद नगरी, जौनपुर शीराज-ए-हिंद, अमरोहा ज्योतिबा फुले नगर, उन्नाव चंद्रशेखर आजाद नगर, बिजनौर कटेहर क्षेत्र, गाजीपुर काशी की बहन, मेरठ क्रांति नगर या कैंची नगर, बदायूँ निजामुद्दीन औलिया नगर, फैजाबाद अब अयोध्या या ईश्वर का नगर, राम की नगरी, चंदौली धान का कटोरा, बागपत टाइगर्स की भूमि, कन्नौज इत्र नगरी, खुशबुओं का शहर, कान्यकुब्ज नगर, महोदयश्री, गाजियाबाद छोटा दिल्ली या उद्योग नगरी, वाराणसी विश्वनाथ नगरी, मुक्ति नगर, घाटों का नगर, सुल्तानपुर कुसपुरा, अमेठी छत्रपति शाहूजी महाराज नगर, मथुरा कृष्ण नगरी, पेंड़ा का नगर, पंडों का नगर, भदोही संत रविदास नगर, कालीन सिटी, बहराइच सैयद मसूद गाजी नगर, ऋषि भूमि, इटावा चंबल नगर, बुलंदशहर अहाड़ क्षेत्र, सोनभद्र पावर कैपिटल आफ इंडिया, श्रावस्ती सहेत-महेत नगर, औरैया दि लैंड आफ डायवर्सिटी, अलीगढ़ ताला नगरी, कासगंज कांशीराम नगर, बलरामपुर देवी पाटन, शक्तिपीठ, कानपुर देहात रमाबाई नगर, हाथरस महामाया नगर, कानपुर नगर भारत का मैनचेस्टर, उद्योग नगर, चर्म नगर, गोंडा जयप्रकाश नगर, गौतमबुद्ध नगर नोएडा, ग्रेटर नोएडा, जालौन पंचनंदा नगर, सिद्धार्थ नगर बुद्ध नगरी, शामली प्रबुद्ध नगर, आगरा ताज नगरी, पेठा नगरी, झाँसी बुंदेलों की नगरी के रूप में मशहूर है।