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Jhansi News: संपत्ति बन गई परिवार के मुखिया बुजुर्ग की परेशानी

Jhansi News Today: एक समय था जब परिवार का मुखिया परिवार का बुजुर्ग व्यक्ति होता था। संयुक्त परिवार ताकत थे लेकिन धीरे-धीरे एकल परिवार का दौर आया और अब यहीं मुखिया बे आसरे की स्थिति में आ गए है।

B.K Kushwaha
Published on: 19 Nov 2022 10:08 PM IST
Jhansi News
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परिवार परामर्श में बात करते परिवारिक लोग (न्यूज नेटवर्क)

Jhansi News Today: एक समय था जब परिवार का मुखिया परिवार का बुजुर्ग व्यक्ति होता था। संयुक्त परिवार ताकत थे लेकिन धीरे-धीरे एकल परिवार का दौर आया और अब यहीं मुखिया बे आसरे की स्थिति में आ गए है। संतान को जीवन के अंतिम दौर की लाठी मानकर जीने वाले बुजुर्गों को जब सहारे की जरुरत होती है तो यहीं अपने दर्द देने लगते है। बुजुर्ग की जमा पूंजी व संपत्ति हड़पने के चक्कर में अपने दो जून की रोटी के लिए भी तरसा देते है और प्रशासन के दर पर न्याय की गुहार लेकर भटकना पड़ रहा है।

बुजुर्गों की परेशानी को देखते हुए भरण पोषण अधिनियम के प्रावधानों का सहारा लेकर अब न्याय दिलाने के प्रयास किए जा रहे है। वैसे तो यह अधिनियम 1950 में ही बन गया था लेकिन अब बुजुर्गों के लिए ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है। कुछ साल पहले तक परिवार के लिए बुजुर्ग का घर में रहना उनका आशीर्वाद माना जाता था लेकिन अब कई मामलों में यह बोझ बनकर सामने आ रहा है। परामर्श केंद्र में बुजुर्गों की शिकायते आना शुरु हो गई है।

तीन बेटा, एक ने किया दुकान पर कब्जा

शहर इलाके के एक व्यापारी ने तीन बेटों को लेकर शिकायत की। पिता ने तीन बेटों का पालन पोषण किया और व्यापार को आगे बढ़ाया। अब उनके पास मकान, दुकान है। बुजुर्ग हो गए है, काम नहीं होता। स्थिति यह है कि एक बेटा ने दुकान पर कब्जा कर लिया, दो बेटें भी ध्यान नहीं देते। दो समय के खाने के मोहताज हो गए है। परामर्श केंद्र में शिकायत की तो उनकी काउंसलिंग की गई। बेटों को बुलाया, कानूनी प्रावधान बताए तो भरण पोषण देने की लिए तैयार हुए।

बेटी ने कर लिया मकान पर कब्जा

रिटायर्ड रेल कर्मचारी व उनके पत्नी परिवार परामर्श केंद्र के पास अपनी बेटी की शिकायत लेकर पहुंची। माता-पिता कानपुर में है औक झाँसी में मकान है लेकिन बेटी ने कब्जा कर लिया। बुढ़ापे में मकान सहारा था लेकिन बेटी वहां भटकने नहीं दे रही। परिवार परामर्श केंद्र में समझाइश से बेटी को राहत मिली। दूसरे मामले में बेटी पति के साथ अपने मायके में आकर रहने लगी और बैंक खाते तक कब्जे में कर लिए। परिवार परामर्श केंद्र में कानूनी प्रावधान बताए तो दामाद दूसरी जगह मकान लेकर परिवार सहित चला गया।

बेटे व पोते ने कर दिया जीवन परेशान

पुलिस के पास पहुंचे बुजुर्ग बेटे व पोते के कारण परेशान थे। सेवानिवृत्त अफसर बुजुर्ग ने बताया कि उसका बेटा का व्यापार स्थापित करके दिया। अब बेता पोते के साथ मिलकर परेशान करता है। पोता घर छोड़कर जाने के लिए कहता है, नही जाने पर जहर देकर मारने की धमकी देता है। पुलिस ने समझाया तो पालन पोषण के लिए दोनों तैयार हो गए। एक मामले में बुजुर्ग ने बेटे की कोराना से मौत के बाद बहू की शादी कर दी तो वह दूसरे पति के साथ मकान पर कब्जे की कोशिश में लग गई। पुलिस की सख्ती से यहां बुजुर्ग को राहत मिली।

बहू-बेटे के द्वारा परेशान करने के मामले-125

नाती-पोतों से परेशान होने की शिकाय-10

धोखाधड़ी कर जबरन संपत्ति पर कब्जे संबंधी-82

माता-पिता का भरण पोषण न करना- 145

माता-पिता को लावारिस छोड़ना -05

संपत्ति बनी बड़ी परेशानी, सख्ती दिखाने पर ही मिलती है राहत

बुजुर्ग की जमा पूंजी व संपत्ति परेशानी बन गई है। और कोई नहीं उनकी संतान ही संपत्ति को हड़पने के लिए बुजुर्गों को परेशान करते है। काउंसलिंग में समझाइश देते है, कानून प्रावधान की सख्ती दिखाते है तब कहीं जाकर बुजुर्गों का राहत मिलती है।

कल्याण सिंह, सीओ सिटी सेवानिवृत्त

राजेश एस, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक

आमने-सामने बैठाकर समझाते, कानूनी मदद भी करते

सीनियर सिटीजन की अधिकांश शिकायतें, बेटा-बहू व बेटी को लेकर आ रही है। इन केस में आमने सामने बैठाकर समझाइश दी जाती है जिसमें से अधिकांश में राहत मिल जाती है। बुजुर्ग इतने परेशान हो जाते है कि उनके आंसू निकल आते हैं जिन केस में समझौता नहीं होती उसमें कानूनी मदद कराई जाती है।

पुलिस की प्यार भरी समझाइश के बाद रहने को राजी अलग हुए दंपत्ति

दंपत्ति के बीच विवाद इतना बढ़ा की दोनों अलग हो गए. उनके बीच रिश्ता जब खत्म होने की कगार पर था। एेसे में पुलिस के संवेदनशीलता के साथ किए गए विशेष प्रयासों से उनका परिवार फिर से बस गया। आवेदिका मंजू तिवारी (बदला हुआ नाम) व आवेदक विकास कुमार (बदला हुआ नाम) दोनों पति-पत्नी परिवार परामर्श केंद्र पहुंचे। दोनों की समस्या सुनी गई। मंजू तिवारी ने बताया कि उसका पति विकास कुमार छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाता है। पति थोड़े उग्र स्वभाव का व्यक्ति है, वह जरा-जरा सी बात पर चिढ़ने लगता है। आवेदिका गर्भवती है व समय पर भोजन नहीं करती और भूखी रहती थी। इसी बात से पति नाराज था।

दोनों को झगड़ा इतना बढ़ा कि पति ने पत्नी पर हाथ उठा दिया। उनके बीच कहासुनी इतनी बड़ी की कि महिला अपने मायके आकर रहने लगी। वह पिछले कई महीनों से अपने मायके में रह रही थी। दोनों पक्षों को बुलाकर उनकी समस्या सुनी गई। बाद में दोनों पक्षों की काउंसलिंग की गई। काउंसलिंग का नतीजा यह रहा कि दोनों पति-पत्नी अपने पुराने आपसी मनमुटाव भुलाकर साथ रहने को तैयार हुए। मंजू तिवारी ने अपने पति के साथ रहने व एेसा न करने की बात मानी। पति को भी अपने व्यवहार में बदलाव लाने की सलाह दी गई। बाद में परामर्श दोनों पति पत्नी राजी खुशी से साथ घर जाने को तैयार हुए।

20 में से छह में हुआ निस्तारण

महिला थाना परिसर में महिला परामर्श केंद्र का आयोजन किया गया। इसमें 20 मामले आए। जिनमें दस पक्ष लोग उपस्थित हुए। बाकी लोग नहीं आए। इनमें छह मामलों का निस्तारण किया गया। शेष मामलों के लिए अगली तिथि जारी कर दी है। इस अवसर पर समिति सदस्या नीलम गुप्ता, आलिका एजाज, संध्या चौहान, प्रियंका, स्वाप्लिन,सुमन राय, अमृता सिंह, महिला थाना प्रभारी नीलेश कुमारी, उपनिरीक्षक ममता यादव, मुख्य आरक्षी किरन देवी, दिनेश कुमारी, महिला आरक्षी पूजा राजपूत उपस्थित रही।



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Prashant Dixit

Prashant Dixit

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