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पीडब्लूडी में उल्टा पिरामिड बनाने का प्रस्ताव, कर्मचारी संगठन कर रहे विरोध
विजय शंकर पंकज
लखनऊ: लोकनिर्माण विभाग की स्थापना के बाद पहली बार होने जा रहे विभागीय ढांचे के पुनर्गठन में अभियन्ताओं ने उल्टा पिरामिड बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। लोनिवि में महानिदेशक एवं विभागाध्यक्ष का पद सृजित किए जाने का प्रस्ताव है। प्रस्ताव में यह तर्क दिया गया है कि प्रथम श्रेणी के कार्मिक के 129 पद एवं द्वितीय श्रेणी के 50 पदों की बढ़ोतरी होगी। इसके विपरीत तृतीय श्रेणी के 224 पदों की कमी होगी।
तृतीय श्रेणी के कार्मिकों के पदों की कमी से विभाग को 982.56 लाख की कमी होगी, जिससे उच्च पदों की बढ़ोतरी होने पर विभाग को ज्यादा व्यय भार नहीं करना पड़ेगा। वर्तमान में विभाग का कुल कार्मिक वार्षिक व्यय भार 52274.88 लाख रुपए है। लोकनिर्माण विभाग का यह पुनर्गठन प्रस्ताव 24 जुलाई को शासन में भेजा गया है परन्तु उलटी गंगा बहाने के आदी अभियन्ताओं के इस प्रस्ताव से शासन के अधिकारी भी चिन्तित है।
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कर्मचारी संगठनों ने जताया कड़ा विरोध
इस पुनर्गठन प्रस्ताव को लेकर जहां विभाग के दो संवर्गो के अभियंताओं में संघर्ष शुरू हो गया है, वहीं कर्मचारी संगठनों ने भी इस पर कड़ा विरोध जताया है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि अधिकारियों के पदों में बढ़ोतरी के अनुपात में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदों की भी जरुरत होती है। इसमें निजी स्टाफ में चपरासी, ड्राइवर, कार्यालय स्टाफ आदि पदों की भी जरूरत होती है परन्तु इस पुर्नगठन प्रस्ताव में ऐसे पदों की बढ़ोतरी का कोई जिक्र ही नहीं है। यही नहीं हर वर्ष काफी संख्या में इन पदों के लोग रिटायर हो रहे हैं और उनके स्थान पर कोई नई नियुक्ति नहीं की जा रही है।
ऐसे में स्पष्ट है कि अधिकारियों की संख्या में बढ़ोतरी होने पर अधिकारी मनमाने तरीके से अपने लोगों को आउट सोर्सेस से इन पदों पर भर्ती करेंगे। यही नहीं प्रस्ताव में अभियंताओं के पदों का भी ध्यान नहीं रखा गया है। अधिशासी से अधीक्षण, मुख्य एवं प्रमुख अभियंताओं की संख्या में बढ़ोतरी कर ली गयी है परन्तु सहायक एवं अवर अभियंताओं के पदों में कमी कर दी गयी है।
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पुनर्गठन को बताया जरूरी
प्रस्ताव में कहा गया है कि मार्ग यातायात में अप्रत्याशित वृद्धि एवं मार्ग संपर्कों की बढ़ती आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए नित्य नये मार्गों एवं सेतुओं के निर्माण, चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं त्वरित अनुरक्षण कर मार्गों को उपयोगी बनाए रखना समय की जरुरत हो गयी है। प्रस्ताव में कहा गया है कि नवीनतम तकनीकों को अपनाए जाने, अधिकारी उन्मुख कार्य संस्कृति विकसित करने, कार्मिकों को प्रशिक्षित करने तथा अधिकारों के विकेन्द्रीकरण के लिए पुनर्गठन जरूरी हो गया है। प्रस्ताव में 18 मंडलीय मुख्यालयों पर क्षेत्रीय मुख्य अभियंताओं के कार्यालय खोलकर तैनाती की जानी है।
इसके साथ ही नियोजन एवं परियोजना का कार्य अलग-अलग मुख्य अभियंताओं को दिया जाना है जबकि अभी यह एक ही के पास है। इसके अलावा मुख्य अभियंता परिवाद, लोक शिकायत, अन्वेषण एवं विकास, प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के लिए 4 मुख्य अभियंताओं के पद सृजित किये जाने का प्रस्ताव है। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत प्रदेश के चारों क्षेत्रों के लिए 4 मुख्य अभियंताओं के पद भी सृजित किए जाएंगे। प्रत्येक मुख्य अभियंता के अधीन अधीक्षण, अधिशासी, सहायक, अवर अभियंता एवं विधिक अधिकारी की तैनाती का प्रस्ताव है।