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दलित स्नान को लेकर बढ़ा बवाल, पुनिया ने कहा- राजनीति कर रहा RSS
बाराबंकी: उज्जैन सिंहस्थ कुंभ मेले में दलितों के लिए आयोजित होनेवाले समरसता और शबरी स्नान को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। अब इस सियासी बवाल में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य पीएल पुनिया भी कूद गए हैं। उन्होंने बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर तीखे हमले बोलते हुए कहा है कि दोनों संगठनों को दलितों से कुछ लेना देना नहीं है। उनका मकसद धार्मिक स्थान का दुरूपयोग कर राजनैतिक लाभ लेना है।
आरएसएस का संबंध उंची जातियों से
-पुनिया का आरोप है कि बीजेपी और उनके मालिक आरएसएस का संबंध हमेशा उंचे व संपन्न लोगों से रहा है।
-असल में दोनों दलित और गरीब विरोधी हैं।
-दोनों केवल ऊँची जाति और सम्पन्न लोगों का ही प्रतिनिधित्व करती हैं।
-उनका प्रयास है किसी भी तरह अनुसूचित जातियों, आदिवासियों को मिला लिया जाए तो राजनैतिक लाभ मिल जाएगा।
-वे धार्मिक पर्व और धार्मिक स्थानों का दुरूपयोग कर राजनीति चमकाने की फिराक में हैं।
क्या है मामला
-आरएसएस से जुड़ी संस्था पंडित दीनदयाल विचार प्रकाशन ने दलितों और आदिवासियों के लिए कुंभ मेले में अलग से स्नान करने की योजना बनाई है।
-आगामी 11 मई को समरसता और शबरी स्नान के नाम से इसका आयोजन होगा।
-इसके लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की गई हैं।
-स्नान को लेकर सियासत गरमा गई है।
-इस आयोजन में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के भी शामिल होने की संभावना है।
शंकराचार्य स्वरुपानंद भी उठा चुके हैं सवाल
-जगतगुरु शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने इस स्नान को बीजेपी की सियासी नौटंकी करार दिया था।
-सरस्वती के मुताबिक बीजेपी दलितों को और नीचा दिखा रही है।
-दलितों को क्षिप्रा में स्नान करने से किसी ने नहीं रोका है।
-वे जब चाहे स्नान कर सकते हैं, इसके लिए अलग से दिन निर्धारित करने की जरूरत नहीं थी।
-नदियां कभी किसी की जाति नहीं पूछती।
कांग्रेस जता चुकी है विरोध
-कांग्रेसी नेता भूपेंद्र गुप्त इस आयोजन को लेकर नाराजगी जता चुके हैं।
-गुप्त के मुताबिक क्या दीनदयाल प्रकाशन कोई धार्मिक संस्था है।
-अगर नहीं तो सरकारी खर्च पर विशेष स्नान आयोजित करने की अनुमति किस आधार पर दी गई।
-जाति के आधार पर दलित संतों की खोजबीन और अलग से स्नान पूरी तरह से संविधान के ख़िलाफ़ है।
-यह लोगों को बांटने वाला काम है।