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UP Election 2022: ज्ञानपुर सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला, विजय मिश्रा को मिल रही कड़ी चुनौती
UP Election 2022: ज्ञानपुर विधानसभा क्षेत्र को विजय मिश्रा का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन इस बार उन्हें इस सीट पर कड़ा मुकाबला मिल रहा है।
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chuav) में अब आखिरी चरण की लड़ाई पूर्वांचल (Purvanchal) में पहुंच गई है। पूर्वांचल की जिन विधानसभा सीटों पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं, उनमें भदोही जिले (Bhadohi) की ज्ञानपुर विधानसभा सीट (Gyanpur Assembly Seat) भी काफी हॉट मानी जा रही है। पिछले चार चुनावों से इस सीट पर जीत हासिल करने वाले बाहुबली विजय मिश्रा (Bahubali Vijay Mishra) एक बार फिर किस्मत आजमाने के लिए चुनावी रण में कूद पड़े हैं। विजय मिश्रा के विजय रथ को रोकने के लिए इस बार दूसरे प्रत्याशियों की ओर से मजबूत घेराबंदी की गई है।
ज्ञानपुर विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने सहयोगी दल निषाद पार्टी (Nishad Party) को दी है। निषाद पार्टी और सपा (SP) की ओर से विजय मिश्रा को इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है। बसपा उम्मीदवार (BSP Candidate) की ओर से भी मजबूत दावेदारी की जा रही है। इस वजह से इस बार कड़ा मुकाबला होने के आसार जताए जा रहे हैं। इस विधानसभा सीट पर आखिरी चरण (Gyanpur Election Date) में 7 मार्च को मतदान होना है।
2002 से सीट पर विजय मिश्रा का कब्जा
ज्ञानपुर विधानसभा क्षेत्र को विजय मिश्रा का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। इस सीट पर पिछले 20 साल से उन्होंने लगातार कब्जा बनाए रखा है। 2002 में इस सीट पर जीत हासिल करने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2007, 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने इस सीट पर अपनी विजय पताका फहराई। पहले तीन चुनावों के दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता जबकि 2017 का चुनाव उन्होंने निषाद पार्टी के टिकट पर लड़ा था।
इस बार के चुनाव में उन्हें निषाद पार्टी से टिकट नहीं मिला और इस कारण वे प्रगतिशील मानव समाज पार्टी (PMSP) के बैनर तले चुनाव मैदान में उतरे हैं। विभिन्न मुकदमों में फंसने के बाद विजय मिश्रा इन दिनों आगरा जेल (Agra Jail) में बंद हैं। उनके पारिवारिक सदस्यों और करीबियों ने चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है। विजय मिश्रा ने चुनाव लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जमानत की अर्जी दाखिल की थी मगर शीर्ष अदालत ने उनकी अर्जी खारिज कर दी।
2017 का जनादेश
2017 के विधानसभा चुनाव में विजय मिश्रा ने इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के महेंद्र कुमार बिंद (Mahendra Kumar Bind) को हराया था। इस चुनाव में विजय मिश्रा को 66,448 मत हासिल हुए थे जबकि भाजपा के महेंद्र कुमार को 46,218 मत मिले थे। बसपा के राजेश कुमार यादव तीसरे नंबर पर रहे थे और उन्हें 44,319 मतदाताओं का समर्थन मिला था। सपा के रामरती बिंद इस सीट पर चौथे स्थान पर पिछड़ गए थे और उन्हें 39,209 मत मिले थे।
इस इलाके को विजय मिश्रा का मजबूत गढ़ इसलिए भी माना जाता है कि पहले तीन चुनावों में सपा उम्मीदवार के रूप में ताकत दिखाने के बाद निषाद पार्टी के उम्मीदवार के रूप में भी उन्होंने इस सीट पर जीत हासिल की थी।
विपक्षी दलों की मजबूत घेराबंदी
ज्ञानपुर विधानसभा सीट पर विजय मिश्रा के खिलाफ इस बार निषाद पार्टी की ओर से विपुल दुबे को चुनाव मैदान में उतारा गया है। सपा की ओर से पहले डॉक्टर विनोद बिंद को टिकट दिया गया था मगर बाद में पार्टी ने टिकट बदलते हुए रामकिशोर बिंद को चुनाव मैदान में उतार दिया। डॉ विनोद बिंद ज्ञानपुर की जगह मिर्जापुर की मझवा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे थे और इसीलिए सपा नेतृत्व ने अपना फैसला बदलते हुए रामकिशोर बिंद को चुनावी रण में उतारा है।
बसपा की ओर से उपेंद्र सिंह चुनाव मैदान में उतर कर प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों को चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कांग्रेस ने सुरेश चंद्र मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा है मगर वे ज्यादा मजबूत स्थिति में नहीं दिख रहे हैं।
ज्ञानपुर क्षेत्र का जातीय समीकरण
ज्ञानपुर विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण को देखा जाए तो इस इलाके में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा करीब 93,000 है। विजय मिश्रा के साथ ही निषाद पार्टी के विपुल दुबे ने इस बड़े वोट बैंक पर नजरें गड़ा रखी है। बिंद मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं और इस बिरादरी के मतों की संख्या करीब 65,000 है। यादव और दलित मतदाता भी जीत हार में बड़ी भूमिका निभाएंगे। क्षेत्र में करीब 55,000 यादव और 45,000 दलित मतदाता हैं। इन प्रमुख जातियों के अलावा वैश्य, क्षत्रिय,मौर्य, पटेल और पाल बिरादरी के मतदाताओं को भी रिझाने की कोशिशें की जा रही हैं।
निषाद पार्टी और सपा की कड़ी चुनौती
इस विधानसभा क्षेत्र में इस बार विजय मिश्रा को निषाद पार्टी और सपा की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है। इलाके के सियासी जानकारों का मानना है कि इस बार त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति दिख रही है। निषाद पार्टी के विपुल दुबे (Vipul Dubey) और सपा के रामकिशोर बिंद (Ramkishore Bind) की दावेदारी को भी काफी मजबूत माना जा रहा है। जेल में बंद होने के कारण विजय मिश्रा और उनके करीबी सहानुभूति लहर का फायदा उठाने की कोशिश में भी जुटे हुए हैं।
सभी प्रत्याशियों की नजरें जातीय समीकरण साधने पर लगी हुई हैं और माना जा रहा है कि इस मामले में कामयाबी हासिल करने वाले को ही जीत हासिल होगी। शुक्रवार की शाम को क्षेत्र में चुनावी शोर थम जाएगा। इसलिए सभी प्रत्याशियों ने पूरी ताकत लगा रखी है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि विजय मिश्रा लगातार पांचवी बार चुनाव जीतने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।
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