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Chandauli: फर्जी सेना का अधिकारी बनकर ठगने वाले गिरोह का खुलासा, पुलिस ने आधा दर्जन लोगों को भेजा जेल

Chandauli: सेना भर्ती के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले आधे दर्जन लोगों को धानापुर पुलिस और स्वाट टीम ने गिरफ्तार किया है।

Ashvini Mishra
Report Ashvini MishraPublished By Vidushi Mishra
Published on: 20 Oct 2021 8:59 PM IST
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फर्जी सेना का अधिकारी बनने वाले गिरोह का पर्दाफाश

Chandauli: जिले की धानापुर पुलिस और स्वाट टीम ने धानापुर इलाके में कार्रवाई करते हुए सेना भर्ती के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले आधे दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया है। यह सेना भर्ती के नाम पर फर्जीवाड़ा करके नौजवानों से पैसे लेकर ठगने का काम करते थे और उन्हें फर्जी नियुक्त पत्र देकर पैसे लेकर ठगते थे।

बताया जा रहा है कि धानापुर पुलिस और स्वाट टीम ने मंगलवार की शाम गिरोह के सरगना सहित 6 सदस्यों को धर दबोचा है। आरोपी वर्दी में थे और सेना का जवान बताकर पुलिस पर धौंस जमाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन पुलिस में बड़ी बारीकी के साथ पूछताछ करके इनको जब हिरासत में लिया तो उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया। इनके पास से कार, सेना की वर्दी, सेना की फर्जी मोहर, आर्मी की कैंटीन का कार्ड, दो पिस्टल सहित तमाम जाली दस्तावेज बरामद हुए हैं।

तीन संदिग्ध युवकों को पकड़ा

चंदौली पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार चहनियां धानापुर मार्ग पर पुलिस ने चेकिंग के दौरान अर्टिगा कार में सवार तीन संदिग्ध युवकों को जब पकड़ा तो वह पुलिस पर अपनी धौंस जमाने लगे। इन कार सवार लोगों में रविकांत, विकास और रोहित नाम के तीन जालसाज शामिल थे, जो खुद को सेना का जवान बताते थे और नकली वर्दी पहनकर इलाके में घूमा करते थे। ये सभी सेना में भर्ती कराने के नाम पर गांव के भोले-भाले लड़कों को झांसे में लेकर पैसे ऐंठने का काम करते थे।

जैसे ही पुलिस ने रविकांत, विकास और रोहित को रोका और उनसे जांच पड़ताल शुरू की तो सभी ने अपना परिचय सेना के जवान के रूप में दिया और कहा कि वह छुट्टी पर घर जा रहे हैं। ऐसे में पुलिस उन्हें जबरन रोककर जब पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की और अधिकारियों का नाम और नंबर पूछा तो सभी सकते में आ गए और घबरा कर भागने लगे। इसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया, तो इन्होंने पूरे गैंग और लोगों को ठगने के तरीके के बारे में पुलिस को जानकारी दी।

किसी और ने परीक्षा दी

मामले की जानकारी देते हुए पकड़े गए शातिर रविकांत ने बताया कि स्थानीय लोग उसे संदीप के नाम से जानते हैं और सब को यह पता है कि वह सेना में काम करता है। उसने अपने द्वारा किए गए फर्जीवाड़े की जानकारी देते हुए कहा कि 2008 में जब सेना की भर्ती निकली थी, तब वह फिजिकल और मेडिकल पास करने के बाद 39 जीटीसी वाराणसी में जाकर लिखित परीक्षा दी थी।

इतना ही नहीं जॉइनिंग लेटर मिलने के बाद वह गोपालपुर उड़ीसा में ट्रेनिंग के लिए भी भेजा गया था। इसी बीच जांच पड़ताल में पता चला कि वह चयनित अभ्यर्थियों की सूची में नहीं है। उसका नाम हटा दिया गया है।

इसके बाद एआरओ ऑफिस वाराणसी में बुलाकर उससे जांच पड़ताल की गई और पता चला कि उसके स्थान पर किसी और ने उसकी परीक्षा दी थी, जिसे जेल भेज दिया गया था। रविकांत ने बताया कि इसके बाद दोबारा जब उसकी जांच पड़ताल हुई तो उसके सर्टिफिकेट के सत्यापन के बाद ट्रेनिंग के लिए बॉम्बे इंजीनियरिंग ग्रुप पुणे भेजा गया।

वहां पर उसने 19 सप्ताह तक आर्मी की ट्रेनिंग ली और इसके बदले उसे 11,000 रूपए का भुगतान भी किया गया था। जब वह 28 दिन की छुट्टी पर घर आया तो उसे दोबारा एआरओ ऑफिस बुलाया गया और पूछताछ की गई जिसमें पता चला कि उसने गलत तरीके से परीक्षा पास की है। इसके बाद उसे हटा दिया गया।

युवाओं को ठगने का प्लान

इस मामले की जानकारी देते हुए उसने बताया कि सेना के रिटायर्ड उसके मामा ताजपुर गाजीपुर के निवासी जनार्दन यादव हैं और उन्हीं के गांव के रहने वाले लोरिक यादव ने पैसा लेकर उसको लिखित परीक्षा पास कराई थी। इसके बाद उसे ट्रेनिंग से निकाल दिया गया था। इन सब के बाद वह सेना की भर्ती प्रक्रिया के अच्छी तरह वाकिफ हो गया था। इसलिए अब वह भी युवाओं को ठगने का प्लान बनाया। जहां कहीं भी ट्रेनिंग होती थी, वहां पहुंच जाता था और सेना भर्ती के आए जवानों को झांसे में लेने की कोशिश करता था।

उसने बताया कि सकलडीहा इलाके के जगदीश यादव और जमानिया इलाके के अखिलेश यादव सेना में पहले से कार्यरत हैं। उससे इसका परिचय हो गया था। वह आसपास के लड़कों से आर्मी में लिखित परीक्षा मेडिकल में पास कराने के नाम पर पांच लाख रूपए ऐंठने का काम करने लगा। जगदीश और अखिलेश के सहयोग से उसने कई लोगों को सेना में भर्ती भी करवाया है, जिससे उसका इलाके में काफी नाम होने लगा था।

2019 में जब वाराणसी में आर्मी की भर्ती निकली तो उसने लगभग 25 लोगों से भर्ती कराने के नाम पर पैसे लिए सबसे चार-चार लाख रूपए लेकर उसने एचडीएफसी बैंक के अकाउंट में जमा करवा दिए। जब रिजल्ट आया तो सभी लड़के फेल हो गए हैं, तो उसने सबको लिखित परीक्षा में दोबारा पास कराने की बात कही।

इसी बीच लाक डाउन लग गया और सभी लोग पैसे वापस मांगने लगे। इस दौरान उसने अपने मामा के लड़के विकास और छोटे भाई रोहित को फर्जी तरीके से नियुक्ति पत्र देकर ट्रेनिंग के नाम पर भोपाल भेज दिया और आर्मी की वर्दी पहना कर गांव में प्रचार प्रसार करवाने लगा कि मैंने अपने भाइयों को सेना में भर्ती करवा दिया है। इसके बाद और भी लोग उसे पैसे देने लगे।

मेजर फॉर कमांडेंट के नाम से फर्जी नियुक्ति पत्र

इसके बाद जब 2019 में भर्ती हुए रंगरूटों को ट्रेनिंग में जाने का आदेश हुआ और जो लोग उसको पैसा दिए थे उनके नाम नहीं आए तो लगा कि मामला फंस जाएगा। इसलिए उसने जितने लोगों से पैसे लिए थे उन सभी को मेजर फॉर कमांडेंट के नाम से फर्जी नियुक्ति पत्र पकड़ा दिया है।

इसका पूरा प्लान चंदौली जिले के अलीनगर इलाके में स्थित मालती डिजिटल स्टूडियो एवम साइबर कैफे अलीनगर में बनाया गया था। यहीं पर उनका फर्जी अपॉइंटमेंट लेटर तैयार कराया गया था। सभी लड़के ट्रेनिंग के लिए जबलपुर और लखनऊ भेजे गए, जिसमें से 12 लड़के सत्यापन के बाद पकड़ लिए गए। उन सभी को जेल भेज दिया गया।

उसी घटना के बाद से यह छुपकर इधर उधर भाग रहे थे। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने इस तरह की जालसाजी करके लगभग 50 से 60 लाख कमा लिए हैं। इससे उसने घर भी बनवा लिया है और एक बुलेट भी खरीद ली है। शेष पैसे वह अपने लोगों पर उड़ा दिए हैं। इन्हीं की निशानदेही पर पुलिस ने तीन अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पकड़े गए लोगों में इस गिरोह का सरगना रविकांत, रिंकू यादव, विकास सिंह, रोहित यादव, दीपक यादव और देवेंद्र श्रीवास्तव शामिल हैं। यह सभी मिलकर जालसाजी का गिरोह चलाते थे। आज इन सभी लोगों को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने जेल भेज दिया है



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Vidushi Mishra

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