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UP Election 2022: जमानिया में मुश्किल लड़ाई में फंसे ओमप्रकाश,भाजपा और बसपा से मिल रही कड़ी चुनौती

UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव के सातवें चरण में गाजीपुर जिले की जमानिया विधानसभा सीट को काफी अहम माना जा रहा है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 28 Feb 2022 4:48 PM IST
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गाजीपुर जिले की जमानिया विधानसभा सीट (फोटो-सोशल मीडिया)

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सातवें चरण में गाजीपुर जिले की जमानिया विधानसभा सीट को काफी अहम माना जा रहा है। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। मुस्लिम बहुल इस सीट का एक दिलचस्प इतिहास यह भी है कि आज तक यहां पर एक भी मुसलमान प्रत्याशी को जीत नहीं मिल सकी है। हर बार की तरह इस बार भी मुस्लिम मतदाता चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएंगे मंगर बसपा और कांग्रेस ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर सपा की परेशानी बढ़ा दी है।

भाजपा ने 2017 में सीट पर जीत हासिल करने वाली सुनीता सिंह को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा है। सुनीता सिंह की ओर से 5 वर्ष के कार्यकाल के दौरान विकास के तमाम काम कराने का दावा किया जा रहा है। पिछले चुनाव में तीसरे नंबर पर बिछड़ने के बाद इस बार ओमप्रकाश सिंह ने भी पूरी ताकत लगा रखी है। इस कारण इस सीट पर दिलचस्प सियासी जंग दिख रही है।

धान की खेती के लिए जाना जाता है इलाका

जमानिया विधानसभा सीट का 2008 के परिसीमन के बाद पुनर्गठन किया गया था। नए परिसीमन में दिलदारनगर विधानसभा सीट समाप्त हो गई और जमानिया विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। गाजीपुर का यह इलाका कृषि आधारित क्षेत्र माना जाता है और इसे धान का कटोरा भी कहा जाता है। एशिया का सबसे बड़ा गांव गहमर भी इसी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

गहमर गांव से जुड़े हुए काफी संख्या में लोग भारतीय सेना में कार्यरत हैं और कहा जाता है कि यहां लगभग हर घर में कोई न कोई फौजी जरूर मिल जाएगा। इस इलाके में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग काफी सद्भाव के साथ रहा करते हैं और इसी कारण इस इलाके को गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है।

2017 में मिली थी भाजपा को जीत

2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा को जीत हासिल हुई थी। 2017 के चुनाव में भाजपा ने तत्कालीन सरकार में मंत्री ओमप्रकाश सिंह के खिलाफ सुनीता सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। बसपा की ओर से अतुल राय को टिकट दिया गया था जो कि मौजूदा समय में मऊ जिले की घोसी लोकसभा सीट से सांसद हैं। चुनाव जीतने के बाद से ही अतुल रहा एक लड़की के साथ बलात्कार के मामले में जेल में बंद है।

2017 के विधानसभा चुनाव में सुनीता सिंह ने अतुल राय को 9264 मतों के अंतर से हराया था। मजे की बात यह है कि इस चुनाव में ओमप्रकाश सिंह तीसरे स्थान पर खिसक गए थे। इस बार के चुनाव में वे एक बार फिर पूरी मजबूती के साथ सुनीता सिंह को चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

जमानिया का जातीय समीकरण

नए परिसीमन के बाद जमानिया विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल हो गया है और यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या एक लाख से अधिक है। इस बार के चुनाव में भी मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका काफी अहम होगी। मुस्लिम मतदाताओं के साथ ही कुशवाहा, यादव और दलित मतदाता भी यहां प्रत्याशियों की जीत हार में बड़ी भूमिका निभाएंगे। सभी प्रत्याशियों की ओर से जातीय समीकरण साधने की पूरी कोशिश की जा रही है।

सपा प्रत्याशी ओमप्रकाश सिंह को इस बार मुस्लिम और यादव मतदाताओं से काफी उम्मीदें हैं मगर बसपा और कांग्रेस ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बसपा ने इस सीट पर परवेज खान को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस ने फरजाना खातून को चुनाव मैदान में उतारा है।

दो मुस्लिम प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने के कारण ओमप्रकाश सिंह की दिक्कतें बढ़ गई हैं। वे मुस्लिम मतों में बसपा और कांग्रेस की सेंधमारी रोकने की कोशिश में जुटे हुए हैं। हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि उन्हें अपनी इस कोशिश में कहां तक कामयाबी मिल पाती है।

सभी दलों को मतदाताओं ने दिया मौका

पिछले तीन चुनावों के दौरान जमानिया के मतदाताओं ने बसपा, सपा और भाजपा तीनों दलों को मौका दिया है। 2007 के चुनाव में बसपा के राजकुमार को जीत हासिल हुई थी जबकि 2012 के चुनाव में सपा के ओमप्रकाश सिंह ने बाजी मारी थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सुनीता सिंह को इस सीट पर जीत हासिल हुई थी।

अब इस बार के चुनाव में सभी दलों की ओर से भाजपा प्रत्याशी की मजबूत घेराबंदी की जा रही है। हालांकि भाजपा प्रत्याशी ने क्षेत्र में विकास के तमाम काम कराने का दावा किया है मगर विपक्ष की ओर से उन पर क्षेत्र की अनदेखी के आरोप लगाए जा रहे हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा बनाए रखने में कामयाब हो पाती है या नहीं।



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Vidushi Mishra

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