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Gorakhpur News : गोरखपुर में सवा लाख शुल्क देकर हो सकेंगे मकान-दुकान वैध, सरकार ने दी यह व्यवस्था

Gorakhpur News : गोरखपुर विकास प्राधिकरण में शामिल 319 गांवों में बने सवा लाख से अधिक निर्माण अब अवैध नहीं होंगे।

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Shraddha
Published on: 13 July 2021 10:36 AM IST (Updated on: 13 July 2021 10:36 AM IST)
गोरखपुर में सवा लाख शुल्क देकर हो सकेंगे मकान-दुकान वैध
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गोरखपुर विकास प्राधिकरण ऑफिस (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

Gorakhpur News : नई महायोजना के चलते प्रदेश के 59 स्थानों पर नए इलाकों और गांवों को विकास प्राधिकरण (Development Authority) और नगर निगमों में शामिल किया जा रहा है। अभी तक शामिल नए गांवों में बने दुकान, मकान, स्कूल, पेट्रोल पंप आदि को लेकर संशय था कि ये महायोजना लागू होने के बाद ये वैध होंगे या अवैध। ऐसे में प्रमुख सचिव आवास ने नई व्यवस्था दी है। जिसके बाद गोरखपुर विकास प्राधिकरण (Gorakhpur Development Authority) में शामिल 319 गांवों में बने सवा लाख से अधिक निर्माण अब अवैध नहीं होंगे। इसके लिए लोगों को प्राधिकरण में प्रमाण पत्र के साथ ही निर्धारित शुल्क जमा करना होगा।

गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की महायोजना 2031 के अंतर्गत आने वाले नए क्षेत्रों में पहले से निर्मित भवनों को वैध कराने का मौका हजारों भवन स्वामियों को मिलेगा। महायोजना लागू होने से पहले भवन स्वामी को जीडीए में आवेदन देकर प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। इस प्रमाण पत्र के प्राप्त होने के बाद भूखंड एवं भवन का पहले से हो रहा उपयोग महायोजना लागू होने के बाद भी जारी रखा जा सकेगा। इसके लिए निर्धारित शुल्क भी जमा करना होगा। यह शुल्क बहुत अधिक नहीं होगा। शासन की ओर से सभी विकास प्राधिकरणों को इस संबंध में आदेश दिया गया है। प्रदेश में करीब 59 महायोजना बन रही है और उन सभी क्षेत्रों में लोगों को यह अवसर मिलेगा। शासन की ओर से जारी इस दिशा-निर्देशों को पहले विकास प्राधिकरण के बोर्ड को अंगीकृत करना होगा, उसके बाद लोगों से आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे।

गोरखपुर विकास प्राधिकरण में इस समय 319 गांव जुड़ गए हैं। तैयार हो रही महायोजना 2031 में इन गांवों को भी शामिल किया जा रहा है। महायोजना में इन गांवों के भूखंडों का भू उपयोग भी निर्धारित होगा। इन क्षेत्रों में हजारों लोग भूखंड या भवन का किसी न किसी रूप में उपयोग कर रहे हैं। यदि इनके उपयोग को जारी रखने का अनुमति महायोजना जारी होने से पहले नहीं ली गई तो उसे अवैध माना जाएगा। जैसे यदि कोई व्यक्ति स्कूल, औद्योगिक इकाई या व्यावसायिक उपयोग कर रहा होगा और महायोजना में भू उपयोग इसके विपरीत आ जाएगा तो वह अपने भवन का पहले से किया जा रहा उपयोग जारी नहीं रख पाएगा।

इसी तरह आवासीय भवन वाली जगह यदि व्यावसायिक हो गई तो उसे भी समस्या का सामना करना पड़ेगा। जीडीए के उपाध्यक्ष आशीष कुमार का कहना है कि विस्तारित क्षेत्र के भूमि एवं भवनों का पुराना उपयोग जारी रखने के लिए शासन की ओर से उपविधि 2021 जारी की गई है। उसे अगली बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। बोर्ड से अंगीकृत होने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।

यह प्रक्रिया अपनाकर पा सकेंगे राहत

शासन की ओर से जारी दिशा-निर्देशों को बोर्ड से अंगीकृत करने के बाद जीडीए भवनों एवं भूखंडों का उपयोग जारी रखने के लिए आवेदन का मौका देगा। एक निर्धारित प्रारूप पर आवेदन करना होगा। इसके साथ यह साबित करना जरूरी होगा कि महायोजना लागू होने से पहले से ही भवन या भूखंड का उपयोग हो रहा है। इसके लिए कुछ प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करने होंगे। इसके लिए पंजीकृत आर्किटेक्ट के जरिए तैयार भूमि या भवन की स्थिति का की-प्लान, साइट प्लान, स्थल पर विद्यमान भवन का मानचित्र, किसी सक्षम संस्था द्वारा मानचित्र पास हो तो उसकी प्रति, स्वामित्व प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसके अतिरिक्त नगर निगम या नगर पंचायत से जारी गृह कर, जल कर की रसीद या बिजली बिल प्रस्तुत किया जा सकता है। यदि भूमि या भवन का उपयोग प्रदूषण फैलाने वाले या संकटमय प्रकृति के उद्योग के रूप में हो रहा है तो पर्यावरण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अग्निशमन या विद्युत सुरक्षा का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी देना होगा।

भवन को ध्वस्त करने के बाद नए निर्माण के लिए कराना होगा मानचित्र

इस योजना के तहत भवन या भूमि को नियमित कराने के बाद उसके आंतरिक प्रारूप में बदलाव किया जा सकेगा। बाहरी डिजाइन में परिवर्तन नहीं हो सकेगा। यदि भवन को ध्वस्त कर नया निर्माण कराया जाता है तो प्राधिकरण से मानचित्र पास कराना होगा। ग्रीन बेल्ट (पार्क, खुले स्थल) के अंतर्गत यदि पुराने उपयोग को अनुमति दी जाएगी तो उस जमीन के बराबर क्षेत्रफल को महायोजना में आरक्षित किया जाएगा।

यह है शुल्क की दर

भूखंडीय आवासीय एवं अन्य उपयोग के लिए पांच रुपये प्रति वर्ग मीटर, ग्रुप हाउसिंग के लिए 15 रुपये प्रतिवर्ग मीटर, व्यावसायिक, शापिंग कांप्लेक्स, शापिंग माल, सिनेमा, मल्टीप्लेक्स, मिश्रित, कार्यालय उपयोग के लिए 30 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से प्रोसेसिंग शुल्क देना होगा।

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