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Gorakhpur News: डोर-टू-डोर तलाशे जा रहे हैं टीबी के मरीज, दस्तक अभियान में मिले नए 173 मरीज

Gorakhpur News: गोरखपुर में 01 तारीख से 31 जुलाई तक चले विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह एवं 11 से 25 जुलाई तक चले दस्तक अभियान के दौरान 173 नये टीबी रोगी खोजे गये हैं।

Purnima Srivastava
Written By Purnima SrivastavaPublished By Pallavi Srivastava
Published on: 2 Aug 2021 11:48 AM IST
UP News
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टीबी के मरीज की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

Gorakhpur News: गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहल पर संचालित हो रहे दस्तक अभियान के सकारात्मक नजीजे मिल रहे हैं। डोर टू डोर दस्तक से स्वास्थ्यकर्मी इंसेफेलाइटिस के साथ ही टीबी के मरीज भी तलाश रहे हैं। गोरखपुर में 01 तारीख से 31 जुलाई तक चले विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह एवं 11 से 25 जुलाई तक चले दस्तक अभियान के दौरान 173 नये टीबी रोगी खोजे गये हैं।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में सीएम की पहल पर संचालित हो रहे दस्तक अभियान 173 नये टीबी रोगी मिले हैं। अभियान में मिले सभी मरीजों का पंजीकरण निक्षय पोर्टल पर कर लिया गया है। इन्हें निःशुल्क इलाज के साथ ही इलाज के दौरान पांच सौ रुपये प्रति माह पोषण के लिए मिलेंगे।

जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. रामेश्वर मिश्र ने बताया कि अभियान के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकताओं की टीम ने घर-घर भ्रमण करके टीबी के लक्षणों वाले 866 लोगों को ढूंढा था। ढूंढे गये लोगों के क्लिनिकल (टीबी एक्स-रे आदि) जांच व बलगम की जांच करायी गयी। क्लिनिकल जांच में 84 लोगों में टीबी की पुष्टि हुई, जबकि बलगम जांच में 89 लोगों में टीबी मिला। नया मरीज ढूंढने वाली आशा कार्यकर्ता को 500 रुपये प्रति मरीज की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।

गोरखपुर टीबी क्लीनिक pic(social media)

ये लक्षण मिले तो डॉक्टर को दिखाएं

डॉ. मिश्र ने बताया कि दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना टीबी के सामान्य लक्षण हैं। ऐसे में अगर खांसी का मरीज है तो उसके सभी लक्षणों की गहनता से पड़ताल होनी चाहिए और संभावित टीबी मरीज दिखे तो टीबी की जांच अवश्य करवाई जानी चाहिए।

डीटीओ ने लोगों से अपील की कि टीबी को छिपाएं नहीं। टीबी रोगियों के इलाज में गोपनीयता बरती जाती है। लक्षणों के बावजूद अगर कोई बीमारी को छिपा रहा है तो इससे उसके परिवार में भी टीबी के प्रसार का खतरा रहता है। बीमारी छिपाने वालों का समय से इलाज शुरू नहीं हो पाता और टीबी खतरनाक रूप अख्तियार करने लगता है जिससे जटिलताएं बढ़ जाती हैं ।

अगर कोरोना वायरस ठीक हो गया है और फिर भी खांसी आ रही तो जांच जरूर करवाएं (सांकेतिक फोटो) pic(social media)

अगर खासी नहीं ठीक हो रही तो टीबी जांच जरूरी

डॉ. मिश्र ने बताया कि अगर कोई कोविड मरीज ठीक हो जाता है और उसकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है, फिर भी खांसी नहीं रूक रही है तो उसकी टीबी जांच अवश्य कराई जानी चाहिए। कोविड के लक्षण वाले व्यक्ति की जांच कराने पर अगर रिपोर्ट निगेटिव है तब भी टीबी जांच अवश्य करवा लें। इस समय टीबी की ट्रूनेट विधि से जांच की सुविधा जिला क्षय रोग केंद्र के अलावा सीएचसी पिपराईच, सीएचसी भटहट, सीएचसी कैंपियरगंज, पीएचसी खोराबार, सीएचसी बड़हलगंज और सीएचसी सहजनवा में भी उपलब्ध है।

Pallavi Srivastava

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