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Gorakhpur Crime News: मनीष गुप्ता हत्याकांड में CBI का बड़ा एक्शन, 6 पुलिसवालों के खिलाफ़ चार्जशीट की दाखिल
आरोपित पुलिसवाले हैं तत्कालीन एसएचओ जगत नारायण सिंह, तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर अक्षय कुमार मिश्रा, विजय यादव, राहुल दुबे, तत्कालीन हेड कांस्टेबल कमलेश सिंह यादव और कांस्टेबल प्रशांत कुमार।
Gorakhpur Crime News: गोरखपुर के एक होटल में कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की मौत के मामले में सीबीआई ने उत्तर प्रदेश के छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। इन सभी के खिलाफ आपराधिक साजिश और हत्या के आरोप लगाए गए हैं। आरोपित पुलिसवाले हैं - तत्कालीन एसएचओ जगत नारायण सिंह, तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर अक्षय कुमार मिश्रा, विजय यादव, राहुल दुबे, तत्कालीन हेड कांस्टेबल कमलेश सिंह यादव और कांस्टेबल प्रशांत कुमार।
लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष दायर अपने आरोप पत्र में, सीबीआई ने 6 पुलिसवालों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत नष्ट करना) सहित अन्य के साथ आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत चार्ज लगाया है। गोरखपुर के रामगढ़ ताल थाने के पुलिसकर्मी पिछले साल 27 सितंबर की आधी रात को गुप्ता के होटल के कमरे में घुसे थे और व्यवसायी मनीष गुप्ता को इतना मारा था कि उनकी मौत हो गई थी।
सीबीआई ने इस मामले में छह पुलिस अधिकारियों- तत्कालीन एसएचओ जगत नारायण सिंह, तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर अक्षय कुमार मिश्रा, विजय यादव, राहुल दुबे, तत्कालीन हेड कांस्टेबल कमलेश सिंह यादव और कांस्टेबल प्रशांत कुमार को आरोपित किया है।
सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक 27 और 28 सितंबर, 2021 की दरमियानी रात करीब 12 बजे एसएचओ, दो सब-इंस्पेक्टर और तीन अन्य पुलिस कर्मियों के साथ होटल के कमरे में घुसे और मनीष गुप्ता के साथ बदसलूकी करने लगे। गुप्ता के विरोध के बाद उन्होंने उन्हें पीटना शुरू कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्होंने बताया कि गुप्ता की मौके पर ही मौत हो गई।
अब इंस्पेक्टर समेत अन्य पुलिस वालों की बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू हो गई है
एसआईटी जहां हत्या के लिए ठोस वजह के साथ इरादा तलाश रही थी वहीं सीबीआई का अपनी चार्जशीट में मानना है कि पुलिसवालों का काम पिटाई करना नहीं है। उनकी पिटाई से ही हत्या का इरादा तय है। माना जा रहा है यही एक प्रमुख आधार था और गवाहों के बयान थे जिसके आधार पर सीबीआई ने हत्या में चार्जशीट दाखिल की है। चार्जशीट के मुताबिक, मनीष गुप्ता की होटल के कमरे में पिटाई के बाद और ऑन द स्पॉट ही मौत भी हो गई थी लेकिन सबूत छिपाने और साक्ष्य मिटाने के लिए इंस्पेक्टर जेएन सिंह सहित अन्य पुलिसवाले घंटो लेकर घूमते रहे और दो बजे के बाद मेडिकल कालेज पहुंचे थे। मनीष के दोस्तों के बयान के अलावा सीबीआई के पास कई ऐसे सबूत और फोरेंसिक साक्ष्य हाथ लगे जो हत्या की तरफ इशारा कर रहे थे।
रात 12 बजे ही हो गई थी मनीष की मौत
27 सितम्बर की रात में हुई घटना के बाद मनीष की 12 बजे से पहले होटल में ही मौत हो गई थी। 12.10 पर पुलिसवाले उसे मानसी हास्पिटल ले गए थे। यह हास्पिटल अक्षय मिश्रा के इलाके में आता है इसलिए पास में पुलिसवाले पहले वहीं गए थे। वहां डॉक्टर को पल्स नहीं मिल रही थी उसके बाद भी डॉक्टर ने आधिकारिक तौर पर मृत न घोषित करते हुए मेडिकल कालेज रेफर कर दिया था। वहीं दूसरी तरफ पुलिसवालों को अंदाजा हो गया था कि मनीष की मौत हो गई है लिहाजा वह सबूत छिपाने जुट गए।
दो घंटे लाश को लेकर घूमते रहे पुलिस वाले
पुलिस वाले मनीष की लाश को लेकर दो घंटे तक घूमते रहे। यही वजह थी कि मेडिकल कालेज दो बजे के बाद पहुंचे। 2.10 बजे यहां अज्ञात के नाम से पहली पर्ची बनी जिसमें डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया था। इस बीच इंस्पेक्टर जेएन सिंह पहुंचे और डॉक्टर पर दबाव बनाकर मनीष गुप्ता के नाम पर 2.15 बजे दूसरी पर्ची बनाई गई थी उसमें मनीष को भर्ती किया गया और करीब 20 मिनट बाद यानी 2.35 पर मृत घोषित किया गया था।
ये है मामला
हरियाणा के अपने दो दोस्तों प्रदीप और हरबीर सिंह के साथ मनीष गुप्ता गोरखपुर घूमने आए थे। गोरखपुर के रहने वाले दोस्त चंदन सैनी ने उन्हें बुलाया था। प्रदीप और हरबीर गुणगांव से ही कार से गोरखपुर के लिए निकले थे और कानपुर से मनीष को साथ ले लिए थे। चंदन सैनी ने रामगढ़ताल इलाके के कृष्णा पैलस होटल को बुक कराया था। तीनों दोस्तों ने 27 सितम्बर की शाम को कुछ इलाकों में घूमने के बाद अदालत के ढाबा पर खाना खाकर होटल में लौटे थे। रात में करीब 11 बजे चंदन सैनी अपने साथियों के साथ गांव के लिए निकल गया था जबकि मनीष, प्रदीप और हरबीर एक ही कमरे में रुक गए थे। रात साढ़े 11 बजे के करीब रामगढ़ताल इंस्पेक्टर जेएन सिंह अपनी टीम के साथ होटल में चेकिंग के नाम पर पहुंचा था। जेएन सिंह व अन्य ने प्रदीप और हरबीर की पिटाई कर कमरे से बाहर निकाल दिया था। मनीष गुप्ता ने उनकी चेकिंग पर सवाल उठाया था और अपने भांजे को उसी दौरान फोन कर पुलिस की ज्यादती बताई थी। मनीष और भांजे की बातचीत रिकार्ड हो गई थी। मनीष के भांजे भाजपा नेता हैं उनसे बात करने के बाद ही जेएन सिंह चीढ़ गया था और फिर अक्षय मिश्रा के साथ मिलकर बुरी तरह से पिटाई की थी। यही नहीं उसने पुलिस अधिकारियों को भी गुमराह किया था। एसएसपी डा. विपिन ताडा से उसने बताया था कि शराब के नशे में बेड से गिरने से मनीष को चोट आई और अस्पताल में मौत हो गई थी।