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Gorakhpur Hatyakand: खूब लड़ी मीनाक्षी, सुहाग के लिए बनाया ट्विटर एकाउंट, हिल गई सरकार

28 सितम्बर को कानपुर के रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर पुलिस द्वारा पीट-पीट कर कथित हत्या हुई तो सभी को लग रहा था कि यह मामला भी पुलिस की फर्जी गढ़ी कहानियों की तरह भेंट चढ़ जाएगा।

Purnima Srivastava
Published on: 1 Oct 2021 7:27 PM IST
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मीनाक्षी गुप्ता की तस्वीर (डिजाइन फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Gorakhpur Hatyakand: कानपुर की मीनाक्षी भले ही सती सवित्री की तरह अपने पति को यमराज से छीनने में कामयाब नहीं हुई।.लेकिन अकेले दम पर उसने न सिर्फ सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों तक अपनी बात पहुंचाई, बल्कि काफी हद तक अपना हक और वाजिब न्याय छीनने में भी कामयाब रही। सोशल मीडिया की ताकत को पहचाने हुए घटना के बाद ही ट्विटर एकाउंट बनाया और मर्दानी की तरह सड़कों पर लड़ी। पति के हत्यारों के खिलाफ लड़कर मुकदमा दर्ज कराया।हत्यारोपियों को फांसी के फंदे पर पहुंचाने का जज्बा मीनाक्षी की आंखों में साफ दिखता है।

मनीष गुप्ता हत्याकांड की पूरी कहानी

28 सितम्बर को कानपुर के रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर पुलिस द्वारा पीट-पीट कर कथित हत्या हुई तो सभी को लग रहा था कि यह मामला भी पुलिस की फर्जी गढ़ी कहानियों की तरह भेंट चढ़ जाएगा। मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने आंसू तो बहाया। लेकिन अपनी ताकत को भी पहचाना। हत्या के चंद घंटों बाद ही गोरखपुर पहुंची मीनाक्षी ने बिना किसी सहारे के खुद न्याय की लड़ाई शुरू की। 28 सितम्बर को ही ट्वीटर एकाउंट बनाया। सोशल मीडिया के सहारे न्याय की लड़ाई को देश-दुनिया में पहुंचा दिया।

मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी का बयान

मीनाक्षी ने ट्विटर एकाउंट बनाकर सत्ताधारी दल के शीर्ष नेताओं के साथ विपक्ष के नेताओं को फालो किया। मीनाक्षी ने पहला ट्वीट 28 सितम्बर को 11.37 बजे किया। जिसमें पति के साथ पुलिसिया दरिंदगी की फोटो को लगाने के बाद लिखा, 'गोरखपुर माननीय मुख्यमंत्री जी क्षेत्र में पुलिस वालों का गुंडाराज एक प्रॉपर्टी डीलर की रात करीब 12:30 से 1:00 बजे के आसपास रामगढ़ ताल के पुलिस वालों ने मेरे पति मनीष गुप्ता की हत्या कर दी उसके बावजूद प्रशासन चुप बैठा है । मुझे न्याय चाहिए माननीय मुख्यमंत्री जी से। इसी ट्विटर एकाउंट पर मीनाक्षी ने एसएसपी विपिन टांडा के गैर जिम्मेदाराना बयान का वीडियो भी पोस्ट किया। जिसमें वह मामले को हादसा बताते दिख रहे हैं। इसके बाद तीसरे पोस्ट में गोद में 4 साल के बेटे के साथ एक बाइट है।

मीनाक्षी गुप्ता की तस्वीर

जिसमें वह लोगों से अपील करती दिख रही हैं कि कृपया मुझे न्याय दिलाएं। इसके बाद मीनाक्षी ने उस तहरीर की कापी को भी ट्वीट किया जिसमें उन्होंने छह पुलिस वालों को पति की हत्या में नामजद किया है। हालांकि पुलिस ने सिर्फ तीन पुलिस वालों को नामजद करते हुए अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद मीनाक्षी ने होटल की सीढ़ियों पर बैठकर रोते हुए लोगों से न्याय की गुहार करती हुईं दिखीं। वह कहती दिखीं, 'होटल वालों ने सभी सबूत पुलिस वालों की मदद से मिटा दिये हैं।' मीनाक्षी का अंतिम ट्वीट 30 सितम्बर को 11.08 बजे का है। जिसमें वह अपील करती दिख रही हैं कि कृपया इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाएं, मैं अपने पति के लिए इंसाफ चाहती हूं।

सभी राजनीतिक दलों के मुखिया को ट्विटर पर फॉलो किया

मीनाक्षी ने ट्विटर पर अभी तक 19 लोगों को फालो किया है। इसमें पीएम नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, पीएमओ, गृहमंत्री अमित शाह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बसपा सुप्रीमो मायावती आदि शामिल हैं। पिछले तीन दिनों में मीनाक्षी ने कुल 11 ट्वीट किये हैं, लेकिन इसे लोगों ने री-ट्वीट कर पूरी दुनिया में पहुंचा दिया।

3 दिन में करीब 4000 फालोवर

मीनाक्षी के ट्विटर एकाउंट की उम्र सिर्फ 72 घंटे ही हुई है । लेकिन इस पर बड़े-बड़े अखबार और चैनलों के रिपोर्टर के साथ राजनीतिक दलों के नुमाइंदे फालोअर बन गए हैं। एक-एक वीडियो को लाखों लोगों ने देखा है और री-ट्वीट किया है। एक वीडियो जिसमें मीनाक्षी होटल के सीढ़ियों पर बैठ कर न्याय की गुहार कर रही है, उसे 1.2 लाख से अधिक लोगों ने देखा है। करीब 5400 लोगों ने री-ट्वीट किया है।

डीएम-एसएसपी के अप्रत्यक्ष धमकी पर भी नहीं डिगी

मीनाक्षी ने गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज गेट के बाहर बैठकर धरना देकर पुलिस को मुकदमा दर्ज करने को विवश किया । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मामले में हस्तक्षेप करने को विवश किया। जब बंद कमरे में गोरखपुर के डीएम विजय किरन आनंद और एसएसपी विपिन टांडा अप्रत्यक्ष रूप से मुकदमा दर्ज नहीं कराने को लेकर अपने अंदाज में समझा रहे थे, तब भी वह चट्टान की तरह पति के हत्यारों को सजा दिलाने पर कामय रही। कानपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मिलने को विवश किया, बल्कि उस हक को हासिल किया जिसकी वह हकदार थी।

धमकियां झेलती रही पर नहीं मानी मीनाक्षी

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हर्ष कुमार सिन्हा अपने फेसबुक वाल पर मीनाक्षी की बहादुरी के साथ पूरे सिस्टम पर कटाक्ष करते हुए लिखते हैं कि यह मामला इस लिए कुछ हद तक मुकाम पर पहुंचता दिखा क्योकि मीनाक्षी जैसी जीवट महिला आगे थी। हर मामले में गुहार लगाने वाली मीनाक्षी गुप्ता नहीं होती जो घण्टों तक डीएम और एसएसपी की लीपापोती की गुहार-धमकियां झेलती रही पर डिगी नहीं। प्रो.सिन्हा लिखते हैं कि इस वारदात में दुनिया ने बहुत साफ तरीके से यह देखा कि पुलिस- प्रशासन का सारा सिस्टम शुरू से ही कातिलों के पक्ष में और पीड़ितों के खिलाफ जम कर मुखर और सक्रिय था।

एसएसपी वही कहानी सुना रहे थे जो क़ातिल इंस्पेक्टर ने लिखी थी। पूरा सिस्टम सड़ चुका है। वेलफेयर स्टेट की अवधारणा का फेयरवेल हो चुका है। 10 दिसंबर को हर साल मानवाधिकार दिवस मनाने वाले या अपनी कार, बाइक पर नेशनल और इंटरनेशनल ह्यूमन राइट दुकानों का बोर्ड लगाकर चलने वाले किसी धंधेबाज ने इस मसले पर कोई बयान नहीं दिया ।

अखबार वालों ने भी उनसे पूछने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। हर जगह भैंस लाठी वाले के कब्जे में है। पीछे सत्ता, नेता, अफसर सब हाथ बांधे खड़े हैं। इस हालात को अकेले बदल सकने की ताकत रखने वाले अखबार भी अब सच देखना, बोलना, कहना नहीं चाहते क्योंकि रिपोर्टरों और संपादकों के लिए ऐसा करना अब सम्भव नहीं रहा।




Divyanshu Rao

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