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Gorakhpur Me Mandir: यहां घर में है 'मॉ' का मंदिर, बेटों ने इसलिए स्थापित की प्रतिमा
Gorakhpur Me Mandir: गोरखपुर के बिछिया में ताउम्र के लिए दो बेटों द्वारा स्थापित मां के मंदिर की बात कई मायनों में निराली है।
Gorakhpur Me Mandir: नवरात्रि (Navratri) में वैसे तो हर चौराहे, पार्क और सार्वजनिक स्थलों पर मां दुर्गा (Maa Durga) की प्रतिमा स्थापित हुई हैं। लेकिन गोरखपुर के बिछिया में ताउम्र के लिए दो बेटों द्वारा स्थापित मां के मंदिर की बात कई मायनों में निराली है। घर में मां का मंदिर स्थापित किया है दो बेटों ने। ताकि कोरोना में दूर हुई मां हमेशा 'करीब' रहे। मां की प्रतिमा के लिए बेटों ने न सिर्फ लाखों खर्च कर जीवंत प्रतिमा बनवाई, बल्कि खुद आरती भी लिख डाली। रोज इसी आरती से मां की अराधना होती है। बेटे आरती को कॉपीराइट कराने की औपचारिकता पूरी करने में जुटे हैं।
Gorakhpur News - बिछिया कैंप (Gorakhpur Beechiya Camp) निवासी राहुल सिंह की मां गीता सिंह का निधन कोरोना संक्रमण के चलते बीते 14 मई को हो गया। गीता देवी की असमय मौत पति उमेश सिंह के साथ उनके बेटों राहुल व वैभव के लिए बड़े सदमे की तरह था। मां से दूर हुए बेटों ने निर्णय लिया कि भगवान के साथ मंदिर में मां की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी। जयपुर में निजी बैंक में कार्यरत वैभव सिंह ने संगमरमर की प्रतिमा ऑर्डर दिया। वैभव बताते हैं कि "तीन महीने लगातार मूर्तिकार के पास जाता था। ताकि मां का अक्स प्रतिमा में साफ दिखे। ढाई फीट की प्रतिमा तैयार हुई तो लगा मां सामने बैठी है।"राहुल कहते हैं कि मंदिर में ही मां की प्रतिमा स्थापित की गई है। प्रतिमा में मां का अक्स दिखता है। जैसे राम की मूर्ति और मंदिर की जरूरत है। वैसे ही मां की मूर्ति मुझे शक्ति और उनके प्रति प्रेम का अहसास देती है। माता-पिता का स्थान भगवान से भी ऊपर है। बहु प्रीति सिसोदिया बताती हैं,"मंदिर में उनकी अराधना से अहसास रहता है कि मां का आशीर्वाद परिवार के साथ है।"
खुद लिखी आरती की कॉपीराइट करा रहे बेटे
शिक्षक पुत्र राहुल ने मां के ऊपर आरती लिखी है। जो सुबह-शाम मंदिर में बजती है। आरती को सुर गायिका अर्पिता उपाध्याय ने दिया है। राहुल बताते हैं कि गीता मां की आरती की कॉपीराइट की औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। जल्द ही गरीब बच्चों को बेहतर कोचिंग के लिए गीता मां की क्लास शुरु करेंगे।
पांच साल पहले भी स्थापित हुआ था माता-पिता का मंदिर
बिछिया कैंप में अकोलवा के पास माता-पिता का मंदिर भी स्थापित है। डॉ.शिवानंद श्रीवास्तव और उनके भाईयों ने पिता जगदंबा लाल श्रीवास्तव और मां प्रभावती देवी की याद में पांच साल पहले करीब 15 लाख रूपये की लागत से मंदिर का निर्माण कराया है। डॉ.शिवानंद बताते हैं कि मंदिर में सुबह-शाम पूजा होती है। मंदिर की स्थापना से कभी लगा ही नहीं कि माता-पिता हमारे बीच नहीं हैं। पीढ़ियां माता-पिता का सम्मान करें, मंदिर इसी संदेश के साथ स्थापित किया है।सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि एक तरफ बुजुर्ग मां-बाप बेटों के तिरस्कार के चलते खुद का पिंडदान कराने को विवश हैं, वहीं ऐसे भी उदाहण हैं जो रिश्तों की मर्यादा की मिसाल बन रहे हैं। जरूरी नहीं कि सभी घर में मां की प्रतिमा स्थापित करें। लेकिन इतना जरूर करें जिसने जन्म दिया उसकी सम्मान करें। देखरेख करें।
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