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Gorakhpur News: जानिए दस दिन में GDA ने कैसे कमाए 7 करोड़ से अधिक रुपये

Gorakhpur News: गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) में नए उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह के प्रयास से बदलाव की बयार बह रही है। । लंबे समय से लंबित सात मामलों को उपाध्यक्ष ने मौके पर निस्तारित किया।

Purnima Srivastava
Written By Purnima SrivastavaPublished By Pallavi Srivastava
Published on: 10 Aug 2021 10:58 AM IST
Gorakhpur Development Authority (GDA)
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गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) pic(social media) 

Gorakhpur News: गोरखपुर विकास प्राधिकरण में सालों से धूल फांक रहीं फाइलों का अब निस्तारण किया जा रहा है। लोग अपनी-अपनी समस्याएं लेकर प्राधिकरण पहुंच रहे हैं। जब से गोरखपुर विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह आएं हैं तब से लंबित पड़े मामलों को निपटाया जा रहा है।

छोटे-छोटे मामलों को लटकाने-भटकाने के लिए प्रसिद्ध गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) में नवागत उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह के प्रयास से बदलाव की बयार बह रही है। असरदार अफसर की सक्रियता का नतीजा है कि प्राधिकरण में वर्षों पुराने उद्यमियों के मानचित्र स्वीकृत हो रहे हैं। तो वहीं आम लोग भी समस्याएं लेकर पहुंच रहे हैं। सालों से लंबित काम होने लगे हैं। इससे प्राधिकरण को दस दिन के अंदर 7 करोड़ से अधिक की कमाई हुई है। लंबे समय से लंबित मानचित्र एवं नामांतरण (म्यूटेशन) के सात मामलों को उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह ने मौके पर निस्तारित किया है। इससे प्राधिकरण को 81 लाख 61 हजार 380 रुपये की आय हुई है।

गोरखपुर विकास प्राधिकरण में फाइलों को निपटाते उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह pic(social media)

बता दें कि जीडीए में छोटी-छोटी तकनीकी कमियों के कारण कई लोगों के मानचित्र एवं नामांतरण का मामला लंबित चल रहा था। उपाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद प्रेम रंजन सिंह ने इसके निस्तारण के लिए शिविर लगाने की पहल की। सचिव राम सिंह गौतम के साथ उन्होंने शिविर में मौजूद रहकर मामलों को सुना और निस्तारित कराया। उनके सामने आवेदक, संबंधित अवर अभियंता एवं सहायक अभियंता के बीच चर्चा के दौरान मामले का हल भी निकल गया। जो भी कमी अभियंताओं की ओर से बताई जाती थी, आवेदक उसे दूर कर लेते थे। पहले सप्ताह में 35 से अधिक मामले निस्तारित हुए थे और जीडीए को करीब दो करोड़ रुपये की आय हुई थी।

21 वर्ष पुराना मामला चंद मिनटों में निस्तारित

गोरखपुर विकास प्राधिकरण में उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह के प्रयासों से उद्यमियों के साथ ही आम नागरिकों का वर्षों पुराना मामला निस्तारित हो रहा है। जीडीए उपाध्यक्ष ने बीते दिनों 21 साल पुराना मामला निस्तारित किया है। इसमें आवेदक रजिस्ट्री की अनुमति के लिए दौड़ रहा था लेकिन उसे राहत नहीं मिल रही थी।

बीते शनिवार को ऐसे मामलों को भी निस्तारित किया गया जिनके मानचित्र को रिजेक्ट किया जा चुका था।ऐसे आवेदकों को उन्हीं जेई ने बुलाया जिन्होंने मानचित्र में कमियां बताई थीं। शुक्रवार एवं शनिवार मिलाकर करीब 100 से अधिक लोग प्राधिकरण पहुंचे थे। सभी की सुनवाई कर जरूरी कागजातों को उपलब्ध कराने को कहा गया।

लोग अपनी समस्या लेकर पहुंच रहे हैं प्राधिकरण pic(social media)

लोगों को बुला कर मामलों का हो रहा निपटारा

जीडीए में इन दिनों उल्टी गंगा बह रही है। जो अवर अभियंता मानचित्र स्वीकृति के लिए लोगों को बार-बार दौड़ाते थे, वे फोन कर आवेदकों को बुला रहे हैं। यह जिम्मेदारी जीडीए उपाध्यक्ष ने इंजीनियरों को सौंपी है। रिजेक्ट किये जा चुके 31 मानचित्र को स्वीकृत किये जाने की कोशिशें हो रही हैं।

पिछले तीन महीने में जिन लोगों के मानचित्र छोटी-छोटी कमियों के कारण निरस्त हो चुके हैं, उनके पास भी फोन जा रहा है। उन्हें शुक्रवार एवं शनिवार को कार्यालय बुलाया जा रहा है। वे जीडीए उपाध्यक्ष से मिलेंगे और उनके मानचित्र की कमियों को दूर कर उसे पास किया जाएगा।

जीडीए उपाध्यक्ष ने कहा- 'समस्या है तो प्राधिकरण आएं, मैं हूं न'

जीडीए उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जीडीए लोगों की सुविधा के लिए तत्पर है। पुराने लंबित मामलों का निस्तारण हो रहा है, जिससे लोगों का विश्वास बढ़ा है। यदि किसी का आवेदन लंबे समय से लंबित हो या प्राधिकरण से जुड़ी कोई अन्य समस्या हो तो वह शिविर में आ सकता है। उनके कार्यालय में भी सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक लोग मिल सकते हैं। पिछले तीन महीने में 31 मानचित्र निरस्त किए गए हैं।

जिनके आवेदन अभी लंबित हैं, उन्हें फोन कर शुक्रवार एवं शनिवार को कार्यालय बुलाया जा रहा है। मानचित्र को रिजेक्ट करने की वजह देखी जाएगी। यदि कोई कमी है तो दूर कराएंगे। जानबूझ कर दौड़ाया जा रहा होगा तो इंजीनियर के खिलाफ कार्रवाई होगी। इसके अलावा अगले सप्ताह सोमवार एवं मंगलवार को विशेष शिविर भी लगेगा।



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Pallavi Srivastava

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