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Gorakhpur News: गोरखपुर में नेपाल की नदियों से तबाही, टूटने के कगार पर बांधे, जलशक्ति मंत्री ने लिया जायजा
नेपाल की नदियों से आ रहे पानी से गोरखपुर में स्थिति बेकाबू होती दिख रही है। गोरखपुर के 11 बांधों में रिसाव शुरू हो गया है...
Gorakhpur News: नेपाल की नदियों से आ रहे पानी से गोरखपुर में स्थिति बेकाबू होती दिख रही है। गोरखपुर के 11 बांधों में रिसाव शुरू हो गया है। गोरखपुर-सोनौली मार्ग पर बाढ़ का पानी आने से प्रशासन मुश्किल में है। नदियों का जलस्तर हर घंटे एक-दो इंच बढ़ रहा है। बांध टूटे तो 1998 जैसे हालात हो सकते हैं। शहरी इलाकों में भी 1000 से अधिक मकानों में पानी घुसा हुआ है। देर रात जलशक्ति मंत्री भी गोरखपुर पहुंच गए हैं। रिसाव की सूचना पर मंत्री महेन्द्र सिंह ने मानीराम कुदरिया बांध का निरीक्षण किया।
मंगलवार को रोहिन नदी का पानी अपने उफान पर आकर गोरखपुर- सोनौली मार्ग पर चढ़ गया। पानी की धार काफी तेज है। ऐसे में फिलहाल तो लोग इस रास्ते से आ-जा रहे हैं, लेकिन अगर यही स्थिति रही तो 24 से 48 घंटों के अंदर नेपाल को जाने वाली गोरखपुर- सोनौली पर आवागमन बंद हो जाएगा। इसके अलावा गोरखपुर- वाराणसी मार्ग पर भी मंगलवार पर भी पानी आने की खबर है। रोहिन, राप्ती, घाघरा नदियों का लगातार बढ़ते जलस्तर के खौफ से लोगों ने पलायन शुरू कर दिया है। पूरा गांव या तो बांधों पर शरण ले रहा है या फिर पक्के मकान वाले अपनी छतों पर पनाह ले रहे हैं।
रोहिन नदी के बांधों से पांच स्थानों पर रिसाव शुरू हो गया है
राप्ती और रोहिन नदी के बांधों से पांच स्थानों पर रिसाव शुरू हो गया है। ऐसे में अगर इनमें से कोई एक बांध भी टूटा तो 1998 के बाढ़ के तबाही वाले हालात बन सकते हैं। शहर के महेवा हार्बट बंधे पर बना रेग्यूलेटर में बीते दो दिनों से रिसाव हो रहा है। जबकि मानीराम कुदरिया, बनरहां विस्तार बुढ़ेली के पास, पीपीगंज मखनहां बंधे पर रिसाव, गोरखनाथ इलाके में रामपुर नयागांव गांव और बेलीपार इलाके के हार्बट बंधे पर भी रिसाव हो रहा है। हालांकि, स्थानीय लोग रात-दिन यहां बालू की बोरियां और अन्य जुगत करने में जुटे हुए हैं। ताकि बांध को टूटने से बचाया जा सके।
बता दें कि 23 साल पहले राप्ती नदी पर स्थित लहसड़ी बांध टूट जाने से शहर का आधा हिस्सा डूब गया है। ऐसे में लहसड़ी से लेकर बड़गों और महेवा तक नदी काफी तेजी से बढ़ रही है। स्थानीय निवासी राजीव दत्त बताते हैं कि गांव में 1998 की बाढ़ और अब में फर्क सिर्फ इतना है कि उस वक्त बांध टूट जाने से नदी का पानी शहर में घुस गया था, अभी फिलहाल बांध सुरक्षित है। मंझारियां के सभी टोलों के अधिकांश घर पूरी तरह डूब चुके हैं। ऐसे में लोग परिवार सहित मेवेशी लेकर बांधों पर शरण ले रहे हैं। कुछ लोगों ने छत को ठिकाना बनाया है। इसके साथ ही बाढ़ का पानी आबादी वाले इलाकों को अब रेस्क्यू किया जा रहा है। मंगलवार को एसडीआरएफ टीम ने 39 व्यक्तियों व उनके सामान समेत रेस्क्यू कर बाहर निकाला। इनमें बरगदवा इलाके के 21 लोग शामिल हैं। डीएम और एसडीएम सदर मौके पर जाकर लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकलवा रहे हैं।
200 से अधिक नावें लगाई गईं
सरयू नदी का पानी तेजी से बढ़ रहा है बड़हलगंज इलाके में डुमरी-गोपलामार तटबंध पर रिसाव रहा है। तटबंध को टूटने से बचाने के लिए ग्रामीणों द्वारा बोरी में मिट्टी भरकर किनारे पर रखा जा रहा है। नदियों की बाढ़ से पौने दो सौ गांव प्रभावित हैं। इन गांवों की तकरीबन दो लाख आबादी दिक्कतें उठा रही है। प्रशासन द्वारा 200 से अधिक नावें लगवाई गई हैं। ग्रामीणों के बीच राहत सामाग्री बंटवाई जा रही है।
राप्ती और गोर्रा नदी उफान पर
इसके अलावा चौरीचौरा और झंगहा इलाके के 5 बांधों में रिसाव शुरू हो गया है। झंगहा स्थित राप्ती रोहा बांध सहित गोर्रा नदी के महुआकोल, लकड़िहा, बोहवार में बांधों पर रिसाव है। हालांकि स्थानीय लोग और प्रशासन की टीम लगातार यहां मरम्मत का काम कर रही है। जबकि फरेन नाले का पानी अब ओवलफ्लो होकर गांवों की ओर जाना शुरू हो गया है। डीएम विजय किरन आनंद ने बताया कि जहां भी बांधों का रिसाव हो रहा है, वहां लगातार मरम्मत का काम जारी है। फिलहाल कोई खतरे की बात नहीं है। बाढ़ राहत सहित अन्य टीमों को दिन रात अलर्ट मोड पर रखा गया है।