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Bhikhari Thakur: रंगमंच पर जिंदा होंगे भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर, गोरखपुर के कलाकार ऐसे देंगे श्रद्धांजलि

Gorakhpur News: गोरखपुर के रंचमंच पर रूपान्तर नाट्य मंच भिखारी ठाकुर पर आधारित मौलिक भोजपुरी नाटक ‘कहत भिखारी’ का मंचन करने जा रहा है।

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Monika
Published on: 16 Dec 2021 7:50 AM GMT
Bhikhari Thakur
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भिखारी ठाकुर (photo : सोशल मीडिया ) 

Gorakhpur News: भोजपुरी के शेक्सपियर (Bhojpuri ke Shakespeare) के रूप में देश-दुनिया में पहचान रखने वाले भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) को गोरखपुर रंगमंच (Gorakhpur Rangmanch kalakar) के कलाकार उनकी 50 वें पुण्यतिथि वर्ष में अलग ही अंदाज में श्रद्धांजलि देंगे। शहर की सबसे पुरानी संस्था रूपान्तर नाट्य मंच ने भिखारी ठाकुर पर प्रस्तुति का चयन इसलिए किया है क्योंकि यह वर्ष भोजपुरी के महानायक 'नटसम्राट' भिखारी ठाकुर का 50वां पुण्यतिथि वर्ष है। गोरखपुर के रंचमंच पर रूपान्तर नाट्य मंच भिखारी ठाकुर पर आधारित मौलिक भोजपुरी नाटक 'कहत भिखारी' (Bhojpuri Natak kahat bhikhari) का मंचन करने जा रहा है।

मंच ने जुड़े कलाकार नाटक मुक्ताकाशी मंच तारामण्डल में रिहर्सल पिछले काफी दिनों से कर रहे हैं। शुक्रवार (17 दिसम्बर, 2021) की शाम 6 बजे दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित संवाद भवन में प्रस्तुत होने वाले नाटक की सभी तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। रूपांतर नाट्स मंच की अध्यक्ष रंगकर्मी एवं अभिनेत्री डॉ अमृताज जयपुरियार कहती है कि भिखारी ठाकुर बहु आयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे, एक साथ कवि (poet), गीतकार (lyricist), नाटककार (playwriter), नाट्य निर्देशक (Theater Director), लोक संगीतकार (Folk Musician) और अभिनेता (Actor) भी थे। भोजपुरी को अपनी मातृभाषा कहने वाले भिखारी ठाकुर ने उसे ही अपने कर्म की भाषा चुना और गवई शैली में नाच प्रस्तुत किया। 'कहत कबीर' नाट्य लेख लिखने वाले रंगकर्मी अभिनेता अपर्णेश मिश्र कहते हैं कि भिखारी लोक कलाकार एवं रंगकर्मी होने के साथ जन जागरण के संदेशवाहक भी थे। संस्था के सचिव निशिकान्त पाण्डेय कहते है कि गोरखपुर की प्रतिष्ठित संस्था रूपांतर एवं रंगजगत की राष्ट्रीय पटल पर पहचान बनाने वाली निर्देशिका स्मृति शेष डॉ गिरीश रस्तोगी द्वारा 48 वर्षो तक बतौर संस्था अध्यक्ष के रूप में स्थापित प्रतिमान के अनुरूप शुक्रवार को नाटक की प्रस्तुति होगी। उन्होंने शहर के रंगकर्मियों से अपील किया कि नाटक को देखने के लिए आवश्य आएं।

राहुल सांकृत्यायन ने भिखारी ठाकुर को बताया था भोजपुरी का 'शेक्सपियर' (Bhojpuri ke Shakespeare)

राहुल सांकृत्यायन के द्वारा उन्हें भोजपुरी का 'शेक्सपियर' कहा। उनकी ख्याति बिहार पूर्वांचल के साथ कोलकाता, मुंबई दिल्ली एवं देश विदेश के भोजपुरी भाषा के लोगों के बीच आज भी है। उन्होंने अपनी रचनाओं में समाज से जुड़े विषयों को चुना, यही कारण है कि उनकी कृतियां आज भी पूर्ण रूप से प्रासंगिक हैं। नाटक का निर्देशन करने वाले वर्तमान युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक गतिविधियों से अपने संस्कार व सभ्यता से जोड़ने में एवं तमाम समाजिक कुरीतियों से अवगत कराने में भिखारी ठाकुर की रचनाएं एवं प्रस्तुतियां एक सेतु का काम करती हैं।

बिहार के सारन जिले में हुआ था जन्म (Bhikhari Thakur birth)

भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसम्बर 1887 को बिहार के सारन जिले के कुतुबपुर (दियारा) गाँव में एक नाई परिवार में हुआ था। जीविकोपार्जन के लिये गाँव छोड़कर खड़गपुर चले गये। वहाँ उन्होने काफी पैसा कमाया किन्तु वे अपने काम से संतुष्ट नहीं थे। रामलीला में उनका मन बस गया था। इसके बाद वे जगन्नाथ पुरी चले गये। अपने गाँव आकर उन्होने एक नृत्य मण्डली बनायी और रामलीला खेलने लगे। इसके साथ ही उन्होंने नाटक, गीत एवं पुस्तकें लिखना भी आरम्भ कर दिया। 10 जुलाई 1971 को 84 वर्ष की आयु में उनका निधन (Bhikhari death) हो गया। उनकी प्रमुख कृतियों में बिदेशिया, भाई-बिरोध, बेटी-बियोग या बेटि-बेचवा, कलयुग प्रेम, गबर घिचोर, गंगा स्नान (अस्नान), बिधवा-बिलाप, पुत्रबध, ननद-भौजाई, बहरा बहार, कलियुग-प्रेम, राधेश्याम-बहार, बिरहा-बहार, नक़ल भांड अ नेटुआ के आदि शामिल है।

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Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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