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Gorakhpur News: अपने गुरु की सेहत बिगड़ती देख मेदांता अस्पताल में योगी ने किया था महामृत्युंजय का जाप
Gorakhpur News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने 12 सितंबर 2014 अपनी इच्छा से शरीर त्यागा था। उनके और बतौर गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी योगी में भावनात्मक रिश्ते के कई संस्मरण लोगों के जेहन में ताजा हैं।
Gorakhpur News: राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) के अगुवा रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ (Brahmalin Mahant Avaidyanath) ने 12 सितंबर 2014 में अपनी इच्छा से शरीर त्यागा था। उनके और बतौर गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी योगी में भावनात्मक रिश्ते के कई संस्मरण लोगों के जेहन में ताजा हैं। आज हर कोई राम मंदिर आंदोलन के अगुवा, छूआछूत के खिलाफ ताउम्र लड़ने वाले ब्रह्मलीन ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को याद कर रहा है। अपने गुरु में लगाव ही था की योगी ने उनकी सेहत बिगड़ती देख मेदांता अस्पताल में ही महामृत्युंजय का जाप करना शुरू कर दिया था। इसके बाद शरीर में हलचल हुई। उन्हें गोरखपुर लाया गया। जहां गोरक्षनाथ मंदिर में उन्होंने शरीर को त्यागा।
महंत अवेद्य नाथ के साथ काफी समय गुजारने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय को योगी और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ से जुड़े कई संस्मरण याद हैं। वह बताते हैं कि छोटे महाराज (योगी आदित्यनाथ) ने एक कार्यक्रम में अपने गुरु से जुड़ा एक संस्मरण बताया था। वह बताता है कि अपने गुरु के प्रति उनके अंदर कितना स्नेह था, भावनात्मक रिश्ता था। संस्मरण कुछ इस तरह है। गोरक्षनाथ मन्दिर में हर साल ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की पुण्यतिथि सप्ताह समारोह का आयोजन होता है। 2014 में इसी कार्यक्रम के समापन समारोह के बाद उसी दिन फ्लाइट से योगी आदित्यनाथ शाम को दिल्ली और फिर गुड़गांव स्थित मेदांता में भर्ती अपने गुरुदेव का हाल चाल लेने गए। वहां उनके कान में पुण्यतिथि के कार्यक्रम के समापन के बाबत जानकारी दी। कुछ देर वहां रहे। चिकित्सकों से बात किए। सेहत रोज जैसी ही स्थिर थी। लिहाजा योगीजी अपने दिल्ली आवास पर लौट आए। रात करीब 10 बजे उनके पास मेदांता से फोन आया कि उनके गुरु की सेहत बिगड़ गई है। पहुंचे तो देखा, वेंटीलेटर में जीवन का कोई लक्षण नहीं हैं। चिकित्सकों के कहने के बावजूद वे मानने को तैयार नहीं थे। वहीं महामृत्युंजय का जाप शुरू किया। करीब आधे घंटे बाद वेंटीलेटर पर जीवन के लक्षण लौट आए। योगी को अहसास हो गया कि गुरुदेव के विदाई का समय आ गया है। उन्होंने धीरे से उनके कान में कहा कि कल आपको गोरखपुर ले चलूंगा। यह सुनकर उनकी आंखों के कोर पर आंसू ढलक आए। योगीजी ने उसे साफ किया और लाने की तैयारी में लग गए। दूसरे दिन एयर एंबुलेंस से गोरखपुर लाने के बाद उनके कान में कहा, आप मंदिर में आ चुके हैं। बड़े महाराज के चेहरे पर तसल्ली का भाव आया। इसके करीब घंटे भर के भीतर उनका शरीर शांत हो गया।
महंत अवेद्यनाथ से अपनी इच्छा से त्यागा था शरीर
वरिष्ठ पत्रकार और महंत अवेद्य नाथ के साथ काफी समय गुजारने वाले गिरीश पांडेय बताते हैं कि ज्ञान के इस युग में संभव है आप यकीन न करें। पर बात मुकम्मल सच है। सात साल पहले (12 सितंबर 2014 ) गोरक्षपीठ के महंत अवेद्यनाथ का ब्रह्म्लीन होना सामान्य नहीं, बल्कि इच्छा मृत्यु जैसी घटना थी। चिकित्सकों के मुताबिक उनकी मौत तो 2001 में तभी हो जानी चाहिए थी, जब वे पैंक्रियाज के कैंसर से पीड़ित थे। उम्र और आपरेशन के बाद ऐसे मामलों में लोगों के बचने की संभावना सिर्फ 5 फीसद होती है। इसी का हवाला देकर उस समय दिल्ली के एक नामी डाक्टर ने आपरेशन करने से मना कर दिया था। बाद में आपरेशन के लिए तैयार हुए तो यह भी कहा कि ऑपरेशन सफल रहा तो भी बची जिंदगी मुश्किल से तीन वर्ष की और होगी। वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं कि बड़े महराज जी उसके बाद 14 वर्ष तक जीवित रहे। ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर अक्सर पीठ के उत्तराधिकारी (अब पीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ से फोन पर बड़े महाराज का हाल-चाल पूछते थे। यह बताने पर की उनका स्वास्थ्य बेहतर है, हैरत भी जताते थे। बकौल योगी यह गुरुदेव के योग का ही चमत्कार था।