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सोशल मीडिया पर सक्रिय है नेपाल की यह बिल्ली, जानें किस वजह से है चर्चा में
Gorakhpur News In Hindi: बिल्ली भी सोशल मीडिया (Social Media) पर सक्रिय हो सकती है? यदि आपका जवाब 'नहीं' में है तो आप गलत है।
खोई हुई बिल्ली (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Gorakhpur News In Hindi: बिल्ली भी सोशल मीडिया (Social Media) पर सक्रिय हो सकती है? यदि आपका जवाब 'नहीं' में है तो आप गलत है। एक बिल्ली का न सिर्फ व्हाट्सएप नंबर (Whatsapp Number) है, बल्कि फेसबुक पेज (Facebook Page) भी है। फेसबुक पर बिल्ली पूरी तरह सक्रिय भी रहती है। आप भी जानना चाहेंगे इस बिल्ली के बारे में। इसकी खूबियां और परिचय जान कर चौंक जाएंगे।
इस बिल्ली का नाम 'हिवर' है। पहले इसका अतीत जानिए। यह बिल्ली नेपाल के पूर्व चुनाव आयुक्त इला शर्मा की है। जो बीते वर्ष 11 नवम्बर को गोरखपुर जंक्शन से गायब हो गई थी। 9 महीने से अधिक का वक्त गुजर चुका है, लेकिन बिल्ली की तलाश पूरी नहीं हुई है। आरपीएफ, जीआरपी, वन विभाग से लेकर प्रशासन की टीम देसी बिल्ली को तलाशने में नाकाम है।
पूर्व चुनाव आयुक्त ने तलाशने वाले को दी जाने वाली इनामी राशि 11 हजार से बढ़ाकर 15 हजार रुपये की गई, जो वर्तमान में 30 हजार रुपये पहुंच गई है। पूर्व चुनाव आयुक्त लंबे समय से गोरखपुर में ही जमी हुई थीं, लेकिन अब नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुंच चुकी हैं।
'हिवर द काठमांडू कैट' नाम से है फेसबुक पेज
पूर्व चुनाव आयुक्त इला शर्मा का बिल्ली से इस कदर लगाव है कि उन्होंने 'हिवर द काठमांडू कैट' नाम से फेसबुक पेज बना लिया है। पिछले आठ महीने से वह बिल्ली की पुरानी गतिविधियों और वीडियो डालकर इस पेज पर भावुक पोस्ट लिखती हैं। बिल्ली की कभी आंखों की तारीफ करती हैं, कभी उसके गले में लगे पट्टे की। इला कहती हैं कि पूरा परिवार देसी बिल्ली हिवर को बहुत प्रेम करता है। यह बिल्ली वन विभाग द्वारा प्रतिबंधित नहीं है। इसके लिए इनाम राशि का मतलब नहीं है। सिर्फ तलाश पूरी हो जाए।
सोशल मीडिया पर बिल्ली हिवर का दर्द
इन दिनों इला शर्मा द्वारा हिवर द काठमांडू कैट नाम से चालू फेसबुक पेज का पोस्ट चर्चा में है। उन्होंने फेसबुक को विज्ञापन देकर पोस्ट को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी है। पोस्ट का मजमूम कुछ इस तरह है। '
मेरा नाम हिवर है। इस वीडियो में मैं अपने काठमांडू घर में दिख रही हूं। ज़रा बताएं, नेकलेस पहन के मैं कैसी दिख रहीं हूं? काठमाण्डू में मैं रेस्क्यू kitten थी, जब मेरा इन्सानी परिवार मुझे मेरे स्थायी घर ले आए। उन्होंने मुझे ढेर सारा प्यार दिया।
अब जब से मैं गोरखपुर रेलवे प्लेटफार्म से खोई हूं, इस अज़नबी शहर में मैं दुबारा सामुदायिक बिल्ली बन गई हूं। गोरखपुर में इतने सामुदायिक बिल्ली और कुत्ते हैं जो खाना और रहने के सुरक्षित जगह के लिए पूरी तरह इन्सानों पर निर्भर हैं। जबसे मैं गोरखपुर में हूं, मैंने पाया कि कुछ इन्सान तो बहुत संवेदनशील और दयालु होते हैं। लेकिन कई इन्सान अपने अलावा और किसी के बारे में नहीं सोचते। इतना ही नहीं, ऐसे कई इन्सान सामुदायिक जानवरों के साथ बड़ी क्रूरता करते हैं। जैसे बिल्लियों और कुत्तों पे पत्थर मारना, लात मारना या गरम पानी फेंक देना। काश ये लोग समझ सकते कि सारे जीव एक ही ईश्वर के अंश हैं।
हम बिल्लियाँ और कुत्ते बेजुबान ज़रूर हैं लेकिन भावनाएं वही हैं। हमें भी भूख लगती है। लेकिन हम बाज़ार से कुछ खरीद नहीं सकते। चुपचाप इंतज़ार करते हैं कि कोई इन्सान हमें कुछ खाने को दे, हमारा भी ख्याल रक्खे। कुत्तों को तो लोग दे भी देते हैं लेकिन हम बिल्लियों को खुद लेना पड़ता है। फिर इंसान हम बिल्लियों को 'चोर' कहते हैं!
नोट: मैं कहीं दिखूं तो कृपया मेरा वीडियो लेकर मेरे परिवारवालों को व्हाट्सएप्प WhatsApp कर दें। मेरी नानी अगले दिन ही आजाएंगी और मुझे अपने घर काठमांडू ले जाएँगी।' WhatsApp no. +91 88261966
इस तरह गायब हो गई थी हिवर
भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी की पत्नी और नेपाल की पूर्व चुनाव आयुक्त इला शर्मा की बिल्ली गोरखपुर रेलवे से बीते 11 नवम्बर को लापता हो गई थी। इला शर्मा इसी दिन नेपाल से गोरखपुर पहुंची थीं और यहां से उनको ट्रेन से दिल्ली जाना था। इस बीच जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 6 से उनकी बिल्ली जिसका नाम हिवर है, गायब हो गई। इला शर्मा बिल्ली को लेकर इतना भावुक हो गईं कि उन्होंने आनन-फानन उसकी फोटो और कद-काठी के कुछ पोस्टर बनवाए और प्लेटफार्म पर जगह-जगह लगवा दिया।
पोस्टर पर मोबाइल नम्बर देने के साथ ही साथ ही बिल्ली को खोजने वाले को 11000 इनाम भी देने की घोषणा भी की गई। हालांकि लंबा समय गुजरने के बाद इनामी राशि को 4 हजार रुपये बढ़ाकर 30 हजार कर दिया गया है। तस्वीर से मिलती जुलती बिल्ली को देखकर तमाम लोगों ने फोटो इला शर्मा के मोबाइल पर भेजी। लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। इला शर्मा बिल्ली के गुण बताकर अपना बताने से इंकार कर दे रही हैं। पूर्व चुनाव आयुक्त काफी समय तक गोरखपुर के सर्किट हाउस में टिकी रहीं। वह लगातार वन विभाग, रेलवे और प्रशासन के अधिकारियों के संपर्क में हैं।
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