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Gorakhpur News: नेपाल की नदियों ने पूर्वांचल में मचाई तबाही, गोरखपुर-वाराणसी मार्ग पर आवागमन ठप

Gorakhpur News: ग्रामीण से लेकर शहरी इलाकों में बाढ़ का पानी है। इलाहीबाग और डोमिनगढ़ रेगुलेटर पर लगातार राप्ती नदी के उफान का दबाव बना हुआ है।

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Monika
Published on: 3 Sept 2021 10:34 AM IST
Gorakhpur flood
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गोरखपुर में बाढ़ (फोटो : सोशल मीडिया )

Gorakhpur News: नेपाल के पहाड़ी इलाकों की नदियों (Nepal Rivers) ने गोरखपुर-बस्ती मंडल में ताबाही मचा रखा है। ग्रामीण से लेकर शहरी इलाकों में बाढ़ (Flood) का पानी है। इलाहीबाग और डोमिनगढ़ रेगुलेटर पर लगातार राप्ती नदी (Rapti river) के उफान का दबाव बना हुआ है। गुरुवार की देर रात गोरखपुर-वाराणसी मार्ग (Gorakhpur-Varanasi route) पर बड़हलगंज के पास नदी का पानी ओवरफ्लो करने के बाद आवागमन को पूरी तरह रोक दिया गया है। गोरखपुर-लखनऊ मार्ग (Gorakhpur-Lucknow Route) और गोरखपुर-सोनौली मार्ग (Gorakhpur-Sonauli route) पर भी बाढ़ का पानी आ गया है। इन दोनों मार्ग पर भी आवागमन ठप होने का खतरा बढ़ गया है। गोरखपुर से बाहर जाने वाली सभी सड़कों से समुद्र जैसा दृश्य दिख रहा है।

भरवलिया-बसावनपुर रिंग बांध टूटने और दो दर्जन से अधिक स्थानों पर रिसाव होने से दहशत है। झंगहा-बरही मार्ग पर पानी चढ़ गया है। देर रात कोठा-रकहट बांध में हो रहे रिसाव को रोकने के लिए ग्रामीण पूरी रात जूझते रहे। रामजानकी मार्ग पर बड़े वाहनों पर रोक लगा दी गई है। राप्ती-रोहिन, सरयू और गोर्रा में आई उफान को देखकर किनारे के गांवों के लोग दहशत में हैं। गुरुवार को बाढ़ के पानी के दबाव की वजह से भरवलिया-बसावनपुर रिंग बांध टूट गया। पानी के दबाव की वजह से जिले के बंधों में दो दर्जन से अधिक स्थानों पर रिसाव हो रहा है।

नदी का पानी ओवरफ़्लो (फोटो : सोशल मीडिया )

300 से अधिक गांव प्रभावित

नदियों में आई उफान की वजह से जिले के 300 से अधिक गांव प्रभावित हो गए हैं। इन गांवों की तकरीबन सवा दो लाख आबादी मुश्किल में हैं। बाढ़ से घिर गांवों के लोग अपने पशुओं को लेकर बंधों पर आ गए हैं। जरूरी सामान भी बाहर निकाल रहे हैं। गांवों के बाढ़ के पानी से घिर जाने की वजह से ग्रामीणों को आने-जाने में काफी दिक्कत हो रही है। जिला प्रशासन ने ग्रामीणों की मदद के लिए 350 से अधिक नावें लगा दी है। जिला प्रशासन द्वारा प्रभावित गांवों में राहत सामाग्री वितरित कराई जा रही है।

सड़कों पर भरा पानी (फोटो : सोशल मीडिया )

तेजी से बढ़ रहा नदियों का जलस्तर

नदियों का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है। राप्ती-रोहिन, सरयू और गोर्रा के पानी का दबाव बंधों पर इस कदर है कि दो दर्जन से अधिक स्थानों पर रिसाव हो रहा है। गगहा क्षेत्र में भरवलिया-बसावनपुर रिंग बांध टूट जाने की वजह से आधा दर्जन से अधिक गांव प्रभावित हो गए हैं। बड़हलगंज इलाके में राम-जानकी मार्ग पर राप्ती और सरयू की बाढ़ के दबाव के कारण स्थिति खतरनाक हो गई है। प्रशासन ने बड़े वाहनों के आवागमन को रोक दिया है। गोरखपुर-वाराणसी मार्ग पर पहले ही बड़े वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। झंगहा-बरही मार्ग पर पानी चढ़ जाने के कारण दोआबाद के 52 गांवों के लोग दहशत में हैं। गगहा इलाके में बंधों में हो रहे रिसाव की वजह से ग्रामीण बुरी तरह डर गए हैं। रात भर जाग-जागकर बंधों की रखवाली कर रहे हैं। हर घंटे नदियों का जलस्तर 3 से 4 इंच बढ़ रहा है। इससे लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। अगर नदियों का जलस्तर थमा नहीं तो जल्द ही गोरखपुर जिले में बाढ़ से बड़ी तबाही मचने की संभावना को इंकार नहीं किया जा सकता।

रेस्क्यू टीम (फोटो : सोशल मीडिया )

1998 से भी बुरे हालात

शहर के निचले इलाकों की कॉलोनियों में लोक जहां नाव चल रहे हैं, वहीं जिले में 5 जगहों पर राप्ती और रोहिन नदी के बांधों से रिसाव शुरू हो गया है। ऐसे में अगर इनमें से कोई एक बांध भी टूटा तो 1998 के बाढ़ के तबाही वाले हालात बन सकते हैं। शहर के महेवा हार्बट बंधे पर बना रेग्यूलेटर में बीते दो दिनों से रिसाव हो रहा है। जबकि मानीराम कुदरिया, बनरहां विस्तार बुढ़ेली के पास, पीपीगंज मखनहां बंधे पर रिसाव, गोरखनाथ इलाके में रामपुर नयागांव गांव और बेलीपार इलाके के हार्बट बंधे पर भी रिसाव हो रहा है। हालांकि, स्थानीय लोग रात-दिन यहां बालू की बोरियां और अन्य जुगत करने में जुटे हुए हैं। ताकि बांध को टूटने से बचाया जा सके।

बाढ़ में फंसे लोगों की मदद करते (फोटो : सोशल मीडिया )

बांधों और छतों पर शरण ले रहे लोग

साल 1998 यानि 23 साल पहले राप्ती नदी पर स्थित लहसड़ी बांध टूट जाने से शहर का आधा हिस्सा डूब गया है। ऐसे में लहसड़ी से लेकर बड़गों और महेवा तक नदी काफी तेजी से बढ़ रही है। स्थानीय निवासी साहब यादव बताते हैं कि गांव में 1998 की बाढ़ में भी जहां पानी नहीं पहुंचा था, वहां अभी पानी आ गया है। फर्क सिर्फ इतना है कि उस वक्त बांध टूट जाने से नदी का पानी शहर में घुस गया था, अभी फिलहाल बांध सुरक्षित है। मंझारियां के रामदर्शन ने बताया कि गांव के सभी टोलों के अधिकांश घर पूरी तरह डूब चुके हैं। ऐसे में लोग परिवार सहित मेवेशी लेकर बांधों पर शरण ले रहे हैं। कुछ लोगों ने छत को ठिकाना बनाया है।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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